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उत्तराखंड बीजेपी में शीतयुद्ध : पूर्व सीएम त्रिवेंद्र और मंत्री गणेश जोशी के बीच बढ़ी तल्खी, वजह ये तो नहीं - Debate in the politics of Uttarakhand

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मंत्री गणेश जोशी के बीच इन दिनों कोल्ड वॉर चल रहा है. मंत्री ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र पर वार किया, तो उन्होंने पलटवार किया. आइए आपको बताते हैं इस शीतयुद्ध की वजह.

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Published : May 12, 2021, 8:50 PM IST

देहरादून : जुबानी जंग की शुरुआत नए-नए मंत्री बने गणेश जोशी ने की. फिर क्या था, त्रिवेंद्र ने ऐसा पलटवार किया कि गणेश जोशी भी उससे सहम गए होंगे. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गणेश जोशी की टिप्पणी को ही महत्वहीन करार दे दिया.

दरअसल, ये अदावत तब शुरू हुई जब गणेश जोशी ने उत्तराखंड में कोरोना के सुरसा की तरह बढ़ते केस पर बयान दिया. जोशी ने कह दिया कि 'राज्य सरकार को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि कोरोना की दूसरी लहर भी आ सकती है'. इसके लिए उन्होंने अपनी ही पार्टी की पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया. बात यहीं तक नहीं रुकी उन्होंने सीधे-सीधे कह दिया कि- 'त्रिवेंद्र सरकार में कोरोना को लेकर बड़ी लापरवाही हुई, और समय पर सही व्यवस्था रखते तो ऐसे दिन न देखने पड़ते'.

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र और मंत्री गणेश जोशी के बीच बढ़ी तल्खी.

कम्युनिटी फॉर सोशल डेवलपमेंट के आकलन में सामने आया है कि हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक मृत्यु दर उत्तराखंड में है. उत्तराखंड में प्रति लाख पर मरने वालों की संख्या करीब 37 है. जबकि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में यह मात्र आठ और हिमाचल में 28 है. इसी को लेकर मसूरी से विधायक और सैनिक कल्याण और औद्योगिक विकास मंत्री गणेश जोशी ने पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साध दिया.

खटास की वजह क्या है ?

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र और गणेश जोशी के बीच विवाद आज का नहीं, बल्कि 2017 से है. दरअसल, जब त्रिवेंद्र रावत 2017 में मुख्यमंत्री बने थे, तो मसूरी विधायक गणेश जोशी को उम्मीद थी कि उन्हें मिनिस्ट्री मिलेगी. लेकिन त्रिवेंद्र रावत ने अपने चार साल के कार्यकाल में गणेश जोशी को मंत्री नहीं बनाया. शायद यही उनकी खुन्नस का कारण रहा हो.

अब जब इसी साल 9 मार्च को त्रिवेंद्र रावत को मुख्यमंत्री के पद से हटाकर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया तो अपनी शपथ के साथ ही तीरथ ने गणेश जोशी को मंत्री बना दिया. मंत्री बनने के बाद गणेश जोशी ने सोचा होगा कि एक तीर से दो निशाने कर दिए जाएं. दरअसल, कोरोना से कोहराम मचा है. इसी के बहाने गणेश जोशी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर निशाना साध दिया.

ये भी पढ़िए: खास मुलाकात: त्रिवेंद्र ने गणेश जोशी को बताया अनुभवहीन, कहा- उनकी टिप्पणी महत्वहीन

विवादों से है खास नाता

विवाद नंबर 1

विवादों से खास नाता.
विवादों से खास नाता.

उत्तराखंड में मोदी आरती का जाप करने पर कांग्रेस के निशाने पर आए थे. गणेश जोशी ने कहा था कि भगवान ने यदि मुझे ताकत दी तो मैं अपने घर के मंदिर में पीएम नरेंद्र मोदी की मूर्ति भी लगाऊंगा. जिस तरह मैं भगवान की पूजा करता हूं वैसे ही उनकी पूजा करूंगा.

विवाद नंबर 2

विवादों से खास नाता.
विवादों से खास नाता.

