नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि सीमावर्ती गांवों का विकास केंद्र सरकार की प्राथमिकता रही है. गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक ने मंगलवार को कहा कि 'इस उद्देश्य के लिए, सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) 1986 से लागू किया गया है. बीएडीपी अंतरराष्ट्रीय सीमा से पहली बस्ती से 0-10 किलोमीटर की दूरी (हवाई दूरी) के भीतर स्थित सभी जनगणना गांवों, कस्बों, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों को कवर करता है, जिसके भीतर राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनों द्वारा बस्तियों की पहचान की जाती है.'
लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा गया कि इसके अलावा, सीमावर्ती गांवों के विकास घाटे को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में स्थित चिन्हित गांवों के लिए जीवंत गांव कार्यक्रम (वीवीपी) को मंजूरी दे दी है.
उन्होंने कहा कि वीवीपी के तहत प्राथमिकता के आधार पर कवरेज के लिए 662 गांवों की पहचान की गई है. कुल 662 गांवों में से 11 जिले अरुणाचल प्रदेश से, दो जिले हिमाचल प्रदेश से, दो जिले सिक्किम से, तीन जिले उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से हैं. विभिन्न हितधारकों के परामर्श से गांवों की पहचान की गई है.
संबंधित राज्य सरकारें और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत सीमावर्ती गांवों में विकासात्मक कार्यों को लागू करते हैं, अर्थात् बीएडीपी और वीवीपी बजट आवंटन ताकि सीमावर्ती गांवों में बुनियादी सुविधाएं तैयार की जा सकें और विकासात्मक कार्य किए जा सकें.
चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान बीएडीपी के तहत 600 करोड़ रुपये और वीवीपी के तहत 150.00 करोड़ रुपये (भारत की आकस्मिक निधि से) है. परियोजना स्वीकृत प्रगति और समय-समय पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा प्रस्तावित मांगों के आधार पर धनराशि जारी करना एक सतत प्रक्रिया है.