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गुजरात में रेमडेसिविर बेचते पकड़े गए दो डॉक्टर, कोर्ट से मिली सशर्त जमानत

गुजरात की अदालत ने दो चिकित्सकों को कोविड-19 रोगियों की सेवा करने का आदेश दिया. दरअसल, दो निजी चिकित्सक रेमडेसिविर बेचते पकड़े गए थे.

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Published : Apr 30, 2021, 7:40 PM IST

Updated : Apr 30, 2021, 8:09 PM IST

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सूरत : गुजरात के सूरत शहर की एक अदालत ने दो निजी चिकित्सकों को इस शर्त पर जमानत दी है कि वे सूरत सिविल अस्पताल में 15 दिन तक कोविड-19 रोगियों की देखभाल करेंगे. दोनों चिकित्सकों को कथित तौर पर रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़ा गया था.

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आरए अग्रवाल ने गुरुवार को यह आदेश पारित किया. अदालत ने डॉ. साहिल घोघारी और डॉ. हितेश डाभी से कहा कि शुक्रवार से 15 दिन के लिए सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस रोगियों की सेवा करें. दोनों चिकित्सक सूरत के निवासी हैं और निजी तौर पर मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं.

उन्हें जमानत देते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा कि महामारी के कारण चिकित्सकों की कमी है और यह समाज के हित में है कि दोनों चिकित्सकों को कोविड-19 से पीड़ित लोगों का उपचार करने के लिए सिविल अस्पताल में तैनात किया जाए.

पढ़ें- 70 साल में मिली स्वास्थ्य संरचना की विरासत पर्याप्त नहीं, राजनीति न करें : कोरोना पर सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कहा कि दोनों चिकित्सकों की सेवा हासिल करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाएं. 15 दिन के बाद उनके काम को लेकर रिपोर्ट सौंपी जाए.

इसने आरोपी चिकित्सकों को अदालत की अनुमति के बगैर गुजरात नहीं छोड़ने के आदेश दिए.

सूरत पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पांच लोगों को 25 अप्रैल को पकड़ा था, जिसमें डाभी और घोघारी भी थे. पुलिस ने उनसे इंजेक्शन की तीन शीशियां भी बरामद की थीं.

सूरत : गुजरात के सूरत शहर की एक अदालत ने दो निजी चिकित्सकों को इस शर्त पर जमानत दी है कि वे सूरत सिविल अस्पताल में 15 दिन तक कोविड-19 रोगियों की देखभाल करेंगे. दोनों चिकित्सकों को कथित तौर पर रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़ा गया था.

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आरए अग्रवाल ने गुरुवार को यह आदेश पारित किया. अदालत ने डॉ. साहिल घोघारी और डॉ. हितेश डाभी से कहा कि शुक्रवार से 15 दिन के लिए सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस रोगियों की सेवा करें. दोनों चिकित्सक सूरत के निवासी हैं और निजी तौर पर मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं.

उन्हें जमानत देते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा कि महामारी के कारण चिकित्सकों की कमी है और यह समाज के हित में है कि दोनों चिकित्सकों को कोविड-19 से पीड़ित लोगों का उपचार करने के लिए सिविल अस्पताल में तैनात किया जाए.

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अदालत ने सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कहा कि दोनों चिकित्सकों की सेवा हासिल करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाएं. 15 दिन के बाद उनके काम को लेकर रिपोर्ट सौंपी जाए.

इसने आरोपी चिकित्सकों को अदालत की अनुमति के बगैर गुजरात नहीं छोड़ने के आदेश दिए.

सूरत पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पांच लोगों को 25 अप्रैल को पकड़ा था, जिसमें डाभी और घोघारी भी थे. पुलिस ने उनसे इंजेक्शन की तीन शीशियां भी बरामद की थीं.

Last Updated : Apr 30, 2021, 8:09 PM IST
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