देहरादून: बीते रोज उत्तराखंड में सीबीआई को लेकर दो खबरें खूब चलीं. एक मामला भाजपा के विधायक द्वारा पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के श्रम विभाग में हुई तमाम अनियमितताओं पर सीबीआई जांच को लेकर था. दूसरा मामला पूर्व में एनएच घोटाले में शामिल अधिकारी के ठिकानों पर हुई सीबीआई की रेड को लेकर था.
हरक और यशपाल का क्या होगा? : इन दोनों मामलों के तार कहीं ना कहीं से हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य से जुड़ते हैं. वहीं हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य सत्ता के वही दो बड़े चेहरे हैं जो कि अब तक की सरकारों में सत्तासीन रहे हैं. दोनों चुनाव से ठीक पहले पाला पलटकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. लेकिन अब सत्ता से भी बेदखल हो गए हैं. ऐसे में कांग्रेस सवाल पूछ रही है कि क्यों आखिर जांच एजेंसियों के तार भाजपा से कांग्रेस में आए नेताओं की ओर मुड़ रहे हैं.
कांग्रेस ने लगाया जांच एजेंसियों के इस्तेमाल का आरोप: कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि जब तक यह नेता भाजपा में थे तो यह पाक साफ थे. अब जैसे ही यह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए हैं, तो इन पर सीबीआई, ईडी समेत जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करते हुए बीजेपी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है.
BJP ने लगाए संगीन आरोप: वहीं भाजपा की बात करें तो भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और बाजपुर से भाजपा के प्रत्याशी रहे राजेश कुमार का कहना है कि एनएच 74 मामला प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला है. इसमें उस समय के सफेदपोश नेता पूरी तरह से शामिल थे. भाजपा प्रवक्ता ने तो यहां तक कहा कि उस समय सरकार में रहे कैबिनेट मंत्री जो कि राजस्व विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जरूर उनकी शह पर इस घोटाले को अंजाम दिया गया है. आज तक न जाने कितने किसान अपनी जमीन के मुआवजे को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
मुख्यमंत्री धामी ने क्या कहा? : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस के आरोपों को दरकिनार करते हुए कहा कि सरकार पहले भी भाजपा की थी. आज भी भाजपा की है. अगर पूर्वाग्रह की बात होती तो पहले से कार्रवाई की जाती. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसी भी तरह के पूर्वाग्रह में नहीं है. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी. जिसने गलती की है, उसे उसका अंजाम भुगतना पड़ेगा.
ये था श्रम विभाग का घोटाला: वर्ष 2017 से 2021 तक श्रम विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था. शासन ने श्रमिकों के लिए सिलाई मशीन, साइकिल व लड़कियों के विवाह सहित अन्य कार्यों के लिए श्रम विभाग को करोड़ों रुपये आवंटित किए थे. आरोप था कि जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं दिया गया. श्रमिकों को दी जाने वाली साइकिल, सिलाई मशीन सहित अन्य वस्तुओं के आवंटन में अनियमितता के आरोप लगे थे. आरोप लगाया कि कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं को गलत तरीके से धन आवंटन किया गया, जबकि वास्तविक श्रमिक इस योजना से वंचित रहे. इस दौरान ये मंत्रालय हरक सिंह रावत के पास था.
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ये था NH-74 घोटाला: हरिद्वार से ऊधम सिंह नगर जिले के सितारगंज तक 252 किमी दूरी के एनएच-74 के चौड़ीकरण के लिए वर्ष 2012-13 में प्रक्रिया शुरू की गई थी. कुछ किसानों ने अपनी कृषि भूमि को गैर कृषि दर्शाकर भारी-भरकम मुआवजा लेकर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया था. कुछ ऐसे किसान थे, जिन्होंने अफसरों, कर्मचारियों व दलालों से मिलीभगत कर बैकडेट में कृषि भूमि को अकृषि भूमि दर्शाकर करोड़ों रुपये मुआवजा ले लिया था. इससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था.
2017 में दर्ज हुआ था मुकदमा: इस मामले की कई बार शिकायत की गई तो एक मार्च 2017 को तत्कालीन कुमाऊं आयुक्त सेंथिल पांडियन ने रुद्रपुर कलक्ट्रेट में अफसरों की बैठक ली थी. इस दौरान उन्होंने एनएच-74 निर्माण कार्यों में प्रथम दृष्टया धांधली की आशंका जताई थी. इस आधार पर उन्होंने ऊधमसिंह नगर के तत्कालीन डीएम को जांच करने के निर्देश दिए थे. इस पर तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने 11 मार्च 2017 को सिडकुल चौकी में एनएच घोटाले का मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में पुलिस जांच में कई अधिकारियों के नाम सामने आए थे. इन पर शासन ने कार्रवाई भी की थी. पुलिस जांच के आधार पर कई अधिकारियों पर शासन ने एक्शन भी लिया था.
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