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उत्तराखंडः साल का आखिरी चंद्र ग्रहण आज, हरिद्वार बदरीनाथ में बंद हुए मठ मंदिरों के कपाट - हरिद्वार गंगा आरती का समय बदला

आज साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है. हरिद्वार में सूतक काल के बाद मठ मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती भी शाम को 7:45 बजे चंद्र ग्रहण के बाद की जाएगी. ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए. बदीरनाथ मंदिर के कपाट भी चंद्र ग्रहण के चलते बंद कर दिए गये हैं.

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Published : Nov 8, 2022, 11:25 AM IST

हरिद्वारः इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन (Lunar Eclipse on Kartik Purnima) पड़ रहा है. लेकिन भारत में चंद्र ग्रहण शाम 5:15 बजे शुरू होगा. जबकि, हरिद्वार में 5:21 बजे शुरू होगा, जो शाम 6:30 बजे खत्म होगा. ऐसे में भारत में करीब सवा घंटा चंद्र ग्रहण दिखाई देगा. इसके अलावा सूतक काल सुबह 8:25 बजे शुरू हो गया है. इसके चलते हरिद्वार के सभी मठ मंदिरों की मूर्तियों को ढककर मंदिरों के कपाट बंद (doors of Math temples were closed in Haridwar) कर दिए गए हैं. जो शाम 6:30 बजे समाप्त होगा.

इसके अलावा कोई भी धार्मिक मांगलिक कार्य सूतक काल के दौरान नहीं किया जाता है. आज विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती भी 7:45 बजे चंद्र ग्रहण के बाद की जाएगी. ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए. इस दौरान न ही भोजन पकाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए. चंद्र ग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए.

हरिद्वार बदरीनाथ में बंद हुए मठ मंदिरों के कपाट
ये भी पढ़ेंः 7 ग्रह प्रभावित होंगे इस चंद्रग्रहण में, राशि अनुसार उपायों से होगी तन-मन-धन की सुरक्षा

ग्रहण शुरू होने से पहले यानी सूतक काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए. ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए. ग्रहण के असर को कम करने के लिए चंद्रमा से जुड़े हुए मंत्रों का जाप करना चाहिए. ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.

बदरीविशाल के कपाट भी बंदः चंद्र ग्रहण के चलते बदरीनाथ धाम समेत चमोली जिले के अन्य मंदिर सुबह 8:10 बजे पूजा के बाद बंद कर दिए गए हैं. सुबह 4 बजे मंदिर के कपाट खोलने के बाद सुबह 8 बजे तक नित्य पूजा और भोग लगाया गया. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल होने के चलते मंदिर बंद कर दिया गया है. इससे भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के लिए देश के अलग अलग राज्यों से धाम पहुंचे श्रद्धालुओं को इंतजार करना पड़ रहा है. ग्रहण का सूतक काल समाप्त होने के बाद मंदिर की साफ सफाई और शुद्धिकरण के बाद मंदिर के कपाट शाम 6:30 बजे श्रदालुओं के दर्शनों के लिए खोल दिए जाएंगे.

हरिद्वारः इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन (Lunar Eclipse on Kartik Purnima) पड़ रहा है. लेकिन भारत में चंद्र ग्रहण शाम 5:15 बजे शुरू होगा. जबकि, हरिद्वार में 5:21 बजे शुरू होगा, जो शाम 6:30 बजे खत्म होगा. ऐसे में भारत में करीब सवा घंटा चंद्र ग्रहण दिखाई देगा. इसके अलावा सूतक काल सुबह 8:25 बजे शुरू हो गया है. इसके चलते हरिद्वार के सभी मठ मंदिरों की मूर्तियों को ढककर मंदिरों के कपाट बंद (doors of Math temples were closed in Haridwar) कर दिए गए हैं. जो शाम 6:30 बजे समाप्त होगा.

इसके अलावा कोई भी धार्मिक मांगलिक कार्य सूतक काल के दौरान नहीं किया जाता है. आज विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती भी 7:45 बजे चंद्र ग्रहण के बाद की जाएगी. ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए. इस दौरान न ही भोजन पकाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए. चंद्र ग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए.

हरिद्वार बदरीनाथ में बंद हुए मठ मंदिरों के कपाट
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ग्रहण शुरू होने से पहले यानी सूतक काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए. ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए. ग्रहण के असर को कम करने के लिए चंद्रमा से जुड़े हुए मंत्रों का जाप करना चाहिए. ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.

बदरीविशाल के कपाट भी बंदः चंद्र ग्रहण के चलते बदरीनाथ धाम समेत चमोली जिले के अन्य मंदिर सुबह 8:10 बजे पूजा के बाद बंद कर दिए गए हैं. सुबह 4 बजे मंदिर के कपाट खोलने के बाद सुबह 8 बजे तक नित्य पूजा और भोग लगाया गया. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल होने के चलते मंदिर बंद कर दिया गया है. इससे भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के लिए देश के अलग अलग राज्यों से धाम पहुंचे श्रद्धालुओं को इंतजार करना पड़ रहा है. ग्रहण का सूतक काल समाप्त होने के बाद मंदिर की साफ सफाई और शुद्धिकरण के बाद मंदिर के कपाट शाम 6:30 बजे श्रदालुओं के दर्शनों के लिए खोल दिए जाएंगे.

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