चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस. एम. सुब्रमण्यम ने मेजर सी. साथिया मूर्ति गोपालन एवं दो अन्य लोगों की रिट याचिकाओं को 23 नवंबर को खारिज करते हुए यह सुझाव दिया.
तीनों पेट्रोल पंप के मालिक हैं. तीनों ने एक दशक से अधिक समय से किराये के रूप में कई करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने के लिए विभाग द्वारा उन्हें जमीन से हटाए जाने की कार्रवाई को चुनौती दी है.
तथ्यों एवं परिस्थितियों पर गौर करने के बाद न्यायाधीश ने पाया कि रक्षा विभाग को अपनी संपत्तियों की देखरेख करने में कठिनाई आ रही है और उनमें से कुछ को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पट्टे पर दे रखा है. न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि रक्षा संपत्तियों का उपयोग उसे अपने फायदे के लिए ढांचागत सुविधाओं में करना चाहिए.
अदालत ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) को किराये पर दी गई पंप की जमीन पर याचिकाकर्ता दस वर्षों से अधिक समय से काबिज हैं, इसलिए उन्हें इसे खाली कर सवाल खड़े करने का अधिकार नहीं है. साथ ही आईओसी को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता पंप को तत्काल प्रभाव से सभी पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति बंद करें.
उन्होंने कहा कि इसे जमीन को खाली कर देना चाहिए और उसे रक्षा संपदा अधिकारी (डीईओ) को दो महीने के अंदर सौंप देना चाहिए.
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(पीटीआई-भाषा)