हैदराबाद : घर बनाने के लिए पैसे की मांग करना भी दहेज के अंतर्गत आता है. यह आईपीसी की धारा 304-बी में समाहित है. सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में इसे स्पष्ट किया. मुख्य न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि दहेज शब्द का व्यापक अर्थ है. एक महिला से की गई सभी तरह की मांगें, चाहे वह संपत्ति से जुड़ा हो या फिर किसी भी प्रकृति की मूल्यवान प्रतिभूति के रूप में, यह दहेज के अंतर्गत आता है.
सुप्रीम कोर्ट के सामने दहेज से जुड़ा यह मामला सामने आया था. यह मामला मध्य प्रदेश बनाम जोगेंद्र से जुड़ा है. जोगेंद्र को हाईकोर्ट से राहत मिली थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को राहत नहीं दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ससुराल वाले महिला से लगातार पैसे की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि उन्हें घर बनाना है, इसलिए वह अपने घर से (मां-बाप से) पैसे मांगे. लेकिन महिला के परिवार वालों के पास इतना पैसा नहीं था. महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि उनके ससुराल वाले इसकी वजह से उसे प्रताड़ित करते रहे. लगातार ताने कसते रहे. उस महिला ने आत्महत्या कर ली थी.
महिला के ससुराल वालों की दलील थी कि घर के लिए पैसे की मांग करना दहेज में शामिल नहीं है. उसने यह भी कहा कि उसने खुद ही पैसे की मांग की थी. आपको बता दें कि आईपीसी की धारा 304बी के अधीन किसी को भी दोषी ठहराने के लिए कोर्ट मुख्य रूप से चार आवश्यकताओं पर बल देता है. पहला- महिला की मृत्यु सामान्य परिस्थितियों में हुई या नहीं. दूसरा- शादी के सात साल पूरा होने से पहले मृत्यु हुई या नहीं. तीसरा- मृत्यु से ठीक पहले पति के हाथों क्रूरता का शिकार हुई. चौथा - क्रूरता का संबंध दहेज से हो.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हमें उस सामाजिक परिवेश के प्रति पूरी तरह से संवेदनशील होने की जरूरत है. बार-बार महिला से पैसे की मांग करना और फिर तंग आकर उस महिला ने अपने घरवालों से पैसे की मांग की. पैसे की मांग करना दबाव का नतीजा था. अब इस आधार पर प्रतिवादी राहत की मांग नहीं कर सकता है कि पैसे की मांग खुद महिला ने अपने घर वालों से की थी. कोर्ट ने कहा कि आपने इतना अधिक दबाव बनाया, इसका नतीजा था कि वह मजबूर हो गई. यह एक मानसिक प्रताड़ना है.
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