मार्च 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा निकाला था. इस मोर्चे में बीजेपी समर्थक और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी. इसी मोर्चे में बीजेपी के विधायक गणेश जोशी ने पुलिस की लाठी लेकर शक्तिमान नामक घोड़े के पैर पर फटकारा था. जिसके कारण उसका एक पैर टूट गया था. इस घटना के बाद गणेश जोशी की काफी किरकिरी हुई थी. हालांकि, बीजेपी सरकार आते ही गणेश जोशी के खिलाफ मुकदमा वापस ले लिया गया.

विवाद नंबर 3

विवादों से खास नाता.
विवादों से खास नाता.

वर्ष 2012 में देहरादून रेसकोर्स में विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ी जमीन पर कब्जे को लेकर विवाद.

विवाद नंबर 4

विवादों से खास नाता.
विवादों से खास नाता.

गणेश जोशी 7 मई को पिथौरागढ़ और चंपावत के दौरे पर गए थे. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने जोशी के इन दौरों को फिजूलखर्ची बताया था. ईटीवी भारत ने भी जब गणेश जोशी से इन दौरों के बारे में पूछा था तो वो संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे.

विवादों को दामन में लपेटे रखने वाले गणेश जोशी ने जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर निशाना साधा, तो भला त्रिवेंद्र क्यों चुप रहते. उन्होंने गणेश जोशी को अनुभवहीन और उनकी टिप्पणी को महत्वहीन करार दे दिया.

शायद गणेश जोशी को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से इतनी जल्दी और इतने तीखे जवाब की उम्मीद नहीं रही होगी. अब दिलचस्प बात ये होगी कि दोनों के बीच जुबानी जंग जारी रहती है या फिर दोनों ही एक-दूसरे पर वार-प्रतिवार जारी रखते हैं. या बीजेपी आलाकमान दोनों के बीच के विवाद को सुलझाता है.

आइए अब आपको बताते हैं कि गणेश जोशी कौन हैं.

कौन हैं गणेश जोशी.
कौन हैं गणेश जोशी.

गणेश जोशी मसूरी से बीजेपी के विधायक हैं.

सैनिक परिवार में जन्मे जोशी भी सैनिक रहे हैं.

सेना द्वारा उत्कृष्ठ सेवा के लिए सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया.

जून 1983 में अस्वस्थता के कारण सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ली.

विधायक के रूप में

2012 में मसूरी निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधानसभा के लिए चुने गए.

गणेश जोशी ने कांग्रेस पार्टी के जोत सिंह गुनसोला को हराया था.

2017 में कांग्रेस पार्टी की गोदावरी थापली को 12,077 मतों से हराकर मसूरी से दूसरी बार विधायक बने.

देहरादून : जुबानी जंग की शुरुआत नए-नए मंत्री बने गणेश जोशी ने की. फिर क्या था, त्रिवेंद्र ने ऐसा पलटवार किया कि गणेश जोशी भी उससे सहम गए होंगे. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गणेश जोशी की टिप्पणी को ही महत्वहीन करार दे दिया.

दरअसल, ये अदावत तब शुरू हुई जब गणेश जोशी ने उत्तराखंड में कोरोना के सुरसा की तरह बढ़ते केस पर बयान दिया. जोशी ने कह दिया कि 'राज्य सरकार को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि कोरोना की दूसरी लहर भी आ सकती है'. इसके लिए उन्होंने अपनी ही पार्टी की पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया. बात यहीं तक नहीं रुकी उन्होंने सीधे-सीधे कह दिया कि- 'त्रिवेंद्र सरकार में कोरोना को लेकर बड़ी लापरवाही हुई, और समय पर सही व्यवस्था रखते तो ऐसे दिन न देखने पड़ते'.

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र और मंत्री गणेश जोशी के बीच बढ़ी तल्खी.

कम्युनिटी फॉर सोशल डेवलपमेंट के आकलन में सामने आया है कि हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक मृत्यु दर उत्तराखंड में है. उत्तराखंड में प्रति लाख पर मरने वालों की संख्या करीब 37 है. जबकि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में यह मात्र आठ और हिमाचल में 28 है. इसी को लेकर मसूरी से विधायक और सैनिक कल्याण और औद्योगिक विकास मंत्री गणेश जोशी ने पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साध दिया.

खटास की वजह क्या है ?

