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India Canada Row : भारत के साथ राजनयिक विवाद, 2024 में कनाडा को हो सकता है 70 करोड़ डॉलर का नुकसान

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 5, 2023, 6:19 PM IST

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद (India Canada Row) के कारण उत्तरी अमेरिकी देश में उच्चतर शिक्षा के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 5 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है. इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को 2024 में कम से कम 700 मिलियन डॉलर का झटका लगने की संभावना है. ईटीवी भारत के अरुणिम भुइयां की रिपोर्ट.

India Canada Row
भारत कनाडा

नई दिल्ली: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कनाडा में एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या में नई दिल्ली का हाथ होने के विस्फोटक आरोप से भारत के साथ राजनयिक विवाद पैदा हो गया है, जिससे 2024 में उत्तर अमेरिकी राष्ट्र को कम से कम 700 मिलियन डॉलर (70 करोड़ डॉलर) का नुकसान हो सकता है. एक नए अध्ययन में ये बात सामने आई है.

नई दिल्ली स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक, इमेजइंडिया द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, यदि जनवरी 2024 में अध्ययन के लिए भारत से कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में 5 प्रतिशत की भी गिरावट आती है, तो कनाडाई अर्थव्यवस्था को कम से कम 700 मिलियन डॉलर का झटका लगेगा.

कनाडा के उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय छात्रों का वार्षिक प्रवेश लगभग 200,000 है. कनाडा में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक है. 2022 में वीजा पाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 2,25,000 थी. मुख्य आकर्षण अध्ययन के बाद का वर्क परमिट रहा है जो एक छात्र को शिक्षा पूरी होने के बाद मिलता है. अधिकांश मामलों में, इसकी अवधि एक से तीन वर्ष तक होती है.

इमेजइंडिया के अध्यक्ष रोबिंदर सचदेव ने ईटीवी भारत को बताया, 'कनाडाई संस्थानों द्वारा एक वर्ष में तीन बार छात्रों का प्रवेश होता है - जनवरी में, मई में और सितंबर में. हर साल कनाडाई संस्थानों में प्रवेश लेने वाले औसतन 200,000 भारतीय छात्रों में से लगभग एक तिहाई या 66,000 जनवरी में प्रवेश के दौरान कनाडा जाते हैं.'

अध्ययन में पाया गया कि राजनयिक विवाद से कनाडा और भारत दोनों में भारतीय छात्रों के बीच पैदा हुए भय मनोविकार को देखते हुए, अब अगर जनवरी में जाने वाले छात्रों की संख्या में 5 प्रतिशत या कुल 66,000 में से 3,300 की भी गिरावट होती है, तो कनाडाई अर्थव्यवस्था को 727 मिलियन डॉलर तक झटका लगेगा. इसमें ब्रेकअप देते हुए बताया गया है कि जनवरी में प्रवेश माह के दौरान कुल खर्च 16,000 डॉलर प्रति छात्र है.

सचदेव ने कहा कि 'इसमें लैपटॉप खरीद, आवास लागत, बैंक सुरक्षा और हवाई टिकट शामिल हैं. दो साल के अध्ययन और प्रवास का कुल खर्च लगभग 53,000 डॉलर प्रति छात्र आता है. दो वर्षों में कनाडा की अर्थव्यवस्था में प्रति छात्र डाला गया कुल पैसा 69,000 डॉलर है.'

अध्ययन में पाया गया है कि अगर जनवरी में कनाडा जाने वाले छात्रों में 5 प्रतिशत की गिरावट आती है या 3,300 कम छात्र जाते हैं, तो कनाडा की अर्थव्यवस्था को 230 मिलियन डॉलर का झटका लगेगा. यदि मई और सितंबर के दौरान भी 5 प्रतिशत की गिरावट होती है, तो कनाडाई अर्थव्यवस्था को कुल 690 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा.

इस 5 प्रतिशत की गिरावट से भारत में कनाडाई उच्चायोग को वीजा शुल्क के मामले में 3 मिलियन डॉलर का नुकसान भी होगा. इससे कनाडा के छोटे व्यवसायों के वेतन में भी वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था को 34 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा.

सचदेव ने समझाया, 'विदेशी छात्रों को प्रति घंटे 11 डॉलर के न्यूनतम वेतन पर सप्ताह में 20 घंटे काम करने की अनुमति है. लेकिन स्थानीय श्रमिक न्यूनतम वेतन पर काम नहीं करते हैं और प्रति घंटे कम से कम 2 डॉलर अधिक लेते हैं. इस कारण कनाडा के छोटे व्यवसायों को नुकसान होगा.'

डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि 2024 में कनाडा को कुल आर्थिक क्षति लगभग 727 मिलियन डॉलर होने की संभावना है. लगभग 50 प्रतिशत या 360 मिलियन डॉलर का नुकसान शिक्षा क्षेत्र में होगा जबकि अन्य 50 प्रतिशत नुकसान स्थानीय अर्थव्यवस्था को होगा.

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नई दिल्ली स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक, इमेजइंडिया द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, यदि जनवरी 2024 में अध्ययन के लिए भारत से कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में 5 प्रतिशत की भी गिरावट आती है, तो कनाडाई अर्थव्यवस्था को कम से कम 700 मिलियन डॉलर का झटका लगेगा.

कनाडा के उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय छात्रों का वार्षिक प्रवेश लगभग 200,000 है. कनाडा में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक है. 2022 में वीजा पाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 2,25,000 थी. मुख्य आकर्षण अध्ययन के बाद का वर्क परमिट रहा है जो एक छात्र को शिक्षा पूरी होने के बाद मिलता है. अधिकांश मामलों में, इसकी अवधि एक से तीन वर्ष तक होती है.

इमेजइंडिया के अध्यक्ष रोबिंदर सचदेव ने ईटीवी भारत को बताया, 'कनाडाई संस्थानों द्वारा एक वर्ष में तीन बार छात्रों का प्रवेश होता है - जनवरी में, मई में और सितंबर में. हर साल कनाडाई संस्थानों में प्रवेश लेने वाले औसतन 200,000 भारतीय छात्रों में से लगभग एक तिहाई या 66,000 जनवरी में प्रवेश के दौरान कनाडा जाते हैं.'

अध्ययन में पाया गया कि राजनयिक विवाद से कनाडा और भारत दोनों में भारतीय छात्रों के बीच पैदा हुए भय मनोविकार को देखते हुए, अब अगर जनवरी में जाने वाले छात्रों की संख्या में 5 प्रतिशत या कुल 66,000 में से 3,300 की भी गिरावट होती है, तो कनाडाई अर्थव्यवस्था को 727 मिलियन डॉलर तक झटका लगेगा. इसमें ब्रेकअप देते हुए बताया गया है कि जनवरी में प्रवेश माह के दौरान कुल खर्च 16,000 डॉलर प्रति छात्र है.

सचदेव ने कहा कि 'इसमें लैपटॉप खरीद, आवास लागत, बैंक सुरक्षा और हवाई टिकट शामिल हैं. दो साल के अध्ययन और प्रवास का कुल खर्च लगभग 53,000 डॉलर प्रति छात्र आता है. दो वर्षों में कनाडा की अर्थव्यवस्था में प्रति छात्र डाला गया कुल पैसा 69,000 डॉलर है.'

अध्ययन में पाया गया है कि अगर जनवरी में कनाडा जाने वाले छात्रों में 5 प्रतिशत की गिरावट आती है या 3,300 कम छात्र जाते हैं, तो कनाडा की अर्थव्यवस्था को 230 मिलियन डॉलर का झटका लगेगा. यदि मई और सितंबर के दौरान भी 5 प्रतिशत की गिरावट होती है, तो कनाडाई अर्थव्यवस्था को कुल 690 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा.

इस 5 प्रतिशत की गिरावट से भारत में कनाडाई उच्चायोग को वीजा शुल्क के मामले में 3 मिलियन डॉलर का नुकसान भी होगा. इससे कनाडा के छोटे व्यवसायों के वेतन में भी वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था को 34 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा.

सचदेव ने समझाया, 'विदेशी छात्रों को प्रति घंटे 11 डॉलर के न्यूनतम वेतन पर सप्ताह में 20 घंटे काम करने की अनुमति है. लेकिन स्थानीय श्रमिक न्यूनतम वेतन पर काम नहीं करते हैं और प्रति घंटे कम से कम 2 डॉलर अधिक लेते हैं. इस कारण कनाडा के छोटे व्यवसायों को नुकसान होगा.'

डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि 2024 में कनाडा को कुल आर्थिक क्षति लगभग 727 मिलियन डॉलर होने की संभावना है. लगभग 50 प्रतिशत या 360 मिलियन डॉलर का नुकसान शिक्षा क्षेत्र में होगा जबकि अन्य 50 प्रतिशत नुकसान स्थानीय अर्थव्यवस्था को होगा.

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