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Drought : कर्नाटक में केंद्रीय टीम के सामने किसान ने की आत्महत्या की कोशिश - किसान आत्महत्या

कर्नाटक में किसान के आत्महत्या की कोशिश का मामला सामने आया है. राज्य सूखे की समस्या से जुझ रहा है. इस बीच स्थिति का आकलन करने के लिए आई केंद्रीय टीम के सामने एक किसान ने शुक्रवार को आत्महत्या करने की कोशिश की. हालांकि, वहां मौजूद पुलिस ने किसान को ऐसा करने से रोक लिया.

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By IANS

Published : Oct 6, 2023, 6:02 PM IST

बेलागवी : कर्नाटक में सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए आई एक केंद्रीय टीम के बेलागावी जिले के दौरे के दौरान शुक्रवार को एक किसान ने उनके सामने ही आत्महत्या का प्रयास किया. जब टीम खेतों और कृषि क्षेत्रों का दौरा कर रही थी, किसान कीटनाशक की एक बोतल लेकर अधिकारियों के पास पहुंचा और उसे पीने की कोशिश की. हालांकि, त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस अधिकारियों ने उससे बोतल छीन ली.

परेशान अप्पासाहेब लक्कुंडी ने तब कहा कि उसने 40 एकड़ में जो फसल उगाई थी वह सूखे के कारण पूरी तरह से नष्ट हो गई, जिसके कारण उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. उसने उन अधिकारियों पर भी नाराजगी व्यक्त की जो किसानों के पास जाते हैं, उन्हें मुआवजे का वादा करते हैं और फिर इसके बारे में कुछ नहीं करते हैं. लक्कुंडी ने अफसोस जताया कि राज्य सरकार के पास महिलाओं के लिए मुफ्त योजनाएं हैं लेकिन किसानों के लिए कुछ भी नहीं है.

टीम के साथ आए बेलगावी डीसी नितेश पाटिल ने जिले में सूखे की गंभीर स्थिति के बारे में बात की. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने गुरुवार को अंतरमंत्रालयी केंद्रीय टीम से बातचीत की और उनसे राज्य के किसानों के हित में उचित कदम उठाने को कहा. केंद्रीय टीम को राज्य में सूखे की स्थिति के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार 195 तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. अन्य 32 तालुके निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं.

राज्य में दक्षिण-पश्चिम मानसून में देरी और बारिश की कमी के कारण किसान परेशान हैं. नब्बे प्रतिशत फसल बोई जा चुकी है, जिसमें से 42 लाख हेक्टेयर से अधिक फसल को नुकसान हुआ है. किसानों के खेत हरे हैं लेकिन उपज नहीं होती. मुख्यमंत्री ने मौजूदा स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य में हरित सूखा है. उन्होंने राय दी कि टीम को दौरे के दौरान स्थिति को समझना चाहिए और केंद्र सरकार को इस बारे में समझाना चाहिए ताकि वे राज्य में किसानों की दुर्दशा पर तुरंत प्रतिक्रिया दें.

पढ़ें : Telangana Farmers Suicide: तेलंगाना में फसल बर्बाद हुई तो कर्ज में डूबे चार किसानों ने की आत्महत्या

मानसून में देरी और अगस्त महीने में पिछले 122 साल में सबसे कम बारिश के कारण राज्य के बांध खाली हैं. सितंबर माह में छिटपुट बारिश हुई. उन्होंने कहा कि इससे पीने के पानी और बिजली की कमी होने का डर पैदा हो गया है. राज्य केंद्र सरकार से छह हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग कर रहा है.

बेलागवी : कर्नाटक में सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए आई एक केंद्रीय टीम के बेलागावी जिले के दौरे के दौरान शुक्रवार को एक किसान ने उनके सामने ही आत्महत्या का प्रयास किया. जब टीम खेतों और कृषि क्षेत्रों का दौरा कर रही थी, किसान कीटनाशक की एक बोतल लेकर अधिकारियों के पास पहुंचा और उसे पीने की कोशिश की. हालांकि, त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस अधिकारियों ने उससे बोतल छीन ली.

परेशान अप्पासाहेब लक्कुंडी ने तब कहा कि उसने 40 एकड़ में जो फसल उगाई थी वह सूखे के कारण पूरी तरह से नष्ट हो गई, जिसके कारण उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. उसने उन अधिकारियों पर भी नाराजगी व्यक्त की जो किसानों के पास जाते हैं, उन्हें मुआवजे का वादा करते हैं और फिर इसके बारे में कुछ नहीं करते हैं. लक्कुंडी ने अफसोस जताया कि राज्य सरकार के पास महिलाओं के लिए मुफ्त योजनाएं हैं लेकिन किसानों के लिए कुछ भी नहीं है.

टीम के साथ आए बेलगावी डीसी नितेश पाटिल ने जिले में सूखे की गंभीर स्थिति के बारे में बात की. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने गुरुवार को अंतरमंत्रालयी केंद्रीय टीम से बातचीत की और उनसे राज्य के किसानों के हित में उचित कदम उठाने को कहा. केंद्रीय टीम को राज्य में सूखे की स्थिति के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार 195 तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. अन्य 32 तालुके निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं.

राज्य में दक्षिण-पश्चिम मानसून में देरी और बारिश की कमी के कारण किसान परेशान हैं. नब्बे प्रतिशत फसल बोई जा चुकी है, जिसमें से 42 लाख हेक्टेयर से अधिक फसल को नुकसान हुआ है. किसानों के खेत हरे हैं लेकिन उपज नहीं होती. मुख्यमंत्री ने मौजूदा स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य में हरित सूखा है. उन्होंने राय दी कि टीम को दौरे के दौरान स्थिति को समझना चाहिए और केंद्र सरकार को इस बारे में समझाना चाहिए ताकि वे राज्य में किसानों की दुर्दशा पर तुरंत प्रतिक्रिया दें.

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मानसून में देरी और अगस्त महीने में पिछले 122 साल में सबसे कम बारिश के कारण राज्य के बांध खाली हैं. सितंबर माह में छिटपुट बारिश हुई. उन्होंने कहा कि इससे पीने के पानी और बिजली की कमी होने का डर पैदा हो गया है. राज्य केंद्र सरकार से छह हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग कर रहा है.

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