ETV Bharat / bharat

Supreme Court : 'बार' के सदस्य निचली अदालतों के साथ सहयोग नहीं करते हैं, तो मामलों को निपटाना मुश्किल है: SC - बंबई उच्च न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि यदि बार के सदस्य निचली अदालतों के साथ सहयोग नहीं करते हैं ऐसी स्थिति में मामलों को उनके द्वारा निपटाने में काफी मुश्किल होगी. पढ़िए पूरी खबर...

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By PTI

Published : Sep 17, 2023, 5:49 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि निष्पक्षता महान वकालत की पहचान होती है और यदि बार (विधिज्ञ परिषद) के सदस्य निचली अदालतों के साथ सहयोग नहीं करते हैं, तो उनके लिए बड़ी संख्या में लंबित मामलों को निपटाना बहुत मुश्किल होगा. शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. उसने गौर किया कि राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र की निचली अदालतों में बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित हैं.

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने 14 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा, 'अगर बार के सदस्य निचली अदालतों के साथ सहयोग नहीं करते हैं, तो हमारी अदालतों के लिए बड़ी संख्या में लंबित मामलों को निपटाना बहुत मुश्किल होगा.' शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कोई सुनवाई चल रही हो, तो बार के सदस्यों से अदालत के अधिकारियों के रूप में कार्य करने और उचित एवं निष्पक्ष तरीके से आचरण करने की अपेक्षा की जाती है.

उसने कहा, 'बार के सदस्यों को यह याद रखना चाहिए कि निष्पक्षता महान वकालत की पहचान है. यदि जिरह में पूछे गए हर सवाल पर वकील आपत्ति जताने लगें तो सुनवाई सुचारु रूप से नहीं हो पाएगी. इससे सुनवाई में देरी हो जाती है.' शीर्ष अदालत ने इस बात पर गौर किया कि मामले में निचली अदालत की रिकॉर्डिंग के अनुसार, एक वकील ने एक गवाह से जिरह के दौरान हर सवाल पर आपत्ति जताई थी.

पीठ ने उच्च न्यायालय के जून 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए ये टिप्पणियां कीं. उच्च न्यायालय ने देशी शराब बेचने वाली एक कंपनी द्वारा दायर मुकदमे संबंधी जिला अदालत के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. कंपनी ने दावा किया है कि उसके द्वारा बेची गई देशी शराब की बोतलों पर प्रदर्शित कलात्मक लेबल पर उसका कॉपीराइट है. उसने उसके कॉपीराइट का उल्लंघन करने से अन्य कंपनी को स्थायी रूप से रोकने का अनुरोध किया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि जिला अदालत ने कंपनी के ट्रेडमार्क या इससे मिलते जुलते ट्रेडमार्क का किसी अन्य कंपनी द्वारा इस्तेमाल किए जाने पर रोक लगा दी थी. एक अन्य कंपनी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था जिसने याचिका का निपटारा होने तक इस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. उच्चतम न्यायलय ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को उचित बताते हुए याचिका खारिज कर दी.

ये भी पढ़ें - SC gives protection from arrest : सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, पूर्व पत्नी के दुष्कर्म के आरोपी पति की गिरफ्तारी पर रोक

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि निष्पक्षता महान वकालत की पहचान होती है और यदि बार (विधिज्ञ परिषद) के सदस्य निचली अदालतों के साथ सहयोग नहीं करते हैं, तो उनके लिए बड़ी संख्या में लंबित मामलों को निपटाना बहुत मुश्किल होगा. शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. उसने गौर किया कि राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र की निचली अदालतों में बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित हैं.

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने 14 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा, 'अगर बार के सदस्य निचली अदालतों के साथ सहयोग नहीं करते हैं, तो हमारी अदालतों के लिए बड़ी संख्या में लंबित मामलों को निपटाना बहुत मुश्किल होगा.' शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कोई सुनवाई चल रही हो, तो बार के सदस्यों से अदालत के अधिकारियों के रूप में कार्य करने और उचित एवं निष्पक्ष तरीके से आचरण करने की अपेक्षा की जाती है.

उसने कहा, 'बार के सदस्यों को यह याद रखना चाहिए कि निष्पक्षता महान वकालत की पहचान है. यदि जिरह में पूछे गए हर सवाल पर वकील आपत्ति जताने लगें तो सुनवाई सुचारु रूप से नहीं हो पाएगी. इससे सुनवाई में देरी हो जाती है.' शीर्ष अदालत ने इस बात पर गौर किया कि मामले में निचली अदालत की रिकॉर्डिंग के अनुसार, एक वकील ने एक गवाह से जिरह के दौरान हर सवाल पर आपत्ति जताई थी.

पीठ ने उच्च न्यायालय के जून 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए ये टिप्पणियां कीं. उच्च न्यायालय ने देशी शराब बेचने वाली एक कंपनी द्वारा दायर मुकदमे संबंधी जिला अदालत के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. कंपनी ने दावा किया है कि उसके द्वारा बेची गई देशी शराब की बोतलों पर प्रदर्शित कलात्मक लेबल पर उसका कॉपीराइट है. उसने उसके कॉपीराइट का उल्लंघन करने से अन्य कंपनी को स्थायी रूप से रोकने का अनुरोध किया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि जिला अदालत ने कंपनी के ट्रेडमार्क या इससे मिलते जुलते ट्रेडमार्क का किसी अन्य कंपनी द्वारा इस्तेमाल किए जाने पर रोक लगा दी थी. एक अन्य कंपनी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था जिसने याचिका का निपटारा होने तक इस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. उच्चतम न्यायलय ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को उचित बताते हुए याचिका खारिज कर दी.

ये भी पढ़ें - SC gives protection from arrest : सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, पूर्व पत्नी के दुष्कर्म के आरोपी पति की गिरफ्तारी पर रोक

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.