ETV Bharat / bharat

शादी देव मंदिर: जहां हर कुंवारों की खुलती है किस्मत, दिवाली पर दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं बाधाएं

author img

By

Published : Oct 19, 2022, 1:11 PM IST

दीपावली पर जहां धन समृद्धि के लिए लोग माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं. वहीं अजमेर में एक धार्मिक स्थल ऐसा भी है जहां कुंवारे युवक-युवतियों का मेला लगता है (unmarried youngsters fair at Ajmer ). कहते हैं शादी के इच्छुकों को दीवाली पर की गई विशेष पूजा अर्चना का लाभ पूरा मिलता है तभी तो भक्त खोबरा भैरवनाथ को शादी देव के नाम से भी पुकारते हैं.

Shadi Dev Mandir
शादी देव मंदिर

अजमेर. राजस्थान के हृदयस्थल यानी अजमेर के आनासागर झील से सटी पहाड़ी पर स्थित मंदिर में विराजे हैं खोबरा नाथ भैरव (unmarried youngsters fair at Ajmer ). इस ऐतिहासिक शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक है ये धार्मिक स्थल. शहर की स्थापना अजय पाल ने की थी कहते हैं कि तभी से भैरवनाथ यहां मौजूद हैं.

जानते हैं इतिहास: बताया जाता है कि चौहान वंश की आराध्य देवी चामुंडा माता मंदिर और खोबरानाथ भैरव की पूजा अर्चना चौहान वंश के राजा किया करते थे. बाद में जीर्णशीर्ण मंदिर की मरम्मत करवा पुनः मंदिर की स्थापना मराठा काल में हुई. यहां साल भर दूर दराज से लोग दर्शन लाभ लेने के लिए पधारते हैं. लोगों की आस्था है कि भगवान शिव के द्वारपाल माने जाने वाले खोबरा नाथ भैरव हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं.

दिवाली पर दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं बाधाएं

खोबरा नाथ कायस्थों के इष्टदेव माने जाते हैं. तभी दीपावली के दिन कायस्थ समाज के लोग विशेषकर मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए जुटते हैं. इस दिन खोबरा भैरव नाथ का मेला भरता है. सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. श्रद्धालु भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद ही अपने घरों में दीपावली की पूजा अर्जना कर खुशियां मनाते हैं.

पढ़ें- सुशीला किन्नर की पॉजिटिव जिद्द! दिवाली पर बेचेंगी मात्र 10 रुपए में देसी घी की मिठाइयां

7 दिन तक कुंवारे जलाते हैं दीपक: खोबरा नाथ मंदिर के पुजारी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि वर्षों से लोगों की गहरी आस्था खोबरा नाथ भैरव मंदिर में रही है. दीपावली पर मंदिर में मेले का आयोजन होता है. श्रद्धालुओं की भीड़ में ज्यादा कुंवारों की संख्या अधिक रहती है. मान्यतानुसार 7 दिन तक शादी के ख्वाहिश रखने वाले बाबा के दरबार में शाम के वक्त दीपक जलाते हैं. दीवाली से पहले ही दिया जलाने का क्रम शुरू होता है और ऐन दीपावली के दिन आखिरी दिया जलाते हैं.

अर्जी मौली वाली: कहते हैं दिया जलाने से खोबरा भैरवनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त पर आशीर्वाद बरसाते हैं. कुंवारों को जल्द ही खुशखबरी मिलती है और उनका घर बस जाता है. वहीं जो कुंवारे नही आ पाते उनके परिजन या रिश्तेदार बाबा खोबरा नाथ भैरव के नजदीक अर्जी मौली से बांध देते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद नव दंपती को यहां मत्था टेकने आना होता है. वो श्रद्धा अनुसार भोग लगाकर अपनी मन्नत उतार देते हैं यानी मौली का धागा खोल देते हैं.

