नई दिल्ली: मंगलवार को राजधानी दिल्ली में उत्तराखंड के निर्वतमान मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री सहित गृह मंत्री और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठकें हुई. जिनमें कई बातों पर मंथन किया गया. उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी 70 में से 43 सीटें जीत कर एक बार सत्ता में फिर से बहुमत में आ गई है. बावजूद इसके मुख्यमंत्री के चुनाव हार जाने की वजह से पार्टी के लिए एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है.
पार्टी इस बात को लेकर पशोपेश में है कि खटीमा से पुष्कर धामी अपना चुनाव हार चुके हैं. वहीं चुनाव प्रचार के दौरान लगातार प्रधानमंत्री सहित बीजेपी के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने प्रदेश में यह भरोसा दिलाया था कि दोबारा मुख्यमंत्री के तौर पर वह पुष्कर सिंह धामी को ही लेकर आएंगे. ऐसे में जनता के जनादेश की अवहेलना की जाए या पुष्कर सिंह धामी के हार पर विवेचना की जाए, इस बात को लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है. मंगलवार को उत्तराखंड के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ प्रधानमंत्री समेत, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह ,संगठन मंत्री वीएल संतोष समेत तमाम नेताओं के साथ बैठक में इस बात पर विचार मंथन चलता रहा.
उत्तराखंड में कई दावेदार
हालांकि सूत्रों की मानें तो पार्टी का एक मजबूत धड़ा पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के मत में है. दोपहर में जब पुष्कर सिंह धामी, गृहमंत्री अमित शाह से संसद भवन में मिलकर बाहर जा रहे थे तो उनके चेहरे से साफ संकेत मिल रहा था कि अंदर कुछ पॉजिटिव बात हुई है. साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दिया कि उत्तराखंड में विधायक दल की बैठक होली के बाद 19 मार्च को बुलाई जा सकती है. गृह मंत्री के साथ मुलाकात में पुष्कर सिंह धामी के साथ भाजपा के उत्तराखंड के नेता और मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी भी साथ थे. ज्ञात हो कि जब उत्तराखंड में पिछली बार मुख्यमंत्री बनाने की बात आई थी तो पुष्कर सिंह धामी का समर्थन अनिल बलूनी ने भी किया था और माना जाता है कि प्रदेश में मौजूद अलग-अलग धड़े में वह बलूनी खेमे से आते हैं.
इनके नाम भी चर्चा में
हालांकि इसके अलावा भी कई उम्मीदवारों ने भी अपने-अपने दावे पेश किए हैं या यूं कहें कि पार्टी उनके नामों पर भी विचार कर रही है. बहरहाल उत्तराखंड के लिए बनाए गए पर्यवेक्षक 19 मार्च को देहरादून जाएंगे जहां विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाई जाएगी. उत्तराखंड के सीएम की रेस में अगर देखा जाए तो कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत, कई बार कैबिनेट मंत्री रह चुके सतपाल महाराज, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री भवन खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी, मसूरी से विधायक गणेश जोशी, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और कई ऐसे नामों पर सस्पेंस बना हुआ है. हालांकि सभी के दावे अपने-अपने हैं लेकिन अंततः निर्णय पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को ही लेना है.
गोवा में दो दावेदार आमने-सामने
वहीं यदि गोवा के मुख्यमंत्री की बात करें तो 10 साल से पार्टी वहां पर सत्ता में है और तीसरी बार 40 में से 20 सीटें जीतकर फिर से सत्ता में आई है. बावजूद इसके मुख्यमंत्री कौन हो इस बात को लेकर अंदरूनी कलह जारी है क्योंकि यहां मौजूदा कार्यवाहक मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और बीजेपी के ही दूसरे नेता विश्वजीत राणे के बीच सीएम कुर्सी को लेकर खींचतान चल रही है. यहां तक कि विश्वजीत राणे ने अपनी दावेदारी जताते हुए कुछ पोस्टर भी लगवाए जिनमें मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का चेहरा गायब था. यह पोस्टर मराठी अखबार में छपवाए गए हैं. यह पहली घटना नहीं थी, इससे पहले भी उनकी पत्नी जो खुद विधायक हैं, ने भी कुछ पोस्टर छपवाए थे, जिसमें प्रमोद सावंत की तस्वीर नहीं लगाई गई थी.
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फिलहाल विश्वजीत राणे सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाल रहे थे. सबकी नजरें अब बुधवार की बैठक पर टिकी हुई हैं. जिसमें गोवा के मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी मौजूद रहेंगे और वह मंत्रिमंडल पर वरिष्ठ नेताओं के साथ मंथन करेंगे. साथ ही बुधवार को भी दिल्ली में उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ समेत कई भाजपा के नेता दिल्ली आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश को लेकर भी भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में एक बड़ी बैठक बुलाई गई है. जिसमें अगले मंत्रिमंडल का आकार प्रकार कैसा हो इस बात पर विचार किया जाएगा. कितने उप मुख्यमंत्री बनाए जाएं इस बात को लेकर भी मुहर लगाई जाएगी. पिछली बार से अलग इस बार भाजपा तीन मुख्यमंत्री बनाने की योजना बना रही है. सूत्रों की मानें तो पार्टी के मीडिया सेल ने फिलहाल किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के नाम और मंत्रियों के नाम पर बयानबाजी करने से मना किया है.