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TRS के इन्वेस्टर्स समिट से सीख ले रही धामी सरकार, लूज प्वाइंट्स को कर रही मजबूत, ऐसी हैं तैयारियां

Uttarakhand Investors Summit 2023 धामी सरकार ने उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी जोरों-शोरों से शुरू कर दी हैं. 2018 के बाद उत्तराखंड में फिर से उद्योगपतियों का जमावड़ा लगने वाला है. इससे पहले कुछ निवेशकों ने निवेश के शुभ संकेत भी दे दिए हैं, लेकिन पिछले इन्वेस्टर्स समिट का इतिहास उत्तराखंड के लिए कुछ खास नहीं रहा. कागजों पर कई गई बातें आज भी धरातल से कोसों दूर हैं. ऐसे में धामी सरकार पिछली सरकार के लूज प्वाइंट्स को मजबूत करने में जुटी है. जिससे इस बार होने वाले इन्वेस्टर्स समिट 2023 को सफल बनाया जा सके.

Uttarakhand Investors Summit 2023
उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट 2023
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 25, 2023, 10:35 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): साल 2018 की तरह एक बार फिर उत्तराखंड में बड़े-बड़े उद्योगपतियों का जमावड़ा लगने जा रहा है. एक बार फिर भाजपा सरकार राज्य में एक बड़ा इन्वेस्टर्स समिट करवाने जा रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसके लिए विदेश दौरे पर हैं, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि क्या साल 2018 के इन्वेस्टर्स समिट से सीखकर धामी सरकार उस 'मिथक' को तोड़ पाएगी, जिसमें आज भी यह कहा जा रहा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान हुए इन्वेस्टर्स समिट में करोड़ों रुपए के एमओयू साइन हुए, लेकिन राज्य में धरातल पर उसका आधा भी दिखाई नहीं दिया.

Uttarakhand Investors Summit 2023
साल 2018 में पीएम मोदी ने इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया था.

पुराने अनुभव से सरकार को सीखना होगा: पूरे राज्य ने देखा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जब देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में इन्वेस्टर्स समिट करवाया था तो ना केवल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बल्कि अडानी-अंबानी और देश-विदेश के उद्योगपति देहरादून पहुंचे थे. पूरे देहरादून को ना केवल करोड़ों रुपए खर्च करके दुल्हन की तरह सजाया गया था. बल्कि मौजूदा सरकार की तरफ से अधिकारियों और नेताओं ने देश भर के साथ-साथ विदेशी धरती पर भी खूब रोड शो और उद्योगपतियों के साथ बैठक की थी. उस वक्त यह आंकड़ा रखा गया था कि इस इन्वेस्टर समिट में लगभग 80 हजार करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है. लेकिन समय के साथ यह आंकड़ा ना केवल और बढ़ा, बल्कि सरकार की तरफ से यह प्रचारित किया गया कि जल्द ही राज्य में चारों तरफ उद्योग ही उद्योग दिखाई देंगे.

Uttarakhand Investors Summit 2023
2018 इन्वेस्टर्स समिट में आयोजन में 80 करोड़ से ऊपर का खर्च आया था.

उस दौरान सरकार ने यह कहा था कि इस इन्वेस्टर्स समिट में 1.25 लाख करोड़ रुपए के प्रस्ताव आ चुके हैं. इसमें 673 प्रस्तावों पर सहमति बन चुकी है. सरकार ने उस वक्त सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया और इस बात को भी बेहद बड़े तरीके से प्रचारित और प्रसारित किया गया कि राज्य में अब उद्यमियों को अलग-अलग डिपार्टमेंट में घूमने नहीं पड़ेगा. सिंगल विंडो सिस्टम के तहत किसी भी उद्योगपति को अगर उद्योग लगाना है तो एक ही जगह पर सभी कार्य हो जाएंगे. लेकिन सिंगल विंडो सिस्टम का कॉन्सेप्ट आज भी राज्य में अधूरा है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियां, पीएम मोदी कर सकते हैं शुभारंभ, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होंगे दो रोड शो

