सूरत: दीपावली और छठ पूजा के लिए अपने-अपने गांव जाने के लिए लोंगों की भारी भीड़ रेलवे स्टेशन में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. त्योहार की वजह से उत्तर भारत की अधिकांश ट्रेनें पैक हैं. हालत यह है कि ट्रेन के जनरल कोच में बेठने के लिए लोग 24 से 48 घंटे पहले ही रेलवे स्टेशन पहुंच जा रहे हैं. वहीं भीड़ के चलते सूरत से छपरा जाने वाली ताप्ती गंगा एक्सप्रेस में घंटों लाइन में खड़े कुछ यात्री टिकट होने के बावजूद ट्रेन में नहीं चढ़ सके. इतना ही नहीं, कुछ यात्रियों को ट्रेन की खिड़की या शौचालय में भी बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा.
बता दें कि सूरत में लाखों की संख्या मे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ के लोग रहते हैं. इस तरह सूरत शहर में उत्तर भारत के करीब 25 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, लेकिन यहां से केवल एक ही ऐसी ट्रेन है जो नियमित है और वो यूपी तक जाती है. इसके अलावा साप्ताहिक ट्रेनें भी हैं. हालांकि सीजन के समय यह ट्रेनें फुल हो जाती हैं, ऐसी ही स्थिति की वजह से लोगों को भारी मुश्कलों का सामना करना पड़ता है.
दिवाली से ठीक दो दिन पहले सूरत रेलवे स्टेशन पर ताप्ती गंगा एक्सप्रेस ट्रेन की 1700 सीटों के लिए रेलवे स्टेशन पर 5,000 से ज्यादा यात्री नजर आए. फलस्वरूप बिना कन्फर्म और वेटिंग टिकट लिए जनरल कोच में बैठने के लिए पूरे प्लेटफार्म तक लाइन लग गई. वहीं भीड़ के चलते कई यात्री ट्रेन में नहीं चढ़ सके.
इस बारे में महिला यात्री नीलू ने बताया कि हम शाम 4:00 बजे से रेलवे स्टेशन पर बैठे हैं. छोटे-छोटे बच्चे भी हैं लेकिन इतनी भीड़ थी कि हम ट्रेन में चढ़ ही नहीं सके. दीपावली की छुट्टी में हम अपने गृहनगर प्रतापगढ़ जाने के लिए आये थे लेकिन भारी भीड़ के कारण ट्रेन मे बैठ नहीं सके और लाइन में लगने का और जल्दी आने का भी कोई मतलब नहीं रहा. इसी तरह बिहार के अमरसिंह ने कहा कि ट्रेन के कोच के अंदर बहुत गर्मी है और मरीज परेशान हैं, जिस वजह से मैं खिड़की पर बैठा हूं. गाड़ी चलेगी तो मैं अंदर बैठ जाऊंगा. उन्होंने कहा कि रिजर्वेशन टिकट नहीं मिल मिलने से जनरल टिकट लिया.
इसी प्रकार किशोर ने कहा कि मैं यूपी के मानेकपुर जाने के लिए आया हूं, लेकिन मेरे दो बच्चे भी मेरे साथ हैं इसलिए मैं नहीं जा सका क्योंकि ट्रेन में इतनी भीड़ थी कि बैठने की जगह नहीं है. उसने बताया कि वह वापी से घर जाने के लिए आया था. वहीं दशरथ नामक यात्री ने कहा कि मैं कल से खड़ा हूं. तीन टिकट रीग्रेट हो गई. कुछ लोग टिकट की कालाबाजारी करते हैं और जो लोग पैसे देते हैं उन्हें ट्रेन के अंदर धकेल दिया जाता है. हम कई घंटों तक खड़े रहे लेकिन बैठ नहीं सके.
इसी क्रम में भूपेन्द्र यादव ने कहा कि मैं छठ पूजा के लिए अपने घर छपरा जा रहा हूं लेकिन बैठने की जगह नहीं होने के कारण मैं शौचालय में बैठ रहा हूं. उसने कहा कि आप देख सकते हैं हम मजबूर हैं क्योंकि टिकट उपलब्ध नहीं है और बैठने की जगह भी नहीं है. वहीं भीड़ के चलते यात्री ट्रेनों में अंदर जाने के लिए आपातकालीन खिड़कियों का उपयोग कर रहे हैं. कुलियों के द्वारा इस आपातकालीन खिड़की के माध्यम से एक-एक करके कई यात्रियों को अंदर बैठाया जा रहा है.
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