गुफा में गर्भ गृह: पंडित ललित मोहन शर्मा बताते हैं कि राजस्थान के अन्य जिलों के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, मुंबई तक से श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं. मंदिर में गर्भ गृह एक बड़ी सी चट्टान में बनी गुफा के अंदर है. ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर से आनासागर झील का विहंगम दृश्य और अजमेर का नैसर्गिक सौंदर्य भी नजर आता है. लिहाजा विदेशी पर्यटक भी मंदिर में आते हैं और यहां का इतिहास जानकर अभिभूत हो जाते हैं.

अजमेर. राजस्थान के हृदयस्थल यानी अजमेर के आनासागर झील से सटी पहाड़ी पर स्थित मंदिर में विराजे हैं खोबरा नाथ भैरव (unmarried youngsters fair at Ajmer ). इस ऐतिहासिक शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक है ये धार्मिक स्थल. शहर की स्थापना अजय पाल ने की थी कहते हैं कि तभी से भैरवनाथ यहां मौजूद हैं.

जानते हैं इतिहास: बताया जाता है कि चौहान वंश की आराध्य देवी चामुंडा माता मंदिर और खोबरानाथ भैरव की पूजा अर्चना चौहान वंश के राजा किया करते थे. बाद में जीर्णशीर्ण मंदिर की मरम्मत करवा पुनः मंदिर की स्थापना मराठा काल में हुई. यहां साल भर दूर दराज से लोग दर्शन लाभ लेने के लिए पधारते हैं. लोगों की आस्था है कि भगवान शिव के द्वारपाल माने जाने वाले खोबरा नाथ भैरव हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं.

दिवाली पर दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं बाधाएं

खोबरा नाथ कायस्थों के इष्टदेव माने जाते हैं. तभी दीपावली के दिन कायस्थ समाज के लोग विशेषकर मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए जुटते हैं. इस दिन खोबरा भैरव नाथ का मेला भरता है. सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. श्रद्धालु भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद ही अपने घरों में दीपावली की पूजा अर्जना कर खुशियां मनाते हैं.

पढ़ें- सुशीला किन्नर की पॉजिटिव जिद्द! दिवाली पर बेचेंगी मात्र 10 रुपए में देसी घी की मिठाइयां

7 दिन तक कुंवारे जलाते हैं दीपक: खोबरा नाथ मंदिर के पुजारी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि वर्षों से लोगों की गहरी आस्था खोबरा नाथ भैरव मंदिर में रही है. दीपावली पर मंदिर में मेले का आयोजन होता है. श्रद्धालुओं की भीड़ में ज्यादा कुंवारों की संख्या अधिक रहती है. मान्यतानुसार 7 दिन तक शादी के ख्वाहिश रखने वाले बाबा के दरबार में शाम के वक्त दीपक जलाते हैं. दीवाली से पहले ही दिया जलाने का क्रम शुरू होता है और ऐन दीपावली के दिन आखिरी दिया जलाते हैं.

अर्जी मौली वाली: कहते हैं दिया जलाने से खोबरा भैरवनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त पर आशीर्वाद बरसाते हैं. कुंवारों को जल्द ही खुशखबरी मिलती है और उनका घर बस जाता है. वहीं जो कुंवारे नही आ पाते उनके परिजन या रिश्तेदार बाबा खोबरा नाथ भैरव के नजदीक अर्जी मौली से बांध देते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद नव दंपती को यहां मत्था टेकने आना होता है. वो श्रद्धा अनुसार भोग लगाकर अपनी मन्नत उतार देते हैं यानी मौली का धागा खोल देते हैं.

गुफा में गर्भ गृह: पंडित ललित मोहन शर्मा बताते हैं कि राजस्थान के अन्य जिलों के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, मुंबई तक से श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं. मंदिर में गर्भ गृह एक बड़ी सी चट्टान में बनी गुफा के अंदर है. ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर से आनासागर झील का विहंगम दृश्य और अजमेर का नैसर्गिक सौंदर्य भी नजर आता है. लिहाजा विदेशी पर्यटक भी मंदिर में आते हैं और यहां का इतिहास जानकर अभिभूत हो जाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.