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CAA नियम बनाने के लिए आगे बढ़ाई जा सकती है अवधि: प्रताप सिंह बाजवा

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Published : Mar 7, 2022, 10:51 PM IST

अधीनस्थ विधान संबंधी समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा (Pratap Singh Bajwa talks with ETV Bharat) कि नियम बनाने का समय निश्चित रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि किसी भी अधिनियम के लागू होने से पहले नियम बनाना जरूरी है. बाजवा ने बताया कि उन्हें गृह मंत्रालय से कोई पत्र नहीं मिला है. लेकिन जब गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क किया गया तो पता चला कि मंत्रालय ने हाल ही में नियम बनाने के लिए और तीन महीने का समय मांगा है.

प्रताप सिंह बाजवा
प्रताप सिंह बाजवा

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act-CAA) के कार्यान्वयन (implementation of CAA) को लेकर अनिश्चितता के बीच अधीनस्थ विधान संबंधी समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने ईटीवी भारत को बताया (Pratap Singh Bajwa talks with ETV Bharat) कि सीएए नियम बनाने की अवधि को बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि इसे लागू करने से पहले नियम बनाना अत्यंत जरूरी है.

गौरतलब है कि CAA 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और 12 दिसंबर को ही राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की मंजूरी मिली थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे जनवरी 2020 में अधिसूचित किया था. हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी है, क्योंकि CAA के तहत नियम अभी बनाए जाने बाकी हैं.

बाजवा ने कहा कि नियम बनाने का समय निश्चित रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि किसी भी अधिनियम के लागू होने से पहले नियम बनाना जरूरी है. बाजवा ने बताया कि उन्हें गृह मंत्रालय से कोई पत्र नहीं मिला है. लेकिन जब गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क किया गया तो पता चला कि मंत्रालय ने हाल ही में नियम बनाने के लिए और तीन महीने का समय मांगा है.

नियम बनाने में इतनी बड़ी देरी के कारण के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय वर्तमान में सभी हितधारकों के साथ परामर्श कर रहा है. नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पहले नियम बनाना संभव नहीं था. संसदीय कार्य संबंधी नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के लिए नियम राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किये जाने चाहिए. अन्यथा लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से विस्तार का अनुरोध किया जाना चाहिए. बहरहाल, गृह मंत्रालय सीएए कानून बनने के छह माह में नियम नहीं बना सका, इस वजह से उसने समितियों से समय मांगा है.

केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि सीएए लागू होने के बाद छह उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को नागरिकता देना है. वे समुदाय विशेष रूप से हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई हैं, जिनके लोग 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए थे. इस मुद्दे पर असम के कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने कहा कि केंद्र सरकार निश्चित रूप से नियम बनाएगी और इसे लागू करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार इस अधिनियम को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. पांच राज्यों में चुनाव के बाद CAA पर नियम बनेंगे.

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act-CAA) के कार्यान्वयन (implementation of CAA) को लेकर अनिश्चितता के बीच अधीनस्थ विधान संबंधी समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने ईटीवी भारत को बताया (Pratap Singh Bajwa talks with ETV Bharat) कि सीएए नियम बनाने की अवधि को बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि इसे लागू करने से पहले नियम बनाना अत्यंत जरूरी है.

गौरतलब है कि CAA 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और 12 दिसंबर को ही राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की मंजूरी मिली थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे जनवरी 2020 में अधिसूचित किया था. हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी है, क्योंकि CAA के तहत नियम अभी बनाए जाने बाकी हैं.

बाजवा ने कहा कि नियम बनाने का समय निश्चित रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि किसी भी अधिनियम के लागू होने से पहले नियम बनाना जरूरी है. बाजवा ने बताया कि उन्हें गृह मंत्रालय से कोई पत्र नहीं मिला है. लेकिन जब गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क किया गया तो पता चला कि मंत्रालय ने हाल ही में नियम बनाने के लिए और तीन महीने का समय मांगा है.

नियम बनाने में इतनी बड़ी देरी के कारण के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय वर्तमान में सभी हितधारकों के साथ परामर्श कर रहा है. नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पहले नियम बनाना संभव नहीं था. संसदीय कार्य संबंधी नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के लिए नियम राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किये जाने चाहिए. अन्यथा लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से विस्तार का अनुरोध किया जाना चाहिए. बहरहाल, गृह मंत्रालय सीएए कानून बनने के छह माह में नियम नहीं बना सका, इस वजह से उसने समितियों से समय मांगा है.

केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि सीएए लागू होने के बाद छह उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को नागरिकता देना है. वे समुदाय विशेष रूप से हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई हैं, जिनके लोग 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए थे. इस मुद्दे पर असम के कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने कहा कि केंद्र सरकार निश्चित रूप से नियम बनाएगी और इसे लागू करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार इस अधिनियम को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. पांच राज्यों में चुनाव के बाद CAA पर नियम बनेंगे.

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