चेन्नई : कैशलेस लेनदेन के कारण एक तरफ जहां सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं भ्रष्टाचारी अफसरों को अब रंगेहाथ पकड़ना मुश्किल हो गया है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी निदेशालय (डीवीएसी) को डिजिटल लेनदेन में रिश्वत आसानी से स्वीकार किए जाने के कारण दोषियों को पकड़ने में कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. सूत्रों ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारी Google Pay, Phone Pay, Paytm और अन्य एप्लिकेशन जैसे भुगतान ऐप के माध्यम से रिश्वत ले रहे हैं (Digital bribery).
डीवीएसी अधिकारियों ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी रिश्वतखोरी के लिए नया तरीका अपना रहे हैं, जो विभाग के लिए चुनौती बन गया है.
गौरतलब है कि आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि पिछले चार वर्षों में भ्रष्टाचारियों के रंगे हाथ पकड़ने के मामलों में भारी गिरावट आई है और विशेषज्ञ इस गिरावट के लिए डिजिटल रिश्वत लेनदेन को जिम्मेदार मानते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, अकेले चेन्नई में 2019 में भ्रष्टाचार के 74 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 16 रिश्वतखोरी के थे, जबकि 2020 में 67 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 18 ऐसे मामले दर्ज किए गए. इसी तरह, 2021 में 44 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 16 ऐसे मामले थे. पिछले वर्ष यह संख्या घटकर केवल 39 रह गई, जिसमें 6 फंसाने के मामले दर्ज किए गए.
एक अधिकारी ने बताया कि इस साल मई तक अकेले चेन्नई में केवल 11 मामले दर्ज किए गए हैं. गौरतलब है कि तमिलनाडु के तिरुवल्लूर, थेनी और मयिलादुथुराई जिलों में इस साल कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.
जहां तक उत्तरी क्षेत्र का सवाल है, कांचीपुरम, तिरुवल्लूर, वेल्लोर, कुड्डालोर, विल्लुपुरम, तिरुवन्नमलाई, चेंगलपट्टू, तिरुपत्तूर, रानीपेट और कल्लाक्कुरिची जिलों में बहुत कम संख्या में केवल आठ मामले दर्ज किए गए हैं. मध्य क्षेत्र के संबंध में, केवल त्रिची जिले में सात मामले दर्ज किए गए हैं.
हालांकि भ्रष्टाचारियों ने रिश्वत लेने का तरीका बदला है तो जांच का तरीका भी बदल गया है. अगर कोई शिकायतकर्ता शिकायत दर्ज कराता है तो पुलिस अधिकारी सेल फोन टॉवर स्थानों और पैसे के लेनदेन के आधार पर रिश्वत का पता लगा रहे हैं. साथ ही अधिकारियों ने कहा है कि इस बात की जांच के लिए मामले दर्ज किए जा रहे हैं कि कहीं दूसरे नामों पर पैसे से खरीदारी तो नहीं की जा रही है.
डीवीएसी पुलिस ने कहा है कि चूंकि वर्तमान स्थिति में रिश्वतखोरी डिजिटल हो गई है, इसलिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई केवल तभी की जा सकती है जब प्रभावित सार्वजनिक रिपोर्ट करें, और कभी-कभी रिश्वत देने वाले और लेने वाले एक साथ काम करते हैं इसलिए पकड़े नहीं जाते.
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