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जंगल में लापता मालिक को डॉगी ने खोज निकाला, समय पर इलाज मिलने से बची जान

कन्नड़ फिल्म '777 चार्ली' कुत्ते और इंसान के रिश्ते पर आधारित है. फिल्म में इंसान और कुत्ते के रिश्ते को खूबसूरती से दिखाया गया है. हकीकत में भी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जहां डॉग ने वाफादारी की मिसाल पेश की है. ऐसा ही एक मामला कर्नाटक में सामने आया है, जहां डॉगी की वजह से एक मालिक की जान बच गई. पढ़ें पूरी खबर.

Dog Saves his owner Life
जंगल में लापता मालिक को डॉगी ने खोज निकाला
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Published : Nov 14, 2022, 6:09 PM IST

शिवमोगा: एक फीमेल डॉग (टॉमी) ने अपने मालिक की जान बचाई है (Dog Saves owner Life). घटना होसानगर तालुक के सुदुरु गांव की है. गांव के लोगों ने कुत्ते की वफादारी की तारीफ की है.

दरअसल शिवमोगा से होसानगर के रास्ते में जंगल के बीच में एक छोटा सा गांव सुदुरु (Suduru village) है. यहां रहने वाले शेखरप्पा (55) अयानूर शहर में एक कैंटीन में काम करते हैं. वह नियमित रूप से सुबह 7 बजे जंगल जाते हैं, सूखी लकड़ी इकट्ठा करते हैं और सुबह 10 बजे तक घर वापस आते हैं. नाश्ता करने के बाद वह कैंटीन में काम पर चले जाते हैं. शनिवार को जब वह जलाऊ लकड़ी लेने जंगल में गए तो बारह घंटे बीत जाने के बाद भी घर नहीं लौटे.

घर पर उनकी पत्नी और बेटी इंतजार करती रहीं. शेखरप्पा की बेटी ने बाद में पड़ोसियों और रिश्तेदारों को इस संबंध में सूचना दी. यहां तक ​​कि शेखरप्पा के कीपैड वाले मोबाइल से भी संपर्क नहीं हो सका. शेखरप्पा को खोजने के लिए गांव के लोग जंगल में गए. लोगों ने जंगल में हर उस जगह को खोजा जहां शेखरप्पा लकड़ी लेने जाया करते थे, लेकिन वे नहीं मिले.

इन सभी लोगों से अलग मादा कुत्ता भी अपने मालिक की तलाश में जुटी थी. अचानक उसने एक जगह पर भौंकना शुरू कर दिया, तो बाकी लोगों का ध्यान भी उसकी ओर गया. सभी उस जगह पहुंचे, तो शेखरप्पा एक पेड़ के पास बेहोशी की हालत में पड़े थे.

गांववाले तुरंत उन्हें उठाकर अस्पताल ले गए. शेखरप्पा की हालत में अब काफी सुधार है. इस घटना के बाद लोग डॉगी की तारीफ कर रहे हैं. फोन पर इस बारे में बात करते हुए शेखरप्पा ने कहा कि ये मादा कुत्ता उनके पास करीब छह-सात साल से है.

पढ़ें- कर्नाटक पुलिस ने फिल्म से प्रेरित होकर खोजी कुत्ते का नाम रखा 'चार्ली '

शिवमोगा: एक फीमेल डॉग (टॉमी) ने अपने मालिक की जान बचाई है (Dog Saves owner Life). घटना होसानगर तालुक के सुदुरु गांव की है. गांव के लोगों ने कुत्ते की वफादारी की तारीफ की है.

दरअसल शिवमोगा से होसानगर के रास्ते में जंगल के बीच में एक छोटा सा गांव सुदुरु (Suduru village) है. यहां रहने वाले शेखरप्पा (55) अयानूर शहर में एक कैंटीन में काम करते हैं. वह नियमित रूप से सुबह 7 बजे जंगल जाते हैं, सूखी लकड़ी इकट्ठा करते हैं और सुबह 10 बजे तक घर वापस आते हैं. नाश्ता करने के बाद वह कैंटीन में काम पर चले जाते हैं. शनिवार को जब वह जलाऊ लकड़ी लेने जंगल में गए तो बारह घंटे बीत जाने के बाद भी घर नहीं लौटे.

घर पर उनकी पत्नी और बेटी इंतजार करती रहीं. शेखरप्पा की बेटी ने बाद में पड़ोसियों और रिश्तेदारों को इस संबंध में सूचना दी. यहां तक ​​कि शेखरप्पा के कीपैड वाले मोबाइल से भी संपर्क नहीं हो सका. शेखरप्पा को खोजने के लिए गांव के लोग जंगल में गए. लोगों ने जंगल में हर उस जगह को खोजा जहां शेखरप्पा लकड़ी लेने जाया करते थे, लेकिन वे नहीं मिले.

इन सभी लोगों से अलग मादा कुत्ता भी अपने मालिक की तलाश में जुटी थी. अचानक उसने एक जगह पर भौंकना शुरू कर दिया, तो बाकी लोगों का ध्यान भी उसकी ओर गया. सभी उस जगह पहुंचे, तो शेखरप्पा एक पेड़ के पास बेहोशी की हालत में पड़े थे.

गांववाले तुरंत उन्हें उठाकर अस्पताल ले गए. शेखरप्पा की हालत में अब काफी सुधार है. इस घटना के बाद लोग डॉगी की तारीफ कर रहे हैं. फोन पर इस बारे में बात करते हुए शेखरप्पा ने कहा कि ये मादा कुत्ता उनके पास करीब छह-सात साल से है.

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