ETV Bharat / bharat

रक्षा संपत्तियों को पट्टे पर नहीं दें, अपने उपयोग के लिए रखें : उच्च न्यायालय

रक्षा विभाग अपनी संपत्तियों को किराये के लिए व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को पट्टे पर देने के बजाय उन्हें अपने पास बनाये रखे ताकि और अधिक ढांचागत सुविधाओं को प्रदान किया जा सके. यह सुझाव मद्रास उच्च न्यायालय ने दिया है.

Madras HC etv bharat
मद्रास उच्च न्यायालय
author img

By

Published : Nov 26, 2021, 10:39 PM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस. एम. सुब्रमण्यम ने मेजर सी. साथिया मूर्ति गोपालन एवं दो अन्य लोगों की रिट याचिकाओं को 23 नवंबर को खारिज करते हुए यह सुझाव दिया.

तीनों पेट्रोल पंप के मालिक हैं. तीनों ने एक दशक से अधिक समय से किराये के रूप में कई करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने के लिए विभाग द्वारा उन्हें जमीन से हटाए जाने की कार्रवाई को चुनौती दी है.

तथ्यों एवं परिस्थितियों पर गौर करने के बाद न्यायाधीश ने पाया कि रक्षा विभाग को अपनी संपत्तियों की देखरेख करने में कठिनाई आ रही है और उनमें से कुछ को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पट्टे पर दे रखा है. न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि रक्षा संपत्तियों का उपयोग उसे अपने फायदे के लिए ढांचागत सुविधाओं में करना चाहिए.

अदालत ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) को किराये पर दी गई पंप की जमीन पर याचिकाकर्ता दस वर्षों से अधिक समय से काबिज हैं, इसलिए उन्हें इसे खाली कर सवाल खड़े करने का अधिकार नहीं है. साथ ही आईओसी को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता पंप को तत्काल प्रभाव से सभी पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति बंद करें.

उन्होंने कहा कि इसे जमीन को खाली कर देना चाहिए और उसे रक्षा संपदा अधिकारी (डीईओ) को दो महीने के अंदर सौंप देना चाहिए.

पढ़ें : कांग्रेस ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का किया स्वागत किया, केंद्र को भी बताया जिम्मेदार

(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस. एम. सुब्रमण्यम ने मेजर सी. साथिया मूर्ति गोपालन एवं दो अन्य लोगों की रिट याचिकाओं को 23 नवंबर को खारिज करते हुए यह सुझाव दिया.

तीनों पेट्रोल पंप के मालिक हैं. तीनों ने एक दशक से अधिक समय से किराये के रूप में कई करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने के लिए विभाग द्वारा उन्हें जमीन से हटाए जाने की कार्रवाई को चुनौती दी है.

तथ्यों एवं परिस्थितियों पर गौर करने के बाद न्यायाधीश ने पाया कि रक्षा विभाग को अपनी संपत्तियों की देखरेख करने में कठिनाई आ रही है और उनमें से कुछ को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पट्टे पर दे रखा है. न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि रक्षा संपत्तियों का उपयोग उसे अपने फायदे के लिए ढांचागत सुविधाओं में करना चाहिए.

अदालत ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) को किराये पर दी गई पंप की जमीन पर याचिकाकर्ता दस वर्षों से अधिक समय से काबिज हैं, इसलिए उन्हें इसे खाली कर सवाल खड़े करने का अधिकार नहीं है. साथ ही आईओसी को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता पंप को तत्काल प्रभाव से सभी पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति बंद करें.

उन्होंने कहा कि इसे जमीन को खाली कर देना चाहिए और उसे रक्षा संपदा अधिकारी (डीईओ) को दो महीने के अंदर सौंप देना चाहिए.

पढ़ें : कांग्रेस ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का किया स्वागत किया, केंद्र को भी बताया जिम्मेदार

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.