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CJI DY CHANDRACHUD : सीजेआई ने कहा-न्यायाधीशों का तकनीक इस्तेमाल न करना चिंताजनक

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने न्यायाधीशों के तकनीक इस्तेमाल नहीं करने पर चिंता जताई. सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ वर्चुअल सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

CJI DY CHANDRACHUD
भारत के प्रधान न्यायाधीश
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Published : Feb 13, 2023, 10:29 PM IST

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने सोमवार को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा प्रौद्योगिकी पर प्रतिबंध लगाने और तकनीकी बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए आवंटित सरकार के धन का उपयोग नहीं करने पर निराशा व्यक्त की. सीजेआई ने कहा कि वह कुछ मुख्य न्यायाधीशों से 'काफी परेशान' (deeply disturbed) हैं.

सीजेआई ने कहा कि 'यह सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात है कि उच्च न्यायालयों के कुछ मुख्य न्यायाधीश वर्चुअल सुनवाई के लिए स्थापित तकनीक को खत्म कर रहे हैं. यह जनता के पैसे के साथ डील करने का तरीका नहीं है. ऐसा नहीं है कि आप टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं या नहीं, लेकिन आप उनको बुनियादी ढांचे से दूर नहीं कर सकते.'

उन्होंने कहा कि एक कारण जो न्यायाधीश देते हैं वह यह है कि अगर वे अदालतों में पेश हो सकते हैं तो वकील भी कर सकते हैं लेकिन जिन शर्तों के तहत एक न्यायाधीश को काम के लिए पेश होना पड़ता है और जिन शर्तों के तहत एक वकील पेश होता है वे पूरी तरह से अलग होते हैं. उन्होंने कहा कि अदालतों को एक-एक अधिवक्ता तक पहुंचना है, सरकार द्वारा दिए गए पैसे का सदुपयोग करना है.

सीजेआई ने कहा कि प्रौद्योगिकी केवल महामारी के लिए नहीं थी, यह यहां हमेशा के लिए रहने वाली है. उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन की तरह, जिसका इस्तेमाल आजकल हर कोई करता है, कोर्ट की तकनीक का इस्तेमाल करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करेगा कि हर कोई एक ही लाइन पर खड़ा हो, इसे पसंद करने या न करने का कोई सवाल ही नहीं है.

पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला भी शामिल थे, जो वर्चुअल सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने विभिन्न राज्य बार संघों से हाइब्रिड सुनवाई पर उनके रुख के बारे में रिपोर्ट मांगी और कहा कि प्रौद्योगिकी को उन्हें उपलब्ध कराया जाए.

सीजेआई ने कहा कि 'प्रौद्योगिकी समावेशन के लिए होनी चाहिए. हमें पिरामिड की निचली परत के बारे में भी सोचना होगा, न कि केवल शीर्ष के बारे में जो आप यहां देख रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि ई सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं ताकि ग्रामीण स्तर पर भी सभी अधिवक्ता सुविधाओं तक पहुंच सकें, निर्णयों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है क्योंकि सभी अधिवक्ता अंग्रेजी नहीं समझ सकते हैं और आईआईटी मद्रास इसमें मदद कर रहा है. उन्होंने कहा कि संसदीय समिति अत्यंत ग्रहणशील रहा है, यह CJI रमना के कार्यकाल के दौरान सर्वोच्च न्यायालय में आया था, यह प्रौद्योगिकी के लिए धन आवंटित करने के लिए तैयार था और अब इसने ई अदालतों के लिए 7000 करोड़ रुपये दिए हैं जिनका उपयोग करने की आवश्यकता है, यह न्यायाधीशों के लिए नहीं बल्कि कल्याण के लिए बड़ा है.

पढ़ें- CJI DY Chandrachud: कानूनी प्रणाली में प्रौद्योगिकी एक शक्तिशाली उपकरण: सीजेआई

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने सोमवार को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा प्रौद्योगिकी पर प्रतिबंध लगाने और तकनीकी बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए आवंटित सरकार के धन का उपयोग नहीं करने पर निराशा व्यक्त की. सीजेआई ने कहा कि वह कुछ मुख्य न्यायाधीशों से 'काफी परेशान' (deeply disturbed) हैं.

सीजेआई ने कहा कि 'यह सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात है कि उच्च न्यायालयों के कुछ मुख्य न्यायाधीश वर्चुअल सुनवाई के लिए स्थापित तकनीक को खत्म कर रहे हैं. यह जनता के पैसे के साथ डील करने का तरीका नहीं है. ऐसा नहीं है कि आप टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं या नहीं, लेकिन आप उनको बुनियादी ढांचे से दूर नहीं कर सकते.'

उन्होंने कहा कि एक कारण जो न्यायाधीश देते हैं वह यह है कि अगर वे अदालतों में पेश हो सकते हैं तो वकील भी कर सकते हैं लेकिन जिन शर्तों के तहत एक न्यायाधीश को काम के लिए पेश होना पड़ता है और जिन शर्तों के तहत एक वकील पेश होता है वे पूरी तरह से अलग होते हैं. उन्होंने कहा कि अदालतों को एक-एक अधिवक्ता तक पहुंचना है, सरकार द्वारा दिए गए पैसे का सदुपयोग करना है.

सीजेआई ने कहा कि प्रौद्योगिकी केवल महामारी के लिए नहीं थी, यह यहां हमेशा के लिए रहने वाली है. उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन की तरह, जिसका इस्तेमाल आजकल हर कोई करता है, कोर्ट की तकनीक का इस्तेमाल करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करेगा कि हर कोई एक ही लाइन पर खड़ा हो, इसे पसंद करने या न करने का कोई सवाल ही नहीं है.

पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला भी शामिल थे, जो वर्चुअल सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने विभिन्न राज्य बार संघों से हाइब्रिड सुनवाई पर उनके रुख के बारे में रिपोर्ट मांगी और कहा कि प्रौद्योगिकी को उन्हें उपलब्ध कराया जाए.

सीजेआई ने कहा कि 'प्रौद्योगिकी समावेशन के लिए होनी चाहिए. हमें पिरामिड की निचली परत के बारे में भी सोचना होगा, न कि केवल शीर्ष के बारे में जो आप यहां देख रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि ई सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं ताकि ग्रामीण स्तर पर भी सभी अधिवक्ता सुविधाओं तक पहुंच सकें, निर्णयों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है क्योंकि सभी अधिवक्ता अंग्रेजी नहीं समझ सकते हैं और आईआईटी मद्रास इसमें मदद कर रहा है. उन्होंने कहा कि संसदीय समिति अत्यंत ग्रहणशील रहा है, यह CJI रमना के कार्यकाल के दौरान सर्वोच्च न्यायालय में आया था, यह प्रौद्योगिकी के लिए धन आवंटित करने के लिए तैयार था और अब इसने ई अदालतों के लिए 7000 करोड़ रुपये दिए हैं जिनका उपयोग करने की आवश्यकता है, यह न्यायाधीशों के लिए नहीं बल्कि कल्याण के लिए बड़ा है.

पढ़ें- CJI DY Chandrachud: कानूनी प्रणाली में प्रौद्योगिकी एक शक्तिशाली उपकरण: सीजेआई

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