लखनऊ : आपातकालीन सेवा डायल 112 उत्तरप्रदेश में लगातार नए मुकाम हासिल कर रही है. प्रदेश की यह सेवा इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि जानवर और संरक्षित प्रजाति के जानवरों की मदद में भी आगे है. डायल 112 में आने वाली हर कॉल के आंकड़े बताते हैं कि इस सेवा की मदद से पालतू और जंगली जानवरों की डायल 112 हर संभव मदद कर रही है. इस पर ईटीवी भारत ने डायल 112 के प्रभारी एडीजी असीम अरुण से खास बातचीत की है.
जानवरों के लिए आई 35,900 कॉल
साल 2020 के 11 महीने में डायल 112 पर 35,900 कॉल जंगली जानवर और मवेशियों की मदद के लिए आई. इस दौरान पुलिस ने वन विभाग की मदद से 149 संरक्षित प्रजाति के जानवरों को भी बचाने का कार्य किया. इसी से आप समझ सकते हैं कि यह सेवा उत्तरप्रदेश की जमीन पर सबके लिए मददगार साबित हो रही है.
घायलों को मदद
डायल 112 ने घायल पशुओं को मदद देने के साथ प्रदेश में सियार, लोमड़ी और बंदरों के हमले से घायल हुए नागरिकों को भी मदद पहुंचाने का काम किया है. बंदरों के हमले से घायल 200 लोगों को डायल 112 ने मदद पहुंचाई. वहीं, सियार और लोमड़ी के हमलों से घायल 16 लोगों को इलाज के लिए पहुंचाया गया. बीते 11 महीने में कुत्तों के हमलों से घायल 870 लोगों को मदद पहुंचाई गई.
रिहायशी इलाकों में जंगली जानवरों से मदद
आपातकालीन डायल 112 सेवा रिहायशी इलाकों में जंगली जानवरों के पहुंचने की शिकायतों को भी गंभीरता से लिया गया है. जनवरी से नवंबर के बीच जंगली जानवर के रिहायशी इलाकों में आने की 6,308 शिकायतें मिलीं. ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई करते हुए वन विभाग की मदद से स्थानीय निवासियों की मदद पहुंचाने का काम किया गया.
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सांप काटने पर भी प्रशिक्षित डायल 112
सांप काटने पर डायल 112 के पुलिसकर्मियों को तुरंत मदद पहुंचाने के लिए प्रशिक्षित भी किया गया है. वहीं उनके पास कुछ ऐसी दवाएं, रस्सियां भी हर समय मौजूद रहती हैं, जिससे वह समय रहते मदद दे सकें. सांप को पकड़ने के लिए वन विभाग की मदद ली जाती है. खासतौर पर अजगर को पकड़ने में विशेष प्रयास किया गया है.
डायल 112 के प्रभारी एडीजी असीम अरुण ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उत्तरप्रदेश की यह सेवा इंसानों के साथ-साथ जानवर और मवेशियों की मदद में भी काफी आगे है. पिछले 11 महीनों में 149 जानवरों को बचाया गया. वहीं डायल 112 ने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की भी मदद पहुंचाई, जिन्हें सांप ने डस लिया था.