त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में क्या हुआ: 2018 से 2023 तक इन्वेस्ट की बात करें तो लगभग 30 हजार करोड़ रुपए के ही उद्योग जमीन पर उतरे. हरिद्वार, उधमसिंह नगर और देहरादून को अलावा पहाड़ में कोई भी उद्योग नहीं लग पाया है. अडानी-अंबानी जैसे उद्योगपति उस मीटिंग के बाद दोबारा ना दिखाई दिए और ना ही राज्य में कोई उनका प्लांट नजर आया. हां...इतना जरूर है कि अभी हाल ही में राज्य में रिलायंस ने कुछ इन्वेस्ट जरूर किया है. त्रिवेंद्र सरकार ने हेल्थ, पर्यटन, बागवानी, आईटी, ऊर्जा, आयुष, वेलनेस सहित अन्य सेक्टरों में उद्योग लगाने का प्लान बनाया था. लेकिन कोविड महामारी और जमीन के अभाव में उद्योग धरातल पर नजर नहीं आया. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में लगभग 80 करोड़ रूपए से ऊपर का खर्च इन्वेस्टर्स समिट को करवाने में आया था.

ये भी पढ़ेंः Investors Summit Uttarakhand: क्या भू-कानून के साथ हुआ खिलवाड़? जानें अपने दावों पर कितनी खरी उतरी सरकार

धामी सरकार कहां तक पहुंची: लिहाजा, अब धामी सरकार 5 साल बाद फिर से इन्वेस्टर्स समिट करवाने जा रही है. ऐसे में सरकार के साथ-साथ अधिकारियों को भी ये ध्यान में रखना होगा कि पुराना इतिहास किसी कीमत पर ना दोहराया जाए. धामी सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट की कवायद जोरों से की है. अच्छी बात ये है कि मौजूदा समय में सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश धरातल पर उतरने का दावा किया है. साथ ही साथ 6 हजार एकड़ भूमि का बैंक भी बना लिया है, ताकि निवेशकों को किसी तरह की कोई दिक्कत ना आए. सरकार की मानें तो महिंद्रा से लेकर कई बड़े उद्योग घराने प्रदेश में इन्वेस्ट करने के लिए तैयार हो गए हैं. इसके लिए देश के बड़े शहरों के साथ लंदन में रोड शो और बैठक होने जा रही है.
ये भी पढ़ेंः इनवेस्टर्स समिट से चमकेगा पहाड़!, आएंगी कंपनियां या सिर्फ होंगे करार ?

क्या कहते हैं जानकार: उत्तराखंड में होने जा रहे इन्वेस्टर्स समिट को लेकर उत्तराखंड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग का कहना है, 'पहले तो हमें यह जानना होगा कि क्या हम मूलभूत सुविधाएं राज्य को दे पा रहे हैं या नहीं? क्या हमने उद्योगपतियों के लिए माहौल तैयार किया है या नहीं? गर्ग ने 6 बिंदुओं में इनवेस्टर्स समिट से जुड़ी जानकारियों का उल्लेख किया है.

  1. सिडकुल के पास जमीन नहीं है. ऐसे में उद्योगपति को प्राइवेट इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है. अब उद्योग के लिए किसी भी जमीन को प्राइवेट से कमर्शियल करने के लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. ऐसे में इन कामों में महीने लग जाते हैं.
  2. राज्य सरकार उत्तराखंड में उद्योगों के लिए पॉलिसी बना रही है. लेकिन यह देखना होगा कि उसका इंप्लीमेंट कितना हो रहा है. सरकार को यह भी देखना होगा कि क्या उनके उद्योग राज्य के विकास में सहायक हैं या नहीं.
  3. उत्तराखंड का ज्यादातर हिस्सा वनों से घिरा हुआ है. ऐसे में वन विभाग, उद्योगपति के लिए महत्वपूर्ण विभाग हो जाता है. हमें उद्योगपतियों के लिए अच्छा माहौल भी तैयार करना होगा. यह भी राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
  4. उद्योग के लिए सड़क कनेक्टिविटी लगातार बनी रहनी चाहिए. ऐसे में अगर कोटद्वार में उद्योग लगता है तो हरिद्वार से कोटद्वार पहुंचने में ही ढाई घंटे का समय लगता है. ऐसे में बारिश के दौरान सड़क बाधित होती है तो उद्योग पर भारी असर पड़ेगा. इसलिए सड़क कनेक्टिविटी लगातार बनी रहनी चाहिए.
  5. खास बात है कि सिडकुल विकास की ओर बढ़ रहा है. लेकिन सिडकुल में इंफ्रास्ट्रक्चर की क्या स्थिति है? इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड के बिजली विभाग को यह नहीं मालूम कि कितनी बिजली इंडस्ट्री को जानी है? ऐसे में पहाड़ पर उद्योग लगाने के लिए इन सब बातों पर ध्यान रखना होगा.
  6. कर्मचारी से लेकर अधिकारियों तक उद्योगपतियों और उद्योग से जुड़े लोगों से कैसे बर्ताव करते हैं. कैसे उनका आदर करते हैं. यह भी राज्य सरकार को सुनिश्चित करना होगा.

