नागपुर: डीआरडीओ की रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला सेना के जवानों के लिए रेडी-टू-ईट फूड तैयार करती है. हमारे देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात तीनों सेनाओं के जवानों को जल, थल, जंगल, पर्वत और आकाश किसी भी स्थिति में सेवा करनी होती है. हमारे जवान भूख-प्यास भूलकर देश की सेवा करते हैं और कभी-कभी अपने प्राणों की आहुति भी देते हैं.
जब ये जवान इतनी कठोर परिस्थितियों में रह रहे हैं, तो क्या उन्हें पर्याप्त भोजन भी मिल रहा है, क्या वे अपनी पसंद का खाना खा पा रहे हैं? यह सोच कर जवान के परिजन परेशान हो गए. डीआरडीओ की प्रसिद्ध रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला, मैसूर ने सैनिकों के स्वास्थ्य को बनाए रखने को लेकर उन्हें पौष्टिक और वांछनीय भोजन प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीक विकसित की है. इसके तहत खाने के लिए तैयार स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का विकास किया है. इतना ही नहीं अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रेडी टू बिरयानी भी तैयार की गई है.
सैनिकों के लिए उपयोगी: राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय परिसर में 108वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का सत्र चल रहा है. डीआरडीओ द्वारा यहां विभिन्न उपकरणों की जानकारी देने के लिए एक प्रदर्शनी लगाई गई है. इसमें खाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थ भी हैं जो सैनिकों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं. वजन में बहुत हल्की होने के कारण ये एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में उपयोगी होती हैं.
दो मिनट में तैयार होता है खाना: सेना के जवानों को कई दिनों तक दुर्गम इलाकों में ट्रेकिंग करनी पड़ती है. सीमा पर तैनात जवान बरसों बाद भी घर नहीं लौट सकते. इसलिए उन्हें घर का खाना बहुत याद आता है. सैनिकों की इस समस्या को देखते हुए रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा रेडी टू ईट फूड्स का उत्पादन किया गया है. इस सिस्टम में सूजी के हलवे से लेकर चिकन बिरयानी तक खाना सिर्फ दो मिनट में तैयार हो जाता है, जिससे जवानों की खाने की लालसा अब पूरी होगी.
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अंतरिक्ष में भी मिलेगी चिकन बिरयानी: डीआरडीओ की डिफेंस फूड रिसर्च लेबोरेटरी ने न सिर्फ भारतीय सैनिकों बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी खास खाना तैयार किया है. अंतरिक्ष में खाने के लिए चिकन बिरयानी समेत कई तरह के खाने को रेडी टू ईट फॉर्मेट में तैयार किया गया है क्योंकि अंतरिक्ष में पानी के इस्तेमाल में अक्सर मुश्किलें आती हैं. नेवी के लिए बेहद उपयोगी- इंडियन नेवी के जंगी जहाज, सबमरीन कई दिनों, महीनों तक समुद्र के अंदर रहते हैं. डीआरडीओ की रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा तैयार किए गए रेडी-टू-ईट पैकेट उन स्थितियों में बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं जहां युद्ध के बाद के हालात और भी बदतर हैं.