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'आप' के लिए राष्ट्रीय राजनीति की डगर काफी दूर, अभी 'मीलों का सफर' बाकी

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Published : Mar 11, 2022, 10:00 PM IST

पंजाब विधानसभा में जीत का परचम लहराने के बाद 'आप' की स्थिति मजबूत हुई है. इससे पार्टी के राज्यसभा सांसदों की संख्या में तो इजाफा होगा लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति पर अपना प्रभाव डालने के लिए लंबा सफर तय करना है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

political analyst Dr Geeta Bhatt
राजनीतिक विश्लेषक डॉ गीता भट्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: पंजाब विधानसभा चुनाव में क्लीन स्वीप से राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) की उपस्थिति मजबूत हो सकती है, लेकिन इसे राष्ट्रव्यापी प्रभाव बनाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना होगा. पंजाब में 42 फीसद से अधिक वोट हासिल कर 92 सीटों के साथ आप ने राज्य से कांग्रेस सरकार को हटाकर इतिहास रच दिया है. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के संवेदनशील राज्यों में से एक पंजाब में गुरुवार का परिणाम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को राज्यसभा में अपने सदस्यों को बढ़ाने का एक बड़ा मौका दे सकता है, लेकिन पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति पर अपना प्रभाव डालने के लिए एक लंबा सफर तय करना है.

इस संबंध में प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक डॉ गीता भट्ट (political analyst Dr Geeta Bhatt) ने ईटीवी भारत से कहा, 'आप' एक प्रमुख राजनीतिक दल के रूप में उभर रही है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाद उन्हें पंजाब पर शासन करने के लिए जनादेश मिला. हालांकि, अगर दिल्ली और पंजाब में उनके वोटों की संख्या की तुलना करें तो यह बहुत कम है. वहीं मौजूदा सांसदों के रिटायर होने के बाद इस साल अगस्त तक 21 राज्यों की 70 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होंगे.

इनमें कम से कम 13 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव 31 मार्च को होगा. इसमें असम के दो सदस्य, केरल के तीन सदस्य और हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा के एक-एक सदस्य 2 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं. इसी तरह पंजाब से राज्यसभा के पांच सदस्य नौ अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं. हालांकि आप के पास पहले से ही दिल्ली से राज्यसभा में तीन सदस्य हैं लेकिन पंजाब में क्लीन स्वीप के बाद उसके पांच और सदस्य बढ़ जाएंगे. दूसरी तरफ पंजाब के दो और राज्यसभा सदस्य 4 जुलाई को रिटायर होंगे.

ये भी पढ़ें - दिल्ली पहुंचे भगवंत मान, 16 मार्च को लेंगे पंजाब सीएम पद की शपथ

इस बारे में भट्ट ने कहा, 'पंजाब चुनाव में जीत ने आप को खुद को साबित करने का मौका दिया है. पंजाब जैसे राज्य में पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी है, जो सुरक्षा के साथ-साथ ड्रग्स से भी बुरी तरह प्रभावित है.' उन्होंने कहा कि यह एक सच्चाई है कि पाकिस्तान के साथ अपनी सीमा साझा करने वाला पंजाब हर दूसरे दिन सुर्खियों में बना रहता है. यहां या तो सीमा पार से नशीली दवाओं के इंजेक्शन से संबंधित घटनाएं हैं या कानून-व्यवस्था का मुद्दा है. राज्य सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए हमेशा मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है. राष्ट्रीय राजधानी में आप सरकार की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि यहां तो केंद्र के हवाले सुरक्षा की जिम्मेदारी है लेकिन पंजाब में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से काम करने की जरूरत होगी. जहां तक गोवा विधानसभा चुनाव का सवाल है तो यहां पर आप को दो सीटें मिली थीं. वहीं छह राज्यों में 21 जून तक राज्यसभा के सदस्य रिटायर होंगे. इसके बाद जुलाई में 34 सदस्य रिटायर होंगे और हरियाणा के दो सदस्य अगस्त में रिटायर होंगे.

दूसरी ओर भाजपा अगले महीने हिमाचल प्रदेश, असम से राज्यसभा की कुछ और सीटें हासिल कर सकेगी. पार्टी को त्रिपुरा से एक और सीट मिलेगी जहां सीपीएम की राज्यसभा सांसद झरना दास वैद्य अगले महीने रिटायर हो रही हैं. जहां तक ​​भाजपा की स्थिति का सवाल है, उत्तर प्रदेश के चुनाव ने दिखाया है कि लोगों ने सत्तारूढ़ दल के लिए मतदान किया है. डॉ भट्ट ने कहा, 'यूपी का परिणाम सत्ता समर्थक कारक का भी प्रतीक है. आम तौर पर, किसी भी सत्तारूढ़ दल के लिए फिर से सत्ता में आने के लिए यह एक कठिन स्थिति है.'

ये भी पढ़ें - उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में भाजपा की जीत, AAP का पंजाब में परचम लहराया

उन्होंने कहा कि कुल वोट के 41.29 फीसद वोट प्राप्त करने के साथ ही 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में अकेले भाजपा को 255 सीटें मिलीं. यह पूछे जाने पर कि पंजाब में कांग्रेस के साथ क्या गलत हुआ, डॉ भट्ट ने कहा कि कांग्रेस में जो हो रहा था उसे लोगों ने गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा कि पंजाब का चुनाव परिणाम दिखाता है कि पंजाब के लोग कांग्रेस से खुश नहीं थे. वहीं कांग्रेस के सभी नेता आपस में लड़ रहे थे. इसके अलावा, अंतर्कलह के समाधान के लेकर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी निर्णय नहीं ले पाया. हालांकि कांग्रेस पंजाब में कुल वोट का 23 फीसद मत हासिल कर 117 सदस्यीय विधानसभा में 18 सीटें जीतकर विपक्षी दल बन गई.