देहरादून (उत्तराखंड): साल 2018 की तरह एक बार फिर उत्तराखंड में बड़े-बड़े उद्योगपतियों का जमावड़ा लगने जा रहा है. एक बार फिर भाजपा सरकार राज्य में एक बड़ा इन्वेस्टर्स समिट करवाने जा रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसके लिए विदेश दौरे पर हैं, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि क्या साल 2018 के इन्वेस्टर्स समिट से सीखकर धामी सरकार उस 'मिथक' को तोड़ पाएगी, जिसमें आज भी यह कहा जा रहा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान हुए इन्वेस्टर्स समिट में करोड़ों रुपए के एमओयू साइन हुए, लेकिन राज्य में धरातल पर उसका आधा भी दिखाई नहीं दिया.

Uttarakhand Investors Summit 2023
साल 2018 में पीएम मोदी ने इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया था.

पुराने अनुभव से सरकार को सीखना होगा: पूरे राज्य ने देखा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जब देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में इन्वेस्टर्स समिट करवाया था तो ना केवल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बल्कि अडानी-अंबानी और देश-विदेश के उद्योगपति देहरादून पहुंचे थे. पूरे देहरादून को ना केवल करोड़ों रुपए खर्च करके दुल्हन की तरह सजाया गया था. बल्कि मौजूदा सरकार की तरफ से अधिकारियों और नेताओं ने देश भर के साथ-साथ विदेशी धरती पर भी खूब रोड शो और उद्योगपतियों के साथ बैठक की थी. उस वक्त यह आंकड़ा रखा गया था कि इस इन्वेस्टर समिट में लगभग 80 हजार करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है. लेकिन समय के साथ यह आंकड़ा ना केवल और बढ़ा, बल्कि सरकार की तरफ से यह प्रचारित किया गया कि जल्द ही राज्य में चारों तरफ उद्योग ही उद्योग दिखाई देंगे.

Uttarakhand Investors Summit 2023
2018 इन्वेस्टर्स समिट में आयोजन में 80 करोड़ से ऊपर का खर्च आया था.

उस दौरान सरकार ने यह कहा था कि इस इन्वेस्टर्स समिट में 1.25 लाख करोड़ रुपए के प्रस्ताव आ चुके हैं. इसमें 673 प्रस्तावों पर सहमति बन चुकी है. सरकार ने उस वक्त सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया और इस बात को भी बेहद बड़े तरीके से प्रचारित और प्रसारित किया गया कि राज्य में अब उद्यमियों को अलग-अलग डिपार्टमेंट में घूमने नहीं पड़ेगा. सिंगल विंडो सिस्टम के तहत किसी भी उद्योगपति को अगर उद्योग लगाना है तो एक ही जगह पर सभी कार्य हो जाएंगे. लेकिन सिंगल विंडो सिस्टम का कॉन्सेप्ट आज भी राज्य में अधूरा है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियां, पीएम मोदी कर सकते हैं शुभारंभ, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होंगे दो रोड शो

त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में क्या हुआ: 2018 से 2023 तक इन्वेस्ट की बात करें तो लगभग 30 हजार करोड़ रुपए के ही उद्योग जमीन पर उतरे. हरिद्वार, उधमसिंह नगर और देहरादून को अलावा पहाड़ में कोई भी उद्योग नहीं लग पाया है. अडानी-अंबानी जैसे उद्योगपति उस मीटिंग के बाद दोबारा ना दिखाई दिए और ना ही राज्य में कोई उनका प्लांट नजर आया. हां...इतना जरूर है कि अभी हाल ही में राज्य में रिलायंस ने कुछ इन्वेस्ट जरूर किया है. त्रिवेंद्र सरकार ने हेल्थ, पर्यटन, बागवानी, आईटी, ऊर्जा, आयुष, वेलनेस सहित अन्य सेक्टरों में उद्योग लगाने का प्लान बनाया था. लेकिन कोविड महामारी और जमीन के अभाव में उद्योग धरातल पर नजर नहीं आया. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में लगभग 80 करोड़ रूपए से ऊपर का खर्च इन्वेस्टर्स समिट को करवाने में आया था.

