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रूस की तरफ झुकाव के बावजूद भारत से संबंधों में ऐतिहासिक प्रगति: पेंटागन

पेंटागन ने विकसित हो रहे भारत-अमेरिका सैन्य संबंधों (Indo US military relations) का बचाव किया है. यहां तक ​​कि अमेरिकी सदन में सुनवाई के दौरान इसे ऐतिहासिक भी कहा. भले ही भारत-रूस संबंधों पर कांग्रेसियों द्वारा सवाल उठाए गए हैं लेकिन पेंटागन संबंधों को लेकर आश्वस्त है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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पेंटागन
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Published : Mar 10, 2022, 10:58 PM IST

नई दिल्ली: हाल ही में भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई के खिलाफ तीन मौकों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाए जाने के बावजूद भारत-अमेरिका अपनी सैन्य प्रणालियों को एकीकृत करने पर पूरी तरह से आगे बढ़ रहे हैं. साथ ही अंतरिक्ष और साइबरस्पेस पर भी ध्यान दे रहे हैं. रूस की शक्तिशाली S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद के कारण भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की संभावना व वैश्विक निंदा के बीच अमेरिका की यह स्थिति महत्वपूर्ण है.

बुधवार को यूएस हाउस सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष पेश हुए भारत-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा सचिव एली रैटनर ने कहा कि हम भारत के साथ अपनी प्रमुख रक्षा साझेदारी के साथ ऐतिहासिक प्रगति देख रहे हैं. क्योंकि हम एकीकृत संचालन प्रगति जारी रख रहे हैं. हम रक्षा सहयोग और रसद, सूचना साझाकरण को बढ़ाने और अंतरिक्ष व साइबरस्पेस में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं.

रैटनर ने कहा कि अमेरिकी दृष्टिकोण से भारत एक अत्यंत आवश्यक भागीदार है, जब हम हिंद-प्रशांत में अपनी रणनीति के बारे में सोचते हैं. हम मानते हैं कि भारत का रूस के साथ एक जटिल इतिहास और संबंध है. उनके अधिकांश हथियार वे रूसियों से खरीदते हैं. वे अपने स्वयं के रक्षा उद्योग के स्वदेशीकरण सहित ऐसे कई कदम उठाने को लेकर स्पष्ट रूप से प्रतिबद्ध हैं और यह ऐसी चीज है जिसका हमें समर्थन करना चाहिए.

इंडो-पैसिफिक कमांड (US INDOPACOM ) के कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने भी कांग्रेसियों के सवालों का जवाब दिया और कहा कि भारत, विशेष रूप से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. जिसका अतीत में कई मायनों में रूस के करीब होने का इतिहास रहा है. लेकिन अब हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. अगर हम उस रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं और इसे बढ़ा सकते हैं तो बेहतर होगा, जो दुनिया को शांतिपूर्ण जगह बनाने में मददगार है.

यह भी पढ़ें- पेंटागन ने संरा में भारत के रुख पर सांसदों को संतुष्ट करने की कोशिश की

इंडो-पैसिफिक में अमेरिका की रणनीति में भारत को बिल्कुल आवश्यक भागीदार बताते हुए एडम एक्विलिनो ने कहा कि एकीकृत और लचीला, टिकाऊ (खुफिया, निगरानी और टोही) क्षमताओं के सहयोग पर जोर दिया जा रहा है. सैन्य सेवाओं, संपत्तियों और प्रौद्योगिकियों के एकीकरण को अमेरिका के साथ प्रमुख मूलभूत समझौतों द्वारा सक्षम किया गया है, जो इसे सैन्य रूप से अमेरिका के बहुत करीब जोड़ता है. ये समझौते 2016 में हस्ताक्षरित लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), 2018 के कम्युनिकेशंस कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA) और 2020 के BECA (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) हैं.

नई दिल्ली: हाल ही में भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई के खिलाफ तीन मौकों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाए जाने के बावजूद भारत-अमेरिका अपनी सैन्य प्रणालियों को एकीकृत करने पर पूरी तरह से आगे बढ़ रहे हैं. साथ ही अंतरिक्ष और साइबरस्पेस पर भी ध्यान दे रहे हैं. रूस की शक्तिशाली S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद के कारण भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की संभावना व वैश्विक निंदा के बीच अमेरिका की यह स्थिति महत्वपूर्ण है.

बुधवार को यूएस हाउस सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष पेश हुए भारत-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा सचिव एली रैटनर ने कहा कि हम भारत के साथ अपनी प्रमुख रक्षा साझेदारी के साथ ऐतिहासिक प्रगति देख रहे हैं. क्योंकि हम एकीकृत संचालन प्रगति जारी रख रहे हैं. हम रक्षा सहयोग और रसद, सूचना साझाकरण को बढ़ाने और अंतरिक्ष व साइबरस्पेस में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं.

रैटनर ने कहा कि अमेरिकी दृष्टिकोण से भारत एक अत्यंत आवश्यक भागीदार है, जब हम हिंद-प्रशांत में अपनी रणनीति के बारे में सोचते हैं. हम मानते हैं कि भारत का रूस के साथ एक जटिल इतिहास और संबंध है. उनके अधिकांश हथियार वे रूसियों से खरीदते हैं. वे अपने स्वयं के रक्षा उद्योग के स्वदेशीकरण सहित ऐसे कई कदम उठाने को लेकर स्पष्ट रूप से प्रतिबद्ध हैं और यह ऐसी चीज है जिसका हमें समर्थन करना चाहिए.

इंडो-पैसिफिक कमांड (US INDOPACOM ) के कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने भी कांग्रेसियों के सवालों का जवाब दिया और कहा कि भारत, विशेष रूप से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. जिसका अतीत में कई मायनों में रूस के करीब होने का इतिहास रहा है. लेकिन अब हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. अगर हम उस रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं और इसे बढ़ा सकते हैं तो बेहतर होगा, जो दुनिया को शांतिपूर्ण जगह बनाने में मददगार है.

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इंडो-पैसिफिक में अमेरिका की रणनीति में भारत को बिल्कुल आवश्यक भागीदार बताते हुए एडम एक्विलिनो ने कहा कि एकीकृत और लचीला, टिकाऊ (खुफिया, निगरानी और टोही) क्षमताओं के सहयोग पर जोर दिया जा रहा है. सैन्य सेवाओं, संपत्तियों और प्रौद्योगिकियों के एकीकरण को अमेरिका के साथ प्रमुख मूलभूत समझौतों द्वारा सक्षम किया गया है, जो इसे सैन्य रूप से अमेरिका के बहुत करीब जोड़ता है. ये समझौते 2016 में हस्ताक्षरित लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), 2018 के कम्युनिकेशंस कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA) और 2020 के BECA (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) हैं.

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