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धनतेरस को लेकर ऐसी हैं हमारी धार्मिक मान्यताएं, इन नामों से मनाया जाता है त्योहार

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Published : Oct 14, 2022, 5:16 PM IST

दीपावली के लिए शुरू होने वाले त्यौहारों की श्रृंखला धनतेरस से शुरू होती है. इसे अन्य धर्मों के लोग भी अलग नाम से मनाते हैं.

Dhanteras Related Religious Beliefs on Dhanteras 2022
धनतेरस 2022

नई दिल्ली : हमारे हिन्दू धर्म में कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाए जाने वाले त्यौहार को 'धनतेरस' या 'धनत्रयोदशी' कहा जाता है. इस दिन से दीपावली के लिए शुरू होने वाले त्यौहारों की श्रृंखला शुरू होती है. इसे अन्य धर्मों के लोग भी अन्य नाम से मनाते हैं. जैन आगम में भी धनतेरस का महत्व है. इस दिन को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहा जाता है.

हमारे धर्म में ऐसी पौराणिक मान्यता है कि समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धनवंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था. धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत से देवताओं को अजर अमर बना दिया. भगवान धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुयीं थीं. इसीलिए धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली का त्योहार मनाया जाता है.

Dhanteras Related Religious Beliefs on Dhanteras 2022
भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए

हमारे धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य कहे जाते हैं. इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख अर्थात् स्वास्थ्य लाभ मिलता है. भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार कहे जाते हैं. संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी के रुप में अवतार लिया था.

इसे भी पढ़ें : Dhanteras 2022 : धनतेरस पर होगी कुबेर और लक्ष्मी की कृपा, जानिए उपाय

Mahavir Swami
भगवान महावीर

इसके अलावा जैन आगम में भी धनतेरस का महत्व है. इस दिन को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहा जाता है. जैन धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे. फिर तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये थे. तभी से यह दिन 'धन्य तेरस' के नाम से प्रसिद्ध हुआ है.

इसे भी पढ़ें : 22 को है धनतेरस का पर्व, यम के दीपदान के साथ इन चीजों की खरीदारी से चमकेगी किस्मत

संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी के रुप में अवतार लेने की तिथि को भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. इसीलिए हमारे देश में धनतेरस को हर साल राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है.

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नई दिल्ली : हमारे हिन्दू धर्म में कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाए जाने वाले त्यौहार को 'धनतेरस' या 'धनत्रयोदशी' कहा जाता है. इस दिन से दीपावली के लिए शुरू होने वाले त्यौहारों की श्रृंखला शुरू होती है. इसे अन्य धर्मों के लोग भी अन्य नाम से मनाते हैं. जैन आगम में भी धनतेरस का महत्व है. इस दिन को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहा जाता है.

हमारे धर्म में ऐसी पौराणिक मान्यता है कि समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धनवंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था. धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत से देवताओं को अजर अमर बना दिया. भगवान धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुयीं थीं. इसीलिए धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली का त्योहार मनाया जाता है.

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भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए

हमारे धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य कहे जाते हैं. इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख अर्थात् स्वास्थ्य लाभ मिलता है. भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार कहे जाते हैं. संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी के रुप में अवतार लिया था.

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Mahavir Swami
भगवान महावीर

इसके अलावा जैन आगम में भी धनतेरस का महत्व है. इस दिन को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहा जाता है. जैन धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे. फिर तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये थे. तभी से यह दिन 'धन्य तेरस' के नाम से प्रसिद्ध हुआ है.

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संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी के रुप में अवतार लेने की तिथि को भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. इसीलिए हमारे देश में धनतेरस को हर साल राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है.

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