पानीपत: हरियाणा के पानीपत की रहने वाली रूबी ने जानवरों के लिए अपनी खुशियों तक को त्याग दिया. इतना ही नहीं बीमार और घायल जानवरों के लिए रूबी ने शादी तक नहीं की. पानीपत की रहने वाली युवती रूबी रोड एक्सीडेंट में घायल हुए जानवर और बीमारी से जूझ रहे जानवरों के लिए एक फरिश्ते से कम नहीं है. रूबी ने अपने जमीन पर बीमार पशुओं और कुत्तों के लिए शेल्टर होम खोला है जो सड़कों से चोटिल बीमार जानवर को लाकर उनका इलाज कर अपने पास रखते हैं और जब वह ठीक हो जाते हैं तो उन्हें उन्हीं के पास छोड़ देते हैं.
एक घटना ने बदल दी रूबी की जिंदगी: रूबी बताती हैं कि इस सेवा के पीछे भी उनके साथ एक घटना जुड़ी हुई है. करीब 5 साल पहले रूबी की गाड़ी से कुत्ते का बच्चा खेलते हुए टकरा गया, जब वह उसे देखने के लिए गाड़ी से नीचे उतरीं तो दूसरी कार ने उसे कुत्ते के बच्चे को कुचल दिया. मौके पर बच्चों की मां और दूसरा बच्चा भी देखकर रोने लगा. उस घटना ने रूबी की जीवन को बदल कर रख दिया. उस दिन से ही रूबी जानवरों की सेवा में जुट गईं.
जानवरों की सेवा के लिए नहीं की शादी: रूबी कहती हैं कि, जानवरों की सेवा के लिए ही उन्होंने शादी नहीं करने का फैसला लिया. रूबी का मानना है कि अगर शादी के बाद ससुराल वालों और लड़के को उनका जानवर प्रेम पसंद न आए तो रिश्ते में दरार आने से तो अच्छा है कि उस रिश्ते की शुरुआत ही ना करें. यही वजह है कि रूबी ने शादी नहीं करने का फैसला लिया.
शेल्टर होम चलाने में हर महीने 50-60 हजार खर्च: रूबी बताती हैं कि उसकी इस सेवा में उसकी तीन महिला दोस्त भी उसका साथ देती हैं. महीने में इस शेल्टर होम चलाने के लिए करीब 50 से 60 हजार रुपये का खर्च आ जाता है. कुछ तो रूबी करती हैं और कुछ उसकी महिला मित्र उसका साथ देती हैं. सरकार की तरफ से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिलता.
पहले सड़कों और गलियों में जानवरों का इलाज: 4 साल तक रूबी ने सड़कों और गलियों में मिलने वाले जानवरों का इलाज किया उसके बाद एक शेल्टर होम अपने ही खेतों में बनवा दिया, जिसका नाम रखा सिल्वर ओक शेल्टर होम में पक्षियों के लिए घोसला घायल कुत्तों के लिए पिंजरे और डॉक्टर तक की सुविधा है. शेल्टर होम पर एक केयर टेकर को भी रखा गया है जो इन जानवरों को खाना देने का काम करता है.
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अब तक सैकड़ों कुत्तों का इलाज कर चुकी हैं रूबी: रूबी बताती हैं कि वह सड़कों पर चलते हुए आसपास नजर रखती हैं, ताकि कोई घायल जानवर सड़क किनारे घायल ना पड़ा हो. इस सेवा के कार्य में वह कभी भी समय नहीं देखती हैं, जब भी रूबी के पास जानवर की मदद के लिए फोन आता है तो वह उसे रेस्क्यू करने के लिए पहुंच जाती हैं. रूबी अब तक सैकड़ों कुत्तों का इलाज कर चुकी हैं और अभी भी उसके शेल्टर होम पर 40 कुत्ते उपचारधीन हैं.
रेस्क्यू के दौरान काट चुके हैं कई कुत्ते: रूबी ने बताया कि, जानवरों को रेस्क्यू करते समय और उनका इलाज करते समय उन्हें कई बार कुत्ते बुरी तरह नोंच भी चुके हैं. फिर भी वह अपने इस काम को भली भांति करती हैं और वह अपना जीवन जानवरों के लिए ही समर्पित कर चुकी हैं. यहीं वजह है कि रूबी यह कहकर खुद को मना लेती हैं कि बेजुबानों के दर्द के आगे यह कुछ भी नहीं है. ऐसा नहीं है कि रूबी सिर्फ कुत्तों से ही प्रेम करती हैं. उन्हें गाय और गाय के बच्चे भी बहुत पसंद हैं. रूबी बेसहारा गायों की भी सेवा करती हैं. उनके शेल्टर होम में 4 गाय भी हैं.
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