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ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे को लेकर सरकार में गहरा मतभेद : अधिकारी - ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे को लेकर सरकार के विचार

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे को लेकर सरकार के भीतर अलग-अलग राय और गहरा मतभेद है. एक शीर्ष अधिकारी बुधवार को यह जानकारी देते हुए चिंता जताई कि नियमों में लगातार परिवर्तन से अनिश्चितता उत्पन्न होती है.

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Published : Sep 22, 2021, 10:37 PM IST

नई दिल्ली : शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इस तरह का अनावश्यक भय पैदा किया जा रहा है कि सरकार की वर्तमान ई-कॉमर्स नीति छोटे व्यापारियों को आहत कर रही है.

अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों के मसौदे पर सरकार में महत्वपूर्ण मतभेद हैं. नीतियों में लगातार बदलाव से बहुत अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न होती है.'

धोखाधड़ीपूर्ण फ्लैश बिक्री और गलत बिक्री पर प्रतिबंध, मुख्य अनुपालन अधिकारी/शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति जैसे निर्णय उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों में से हैं.

मंत्रालय ने मसौदा नियमों को लेकर छह जुलाई तक सार्वजनिक टिप्पणी मांगी थी और बाद में समय सीमा को बढ़ाकर 21 जुलाई कर दी थी. अधिकारी ने कहा कि प्रतिस्पर्धा से जुड़ा मामला उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आता है और ये मुद्दे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के अंतर्गत आते हैं.

उन्होंने कहा कि अनुमानित 7 करोड़ व्यापारियों में से 85 प्रतिशत छोटे व्यापारी हैं, जो वर्तमान ई-कॉमर्स नीति से लाभान्वित हो रहे हैं. अधिकारी ने कहा, 'ई- वाणिज्य के आधुनिकीकरण से और अधिक रोजगार सृजित होंगे और आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी. इसके साथ ही 85 प्रतिशत सूक्ष्म व्यापारियों का मुनाफा भी बढ़ेगा.'

उपभोक्ता मामलों के सचिव लीना नंदन ने हाल ही में कहा था कि सरकार नियमों को अंतिम देते हुये 'संतुलित' रुख अपनायेगी. प्रस्तावित नियमों में संशोधन को लेकर 'व्यापक और विविध प्रकार की' टिप्पणियां प्राप्त हुईं हैं.

इसे भी पढ़ें : सेबी ने कथित गलत वित्तीय घोषणा मामले में RIL के खिलाफ न्याय निर्णय की कार्यवाही बंद की

नई दिल्ली : शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इस तरह का अनावश्यक भय पैदा किया जा रहा है कि सरकार की वर्तमान ई-कॉमर्स नीति छोटे व्यापारियों को आहत कर रही है.

अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों के मसौदे पर सरकार में महत्वपूर्ण मतभेद हैं. नीतियों में लगातार बदलाव से बहुत अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न होती है.'

धोखाधड़ीपूर्ण फ्लैश बिक्री और गलत बिक्री पर प्रतिबंध, मुख्य अनुपालन अधिकारी/शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति जैसे निर्णय उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों में से हैं.

मंत्रालय ने मसौदा नियमों को लेकर छह जुलाई तक सार्वजनिक टिप्पणी मांगी थी और बाद में समय सीमा को बढ़ाकर 21 जुलाई कर दी थी. अधिकारी ने कहा कि प्रतिस्पर्धा से जुड़ा मामला उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आता है और ये मुद्दे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के अंतर्गत आते हैं.

उन्होंने कहा कि अनुमानित 7 करोड़ व्यापारियों में से 85 प्रतिशत छोटे व्यापारी हैं, जो वर्तमान ई-कॉमर्स नीति से लाभान्वित हो रहे हैं. अधिकारी ने कहा, 'ई- वाणिज्य के आधुनिकीकरण से और अधिक रोजगार सृजित होंगे और आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी. इसके साथ ही 85 प्रतिशत सूक्ष्म व्यापारियों का मुनाफा भी बढ़ेगा.'

उपभोक्ता मामलों के सचिव लीना नंदन ने हाल ही में कहा था कि सरकार नियमों को अंतिम देते हुये 'संतुलित' रुख अपनायेगी. प्रस्तावित नियमों में संशोधन को लेकर 'व्यापक और विविध प्रकार की' टिप्पणियां प्राप्त हुईं हैं.

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