जयपुर : राजस्थान के मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी आज यानि 24 जून को दिल्ली के क्राइम ब्रांच में बयान दर्ज कराने नहीं जाएंगे. बता दें दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की ओर से मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी को नोटिस दिया गया है. महेश जोशी ने निर्णय लिया है कि वह क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी के समक्ष आज उपस्थित नहीं होंगे. उन्होंने क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी सहित दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को जवाब भेज दिया है.
व्हाट्सएप, ईमेल से भेजा जवाब
महेश जोशी ने क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी, DCP और दिल्ली पुलिस कमिशनर को व्हाट्सएप, ई मेल के जरिए नोटिस का जवाब भेजा है. डॉ. महेश जोशी ने जांच अधिकारी को फोन करके भी अपना पक्ष बता दिया है.
इससे पहले बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महेश जोशी ने आरोप लगाया कि प्रावधान नहीं होने के बावजूद उन्हें नोटिस दिया गया है. जो राजनीतिक द्वेष और दबाव बनाने की केंद्र की राजनीति को दिखाता है. राजस्थान की चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश का हिस्सा पहले भी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत रह चुके हैं. एफआईआर में मेरा नाम नहीं है, उसके बाद भी मुझे नोटिस दिया गया. क्योंकि भाजपा और केंद्र सरकार इस मामले को राजनीतिक रंग देना चाहती है.
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क्या है पूरा मामला
साल 2020 में सियासी संकट के समय एक ऑडियो लीक हुआ था. इसमें गहलोत सरकार को गिराने की साजिश रचने की बात थी. कांग्रेस का आरोप है कि उस ऑडियो में जो आवाज है, वो गजेंद्र सिंह शेखावत की है. मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी ने जयपुर में केस भी दर्ज कराया था. केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दिल्ली के तुगलक रोड थाने में फोन टैपिंग को लेकर केस दर्ज कराया था. उसी फोन टैपिंग मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने महेश जोशी को पूछताछ के लिए 24 जून को पेश होने के लिए नोटिस भेजा.
पूछताछ के लिए थाने नहीं बुला सकती पुलिस
मुख्य सचेतक महेश जोशी को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए 24 जून को पेश होने के निर्देश दिए थे. जबकि महेश जोशी 65 साल की उम्र पार कर चुके हैं. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह की ओर से फोन टैपिंग के मामले में दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी.
सीआरपीसी की धारा 160 में प्रावधान है कि पुलिस 15 साल से कम और 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को पूछताछ के लिए थाने नहीं बुला सकती. इसके अलावा कानूनविद यह भी बताते हैं कि पुलिस अपने थाना इलाके और पास के थाना क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति को ही पूछताछ के लिए थाने बुला सकती है. जबकि फोन टैपिंग के मामले में एफआईआर दिल्ली के तुगलक रोड थाने में दर्ज हुई है. जिसके चलते पुलिस को यह अधिकार नहीं है कि वह राजस्थान में रहने वाले किसी व्यक्ति को तलब करे. वहीं बात जब 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति की आती है तो पुलिस का यह कर्तव्य है की वह संबंधित व्यक्ति के घर जाकर ही पूछताछ करे. यदि कोई पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता है तो उसे आईपीसी की धारा 166A के तहत 6 माह की जेल का भी प्रावधान है.