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अफगान संकट : हिंसा रोकने, शांति प्रक्रिया में तेजी लाने के आह्वान के साथ दोहा वार्ता समाप्त

अफगानिस्तान में तालिबान का दबदबा बढ़ने से हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं. दोहा बैठक में भाग लेने वाले देशों के प्रतिनिधियों ने अफगान में युद्धरत पक्षों से शांति प्रक्रिया में तेजी लाने, राजनीतिक समाधान और व्यापक युद्धविराम पर जल्द से जल्द पहुंचने का आह्वान किया है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

अफगान संकट
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Published : Aug 13, 2021, 6:45 PM IST

नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर दोहा बैठक में भाग लेने वाले देशों के प्रतिनिधियों ने अफगान युद्धरत पक्षों से शांति प्रक्रिया में तेजी लाने, राजनीतिक समाधान और व्यापक युद्धविराम पर जल्द से जल्द पहुंचने का आह्वान किया है.

अफगानिस्तान में हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं. दोहा वार्ता भी समाप्त हो गई है. ऐसे में संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, चीन, तुर्की और अन्य राज्यों के दूतों ने दोनों पक्षों से ठोस प्रस्तावों पर बातचीत के लिए आवश्यक कदम उठाकर शांति प्रक्रिया में तेज लाने पर जोर दिया है.

भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान) जेपी सिंह ने किया. अंतिम बयान कतर में बातचीत के बाद जारी किया गया था, जहां दूतों ने अफगान सरकार के वार्ताकारों और तालिबान प्रतिनिधियों से मुलाकात की और दोनों पक्षों से विश्वास पैदा करने के लिए कदम उठाने और राजनीतिक समझौते के तहत व्यापक युद्धविराम तक पहुंचने के प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया.

उन्होंने मौजूदा चुनौतियों और अवसरों पर बातचीत करने वाली दो टीमों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया और शांति प्रक्रिया की सफलता में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के योगदान पर विचार किया.

दोहा वार्ता के बाद समय सीमा का जिक्र नहीं

हालांकि दोहा वार्ता (Doha talks) में कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं देखा गया क्योंकि वार्ता के बाद जारी किए गए बयान में युद्धग्रस्त देश में हिंसा समाप्त करने की समय सीमा या समयरेखा या मानवीय सहायता के लिए किसी ठोस योजना के बारे में कोई उल्लेख नहीं है. प्रतिनिधियों ने साफ कहा है कि वह अफगानिस्तान में ऐसी किसी भी सरकार को मान्यता नहीं देंगे जो सैन्य बल के सहारे आती है. उन्होंने प्रांतीय राजधानियों और अन्य शहरों में हिंसा और हमले रोकने का आह्वान किया.

इस महीने के अंत तक अमेरिकी सैनिकों (US troops) को अफगानिस्तान छोड़ना है. ऐसे में तालिबान अफगानिस्तान में हावी होता जा रहा है. तालिबान ने देश के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है.

तालिबान का दावा लोगर पर भी किया कब्जा
शुक्रवार को दो सबसे बड़े अफगान शहरों कंधार और हेरात पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने अब दावा किया है कि उन्होंने लोगर प्रांत पर भी कब्जा कर लिया है. जैसा कि तालिबान अफगानिस्तान में जमीन हासिल करना जारी रखे है कुछ ही हफ्ते में अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से अपनी वापसी करने वाली है. अमेरिका ने घोषणा की कि काबुल में 650 सैनिकों के अलावा, वह अमेरिकी दूतावास से कुछ कर्मियों को निकालने के लिए अफगानिस्तान में अतिरिक्त 3000 सैनिकों को तैनात कर रहा है. संयुक्त सेना के 1,000 वायु सेनिकों को कतर में तैनात किया जाना है.

हिंसा मामलों पर जताई चिंता
11 और 12 अगस्त को हुई दोहा वार्ता में भाग लेने वालों ने पूरे अफगानिस्तान से जारी हिंसा और बड़ी संख्या में नागरिकों के हताहत होने संबंधी रिपोर्टों पर चिंता जताई है. बैठक में राजनीतिक समाधान के दिशा-निर्देशों पर जोर दिया गया है, जिसमें संपूर्ण शासन, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों सहित मानवाधिकारों का सम्मान, एक प्रतिनिधि सरकार बनाने के लिए तंत्र, अफगान क्षेत्र को अन्य देशों के लिए खतरा नहीं बनाने की प्रतिबद्धता शामिल है. दोनों पक्षों के बीच सद्भावपूर्ण वार्ता के बाद एक व्यवहार्य राजनीतिक समझौता होने के बाद अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में सहायता करने के लिए भी प्रतिबद्ध किया.