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र और गणेश जोशी के बीच विवाद आज का नहीं, बल्कि 2017 से है. दरअसल, जब त्रिवेंद्र रावत 2017 में मुख्यमंत्री बने थे, तो मसूरी विधायक गणेश जोशी को उम्मीद थी कि उन्हें मिनिस्ट्री मिलेगी. लेकिन त्रिवेंद्र रावत ने अपने चार साल के कार्यकाल में गणेश जोशी को मंत्री नहीं बनाया. शायद यही उनकी खुन्नस का कारण रहा हो.

अब जब इसी साल 9 मार्च को त्रिवेंद्र रावत को मुख्यमंत्री के पद से हटाकर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया तो अपनी शपथ के साथ ही तीरथ ने गणेश जोशी को मंत्री बना दिया. मंत्री बनने के बाद गणेश जोशी ने सोचा होगा कि एक तीर से दो निशाने कर दिए जाएं. दरअसल, कोरोना से कोहराम मचा है. इसी के बहाने गणेश जोशी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर निशाना साध दिया.

ये भी पढ़िए: खास मुलाकात: त्रिवेंद्र ने गणेश जोशी को बताया अनुभवहीन, कहा- उनकी टिप्पणी महत्वहीन

विवादों से है खास नाता

विवाद नंबर 1

विवादों से खास नाता.
विवादों से खास नाता.

उत्तराखंड में मोदी आरती का जाप करने पर कांग्रेस के निशाने पर आए थे. गणेश जोशी ने कहा था कि भगवान ने यदि मुझे ताकत दी तो मैं अपने घर के मंदिर में पीएम नरेंद्र मोदी की मूर्ति भी लगाऊंगा. जिस तरह मैं भगवान की पूजा करता हूं वैसे ही उनकी पूजा करूंगा.

विवाद नंबर 2

विवादों से खास नाता.
विवादों से खास नाता.

मार्च 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा निकाला था. इस मोर्चे में बीजेपी समर्थक और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी. इसी मोर्चे में बीजेपी के विधायक गणेश जोशी ने पुलिस की लाठी लेकर शक्तिमान नामक घोड़े के पैर पर फटकारा था. जिसके कारण उसका एक पैर टूट गया था. इस घटना के बाद गणेश जोशी की काफी किरकिरी हुई थी. हालांकि, बीजेपी सरकार आते ही गणेश जोशी के खिलाफ मुकदमा वापस ले लिया गया.

विवाद नंबर 3

विवादों से खास नाता.
विवादों से खास नाता.

वर्ष 2012 में देहरादून रेसकोर्स में विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ी जमीन पर कब्जे को लेकर विवाद.

विवाद नंबर 4

विवादों से खास नाता.
विवादों से खास नाता.

गणेश जोशी 7 मई को पिथौरागढ़ और चंपावत के दौरे पर गए थे. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने जोशी के इन दौरों को फिजूलखर्ची बताया था. ईटीवी भारत ने भी जब गणेश जोशी से इन दौरों के बारे में पूछा था तो वो संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे.

विवादों को दामन में लपेटे रखने वाले गणेश जोशी ने जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर निशाना साधा, तो भला त्रिवेंद्र क्यों चुप रहते. उन्होंने गणेश जोशी को अनुभवहीन और उनकी टिप्पणी को महत्वहीन करार दे दिया.

शायद गणेश जोशी को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से इतनी जल्दी और इतने तीखे जवाब की उम्मीद नहीं रही होगी. अब दिलचस्प बात ये होगी कि दोनों के बीच जुबानी जंग जारी रहती है या फिर दोनों ही एक-दूसरे पर वार-प्रतिवार जारी रखते हैं. या बीजेपी आलाकमान दोनों के बीच के विवाद को सुलझाता है.

आइए अब आपको बताते हैं कि गणेश जोशी कौन हैं.

कौन हैं गणेश जोशी.
कौन हैं गणेश जोशी.

गणेश जोशी मसूरी से बीजेपी के विधायक हैं.

सैनिक परिवार में जन्मे जोशी भी सैनिक रहे हैं.

सेना द्वारा उत्कृष्ठ सेवा के लिए सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया.

जून 1983 में अस्वस्थता के कारण सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ली.

विधायक के रूप में

2012 में मसूरी निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधानसभा के लिए चुने गए.

गणेश जोशी ने कांग्रेस पार्टी के जोत सिंह गुनसोला को हराया था.

2017 में कांग्रेस पार्टी की गोदावरी थापली को 12,077 मतों से हराकर मसूरी से दूसरी बार विधायक बने.

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