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डार्क वेब से निपटने के लिए डिजिटल फोरेंसिक अवसंरचना विकसित करें: एनएचआरसी चीफ - डार्क वेब से निपटना जरूरी

एनएचआरसी चीफ न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा ने डार्क वेब और इससे समाज को होने वाले खतरे के बारे में चिंता जताई. उन्होंने कहा कि डार्क वेब से निपटने के लिए डिजिटल फोरेंसिक अवसंरचना विकसित करें. Develop digital forensic infrastructure to deal with Dark Web NHRC chief

NHRC
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
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By PTI

Published : Nov 26, 2023, 10:46 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा ने डार्क वेब और इससे समाज को होने वाले खतरे के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि इससे निपटने के लिए एक डिजिटल फोरेंसिक अवसंरचना विकसित किए जाने की जरूरत है.

न्यायमूर्ति मिश्रा ने यहां संविधान दिवस कार्यक्रम में कहा कि जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ने कहा, 'हम डिजिटल युग में रहते हैं, जो प्रगति और विकास में सहायक है. इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई है. हालांकि, 96 प्रतिशत साइबरस्पेस डार्क वेब है. इसका उपयोग शोषण जैसे आपराधिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है.

एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, 'इसका इस्तेमाल बच्चों के शोषण, निजता के अधिकार के हनन, आधुनिक गुलामी, तस्करी और डेटा हैकिंग के जरिए फिरौती की मांग करने जैसे आपराधिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है...इसे रोका जाना चाहिए.'

इस बात का उल्लेख करते हुए कि जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के माध्यम से कई सुधार आए हैं, न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, 'पीआईएल उपयोगी है, हालांकि राजनीतिक उद्देश्य के लिए इसका दुरुपयोग रोका जाना चाहिए.'

उन्होंने यह भी कहा कि संविधान का लक्ष्य हासिल करने के लिए हिंसा-मुक्त चुनाव सुनिश्चित करना होगा. उन्होंने कहा, 'लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. निष्पक्ष चुनाव को मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी गई है.' उन्होंने लैंगिक समानता के बारे में कहा कि 'लैंगिक समानता' वाक्यांश को परिभाषित करने का समय आ गया है. उन्होंने कहा, 'महिलाओं के साथ अब भी भेदभाव किया जाता है, (जबकि) उन्हें समान अधिकार मिलने चाहिए.'

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न्यायमूर्ति मिश्रा ने यहां संविधान दिवस कार्यक्रम में कहा कि जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ने कहा, 'हम डिजिटल युग में रहते हैं, जो प्रगति और विकास में सहायक है. इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई है. हालांकि, 96 प्रतिशत साइबरस्पेस डार्क वेब है. इसका उपयोग शोषण जैसे आपराधिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है.

एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, 'इसका इस्तेमाल बच्चों के शोषण, निजता के अधिकार के हनन, आधुनिक गुलामी, तस्करी और डेटा हैकिंग के जरिए फिरौती की मांग करने जैसे आपराधिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है...इसे रोका जाना चाहिए.'

इस बात का उल्लेख करते हुए कि जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के माध्यम से कई सुधार आए हैं, न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, 'पीआईएल उपयोगी है, हालांकि राजनीतिक उद्देश्य के लिए इसका दुरुपयोग रोका जाना चाहिए.'

उन्होंने यह भी कहा कि संविधान का लक्ष्य हासिल करने के लिए हिंसा-मुक्त चुनाव सुनिश्चित करना होगा. उन्होंने कहा, 'लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. निष्पक्ष चुनाव को मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी गई है.' उन्होंने लैंगिक समानता के बारे में कहा कि 'लैंगिक समानता' वाक्यांश को परिभाषित करने का समय आ गया है. उन्होंने कहा, 'महिलाओं के साथ अब भी भेदभाव किया जाता है, (जबकि) उन्हें समान अधिकार मिलने चाहिए.'

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