रांची: 7 मई को हैदराबाद जा रहे एक दंपती के दिव्यांग बच्चे को इंडिगो के कर्मचारियों द्वारा सफर नहीं किए जाने का मामला सामने आया. इस पर उड्डयन मंत्रालय के द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद बुधवार को डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन के 3 सदस्यों की टीम रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंची. इस टीम ने पूरे मामले की जांच की.
DGCA के अधिकारियों के साथ इंडिगो के भी तीन बड़े अधिकारी भी मौजूद रहे. इस दौरान सभी अधिकारियों ने उस दिन की घटना को लेकर एयरपोर्ट पर लगे सभी सीसीटीवी फुटेज की गंभीरता से जांच की. वहीं उड्डयन मंत्रालय से आई टीम ने उस दंपती से भी बात की, जिनके दिव्यांग बच्चे के साथ इस तरह की शिकायत सोशल मीडिया पर की गयी थी. जांच करने पहुंची टीम पूरी रिपोर्ट लेकर अपने हेड क्वार्टर के लिए लौट गई है. अब उनके द्वारा जांच रिपोर्ट की पड़ताल करने के बाद ही पता चल पाएगा की गलती इंडिगो प्रबंधन की थी या फिर और कोई कारण रहा होगा.
7 मई को रांची से हैदराबाद जा रहे एक दंपती के साथ एक दिव्यांग बच्चे को इंडिगो के कर्मचारियों ने सफर नहीं करने दिया. उनके मुताबिक वह बच्चा काफी हाइपर था. बच्चे को देखने के बाद इंडिगो एवं मौके पर मौजूद एयरपोर्ट के कर्मचारियों को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह बच्चा विमान में यात्रा करने के दौरान और भी ज्यादा अस्वस्थ हो सकता है. इसीलिए 7 मई को बोकारो से आए उस दंपती और उनके दिव्यांग बच्चे को हैदराबाद जाने के लिए विमान पर चढ़ने से रोक दिया गया था.
हालांकि फ्लाइट पर नहीं चढ़ने देने के बाद इंडिगो एयरलाइंस के अधिकारियों द्वारा उस दंपती को होटल में ठहराया गया और दूसरे दिन बच्चे की स्थिति सामान्य होने के बाद उन्हें फिर से हैदराबाद के लिए सकुशल भेज दिया गया था. लेकिन इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा हुआ और बच्चे के माता पिता ने इसको लेकर गुहार भी लगाई. इसको लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संज्ञान लिया है. उन्होंने कहा कि वह स्वयं इंडिगो एयरलाइंस की कथित घटना की जांच करेंगे.
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क्या है पूरा मामला: मनीषा गुप्ता नामक महिला ने अपने पोस्ट में बताया कि उस बच्चे की स्थिति खराब जरूर थी लेकिन उनके अभिभावक अपने बच्चे को शांत कराने में जुटे थे. ताकि वह आराम से सफर कर सके.अभिभावक अपने बच्चे को ठीक करने के बाद सफर करने को तैयार थे. कई यात्री भी उनकी मदद करने आगे आए. लेकिन एयरपोर्ट और इंडिगो एयरलाइंस के कर्मचारियों के द्वारा उस बच्चे के अभिभावक के साथ सख्ती की गई. मनीषा गुप्ता ने अपने पोस्ट पर लिखते हुए बताया कि एयरपोर्ट प्रबंधन ने अभिभावक और बच्चे को सफर करने से सख्त मना कर दिया. एयरपोर्ट पर मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि बच्चे के सफर करने से अन्य पैसेंजर को समस्या हो सकती है.
दिव्यांग के सफर पर रोक : पोस्ट के मुताबिक बच्चे के अभिभावक एयरपोर्ट पर तैनात कर्मचारी और इंडिगो के मैनेजर के सामने गिड़गिड़ाते रहे कि उन्हें सफर करने दिया जाए. बच्चे की मां ने कहा कि एक मां होने के नाते वह कभी भी यह नहीं चाहेगी कि उनका बच्चा खुद को या किसी को कोई हानि पहुंचाए, लेकिन एयरपोर्ट प्रबंधन ने उनकी एक न सुनी और उस बच्चे के अभिभावक को सफर करने से साफ मना कर दिया. आखिर तक एयरपोर्ट प्रबंधन और इंडिगो एयरलाइंस के मैनेजर ने बच्चे और उनके अभिभावक को फ्लाइट पर नहीं चढ़ने दिया और इस प्रकार उनकी हैदराबाद की फ्लाइट छूट गई.
एयरपोर्ट निदेशक की सफाई: पूरे मामले पर एयरपोर्ट के निदेशक केएल अग्रवाल ने बताया कि जो भी जानकारी दी गई है वह सही नहीं है बच्चे की स्थिति काफी खराब थी. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि बच्चे को संभालने के लिए जब उनकी मां ने जब बच्चे को डांट लगाई तो बच्चा और भी असंतुलित हो गया जिसे देखकर यह लग रहा था कि इस हालत में बच्चे को सफर करने देना उचित नहीं है. इसलिए इंडिगो एयरलाइंस के मैनेजर ने बच्चे और उनके अभिभावक को सफर करने से रोक दिया. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एयरलाइंस की तरफ से बच्चे और अभिभावक को रहने के लिए होटल की व्यवस्था कराई गई और दूसरी सुबह जब बच्चे की स्थिति सामान्य हुई तो रविवार को उन्हें दूसरी विमान से भेज दिया गया.