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धामी सरकार कहां तक पहुंची: लिहाजा, अब धामी सरकार 5 साल बाद फिर से इन्वेस्टर्स समिट करवाने जा रही है. ऐसे में सरकार के साथ-साथ अधिकारियों को भी ये ध्यान में रखना होगा कि पुराना इतिहास किसी कीमत पर ना दोहराया जाए. धामी सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट की कवायद जोरों से की है. अच्छी बात ये है कि मौजूदा समय में सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश धरातल पर उतरने का दावा किया है. साथ ही साथ 6 हजार एकड़ भूमि का बैंक भी बना लिया है, ताकि निवेशकों को किसी तरह की कोई दिक्कत ना आए. सरकार की मानें तो महिंद्रा से लेकर कई बड़े उद्योग घराने प्रदेश में इन्वेस्ट करने के लिए तैयार हो गए हैं. इसके लिए देश के बड़े शहरों के साथ लंदन में रोड शो और बैठक होने जा रही है.
ये भी पढ़ेंः इनवेस्टर्स समिट से चमकेगा पहाड़!, आएंगी कंपनियां या सिर्फ होंगे करार ?

क्या कहते हैं जानकार: उत्तराखंड में होने जा रहे इन्वेस्टर्स समिट को लेकर उत्तराखंड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग का कहना है, 'पहले तो हमें यह जानना होगा कि क्या हम मूलभूत सुविधाएं राज्य को दे पा रहे हैं या नहीं? क्या हमने उद्योगपतियों के लिए माहौल तैयार किया है या नहीं? गर्ग ने 6 बिंदुओं में इनवेस्टर्स समिट से जुड़ी जानकारियों का उल्लेख किया है.

  1. सिडकुल के पास जमीन नहीं है. ऐसे में उद्योगपति को प्राइवेट इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है. अब उद्योग के लिए किसी भी जमीन को प्राइवेट से कमर्शियल करने के लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. ऐसे में इन कामों में महीने लग जाते हैं.
  2. राज्य सरकार उत्तराखंड में उद्योगों के लिए पॉलिसी बना रही है. लेकिन यह देखना होगा कि उसका इंप्लीमेंट कितना हो रहा है. सरकार को यह भी देखना होगा कि क्या उनके उद्योग राज्य के विकास में सहायक हैं या नहीं.
  3. उत्तराखंड का ज्यादातर हिस्सा वनों से घिरा हुआ है. ऐसे में वन विभाग, उद्योगपति के लिए महत्वपूर्ण विभाग हो जाता है. हमें उद्योगपतियों के लिए अच्छा माहौल भी तैयार करना होगा. यह भी राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
  4. उद्योग के लिए सड़क कनेक्टिविटी लगातार बनी रहनी चाहिए. ऐसे में अगर कोटद्वार में उद्योग लगता है तो हरिद्वार से कोटद्वार पहुंचने में ही ढाई घंटे का समय लगता है. ऐसे में बारिश के दौरान सड़क बाधित होती है तो उद्योग पर भारी असर पड़ेगा. इसलिए सड़क कनेक्टिविटी लगातार बनी रहनी चाहिए.
  5. खास बात है कि सिडकुल विकास की ओर बढ़ रहा है. लेकिन सिडकुल में इंफ्रास्ट्रक्चर की क्या स्थिति है? इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड के बिजली विभाग को यह नहीं मालूम कि कितनी बिजली इंडस्ट्री को जानी है? ऐसे में पहाड़ पर उद्योग लगाने के लिए इन सब बातों पर ध्यान रखना होगा.
  6. कर्मचारी से लेकर अधिकारियों तक उद्योगपतियों और उद्योग से जुड़े लोगों से कैसे बर्ताव करते हैं. कैसे उनका आदर करते हैं. यह भी राज्य सरकार को सुनिश्चित करना होगा.
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