पढ़ें-अफगानिस्तान: तालिबान ने लश्करगाह पर कब्जा किया

पढ़ें- अफगानिस्तान से असैन्य कर्मियों की हो सुरक्षित वापसी, काबुल में तैनात होंगे अमेरिकी सैनिक

पढ़ें- तालिबान ने अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर पर कब्जा किया

नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर दोहा बैठक में भाग लेने वाले देशों के प्रतिनिधियों ने अफगान युद्धरत पक्षों से शांति प्रक्रिया में तेजी लाने, राजनीतिक समाधान और व्यापक युद्धविराम पर जल्द से जल्द पहुंचने का आह्वान किया है.

अफगानिस्तान में हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं. दोहा वार्ता भी समाप्त हो गई है. ऐसे में संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, चीन, तुर्की और अन्य राज्यों के दूतों ने दोनों पक्षों से ठोस प्रस्तावों पर बातचीत के लिए आवश्यक कदम उठाकर शांति प्रक्रिया में तेज लाने पर जोर दिया है.

भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान) जेपी सिंह ने किया. अंतिम बयान कतर में बातचीत के बाद जारी किया गया था, जहां दूतों ने अफगान सरकार के वार्ताकारों और तालिबान प्रतिनिधियों से मुलाकात की और दोनों पक्षों से विश्वास पैदा करने के लिए कदम उठाने और राजनीतिक समझौते के तहत व्यापक युद्धविराम तक पहुंचने के प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया.

उन्होंने मौजूदा चुनौतियों और अवसरों पर बातचीत करने वाली दो टीमों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया और शांति प्रक्रिया की सफलता में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के योगदान पर विचार किया.

दोहा वार्ता के बाद समय सीमा का जिक्र नहीं

हालांकि दोहा वार्ता (Doha talks) में कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं देखा गया क्योंकि वार्ता के बाद जारी किए गए बयान में युद्धग्रस्त देश में हिंसा समाप्त करने की समय सीमा या समयरेखा या मानवीय सहायता के लिए किसी ठोस योजना के बारे में कोई उल्लेख नहीं है. प्रतिनिधियों ने साफ कहा है कि वह अफगानिस्तान में ऐसी किसी भी सरकार को मान्यता नहीं देंगे जो सैन्य बल के सहारे आती है. उन्होंने प्रांतीय राजधानियों और अन्य शहरों में हिंसा और हमले रोकने का आह्वान किया.

इस महीने के अंत तक अमेरिकी सैनिकों (US troops) को अफगानिस्तान छोड़ना है. ऐसे में तालिबान अफगानिस्तान में हावी होता जा रहा है. तालिबान ने देश के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है.

तालिबान का दावा लोगर पर भी किया कब्जा
शुक्रवार को दो सबसे बड़े अफगान शहरों कंधार और हेरात पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने अब दावा किया है कि उन्होंने लोगर प्रांत पर भी कब्जा कर लिया है. जैसा कि तालिबान अफगानिस्तान में जमीन हासिल करना जारी रखे है कुछ ही हफ्ते में अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से अपनी वापसी करने वाली है. अमेरिका ने घोषणा की कि काबुल में 650 सैनिकों के अलावा, वह अमेरिकी दूतावास से कुछ कर्मियों को निकालने के लिए अफगानिस्तान में अतिरिक्त 3000 सैनिकों को तैनात कर रहा है. संयुक्त सेना के 1,000 वायु सेनिकों को कतर में तैनात किया जाना है.

हिंसा मामलों पर जताई चिंता
11 और 12 अगस्त को हुई दोहा वार्ता में भाग लेने वालों ने पूरे अफगानिस्तान से जारी हिंसा और बड़ी संख्या में नागरिकों के हताहत होने संबंधी रिपोर्टों पर चिंता जताई है. बैठक में राजनीतिक समाधान के दिशा-निर्देशों पर जोर दिया गया है, जिसमें संपूर्ण शासन, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों सहित मानवाधिकारों का सम्मान, एक प्रतिनिधि सरकार बनाने के लिए तंत्र, अफगान क्षेत्र को अन्य देशों के लिए खतरा नहीं बनाने की प्रतिबद्धता शामिल है. दोनों पक्षों के बीच सद्भावपूर्ण वार्ता के बाद एक व्यवहार्य राजनीतिक समझौता होने के बाद अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में सहायता करने के लिए भी प्रतिबद्ध किया.

पढ़ें-अफगानिस्तान: तालिबान ने लश्करगाह पर कब्जा किया

पढ़ें- अफगानिस्तान से असैन्य कर्मियों की हो सुरक्षित वापसी, काबुल में तैनात होंगे अमेरिकी सैनिक

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