नई दिल्ली: पंजाब विधानसभा चुनाव में क्लीन स्वीप से राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) की उपस्थिति मजबूत हो सकती है, लेकिन इसे राष्ट्रव्यापी प्रभाव बनाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना होगा. पंजाब में 42 फीसद से अधिक वोट हासिल कर 92 सीटों के साथ आप ने राज्य से कांग्रेस सरकार को हटाकर इतिहास रच दिया है. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के संवेदनशील राज्यों में से एक पंजाब में गुरुवार का परिणाम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को राज्यसभा में अपने सदस्यों को बढ़ाने का एक बड़ा मौका दे सकता है, लेकिन पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति पर अपना प्रभाव डालने के लिए एक लंबा सफर तय करना है.

इस संबंध में प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक डॉ गीता भट्ट (political analyst Dr Geeta Bhatt) ने ईटीवी भारत से कहा, 'आप' एक प्रमुख राजनीतिक दल के रूप में उभर रही है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाद उन्हें पंजाब पर शासन करने के लिए जनादेश मिला. हालांकि, अगर दिल्ली और पंजाब में उनके वोटों की संख्या की तुलना करें तो यह बहुत कम है. वहीं मौजूदा सांसदों के रिटायर होने के बाद इस साल अगस्त तक 21 राज्यों की 70 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होंगे.

इनमें कम से कम 13 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव 31 मार्च को होगा. इसमें असम के दो सदस्य, केरल के तीन सदस्य और हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा के एक-एक सदस्य 2 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं. इसी तरह पंजाब से राज्यसभा के पांच सदस्य नौ अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं. हालांकि आप के पास पहले से ही दिल्ली से राज्यसभा में तीन सदस्य हैं लेकिन पंजाब में क्लीन स्वीप के बाद उसके पांच और सदस्य बढ़ जाएंगे. दूसरी तरफ पंजाब के दो और राज्यसभा सदस्य 4 जुलाई को रिटायर होंगे.

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इस बारे में भट्ट ने कहा, 'पंजाब चुनाव में जीत ने आप को खुद को साबित करने का मौका दिया है. पंजाब जैसे राज्य में पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी है, जो सुरक्षा के साथ-साथ ड्रग्स से भी बुरी तरह प्रभावित है.' उन्होंने कहा कि यह एक सच्चाई है कि पाकिस्तान के साथ अपनी सीमा साझा करने वाला पंजाब हर दूसरे दिन सुर्खियों में बना रहता है. यहां या तो सीमा पार से नशीली दवाओं के इंजेक्शन से संबंधित घटनाएं हैं या कानून-व्यवस्था का मुद्दा है. राज्य सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए हमेशा मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है. राष्ट्रीय राजधानी में आप सरकार की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि यहां तो केंद्र के हवाले सुरक्षा की जिम्मेदारी है लेकिन पंजाब में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से काम करने की जरूरत होगी. जहां तक गोवा विधानसभा चुनाव का सवाल है तो यहां पर आप को दो सीटें मिली थीं. वहीं छह राज्यों में 21 जून तक राज्यसभा के सदस्य रिटायर होंगे. इसके बाद जुलाई में 34 सदस्य रिटायर होंगे और हरियाणा के दो सदस्य अगस्त में रिटायर होंगे.

दूसरी ओर भाजपा अगले महीने हिमाचल प्रदेश, असम से राज्यसभा की कुछ और सीटें हासिल कर सकेगी. पार्टी को त्रिपुरा से एक और सीट मिलेगी जहां सीपीएम की राज्यसभा सांसद झरना दास वैद्य अगले महीने रिटायर हो रही हैं. जहां तक ​​भाजपा की स्थिति का सवाल है, उत्तर प्रदेश के चुनाव ने दिखाया है कि लोगों ने सत्तारूढ़ दल के लिए मतदान किया है. डॉ भट्ट ने कहा, 'यूपी का परिणाम सत्ता समर्थक कारक का भी प्रतीक है. आम तौर पर, किसी भी सत्तारूढ़ दल के लिए फिर से सत्ता में आने के लिए यह एक कठिन स्थिति है.'

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उन्होंने कहा कि कुल वोट के 41.29 फीसद वोट प्राप्त करने के साथ ही 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में अकेले भाजपा को 255 सीटें मिलीं. यह पूछे जाने पर कि पंजाब में कांग्रेस के साथ क्या गलत हुआ, डॉ भट्ट ने कहा कि कांग्रेस में जो हो रहा था उसे लोगों ने गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा कि पंजाब का चुनाव परिणाम दिखाता है कि पंजाब के लोग कांग्रेस से खुश नहीं थे. वहीं कांग्रेस के सभी नेता आपस में लड़ रहे थे. इसके अलावा, अंतर्कलह के समाधान के लेकर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी निर्णय नहीं ले पाया. हालांकि कांग्रेस पंजाब में कुल वोट का 23 फीसद मत हासिल कर 117 सदस्यीय विधानसभा में 18 सीटें जीतकर विपक्षी दल बन गई.

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