न्यूयॉर्क : अफगानिस्तान के घटनाक्रम का मध्य एशिया क्षेत्र में व्यापक प्रभाव पड़ेगा. यह बातें संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ( TS Tirumurti) ने बुधवार को कहीं. उन्होंने 'अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव में संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों के बीच सहयोग: संयुक्त राष्ट्र और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) के बीच सहयोग' पर खुली बहस में भाग लेते हुए कहा, 'अफगानिस्तान में विकास का मध्य एशिया क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और अफगान क्षेत्र से निकलने वाले मादक पदार्थों की तस्करी में संभावित वृद्धि हो सकती है.'
पिछले साल अगस्त के मध्य में तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के बाद से अफगानिस्तान में स्थिति काफी खराब हो गई है. वहीं विदेशी सहायता के निलंबन के अलावा अफगान सरकार की संपत्ति को जब्त करने और तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के संयोजन ने देश को पहले से ही उच्च गरीबी के स्तर से पीड़ित एक पूर्ण आर्थिक संकट में डाल दिया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 2593 अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को दर्शाता है कि अफगान धरती का उपयोग आतंकवादी कृत्यों को आश्रय देने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए. तिरुमूर्ति ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन चिंताओं का संज्ञान लेने की जरूरत है जो मध्य एशियाई देशों की अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर हैं.'
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बता दें कि CSTO में आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हैं जो इस वर्ष अपनी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है. मध्य एशिया एक एकीकृत और स्थिर विस्तारित पड़ोस के भारत के दृष्टिकोण का केंद्र है. वहीं भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों ने 30 सार्थक वर्ष पूरे कर लिए हैं. तिरुमूर्ति ने कहा, 'क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों ने समय-समय पर दिखाया है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है. विवादों के निपटारे में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है, खासकर संघर्ष की स्थितियों में.'
तिरुमूर्ति ने कहा, इसलिए हम संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों के बीच और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुरूप सक्रिय जुड़ाव का समर्थन करते हैं. तिरुमूर्ति ने कहा, हमने भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत-मध्य एशिया संवाद मंच बनाया है. साथ ही मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ हमारी विकास साझेदारी की भावना में, भारत ने अन्य बातों के साथ-साथ प्राथमिकता वाली विकास परियोजनाओं के लिए 1 बिलियन अमरीकी डालर की ऋण सहायता की पेशकश भी की.