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बजट : सीआईआई ने कच्चे माल पर सीमा शुल्क में राहत देने की मांग की

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Published : Jan 3, 2021, 5:45 PM IST

उद्योग मंडल सीआईआई ने इस्पात क्षेत्र को लेकर आगामी बजट के लिए दी गयी सिफारिशों में एंथ्रेसाइट कोयला, मेटालर्जिकल कोक, कोकिंग कोयला और ग्रेफाइट इलेक्ट्रॉड जैसे कच्चे माल पर मूल सीमा शुल्क में कटौती की मांग की है.

सीआईआई
सीआईआई

नई दिल्ली : घरेलू इस्पात उद्योग ने आगामी बजट में एंथ्रेसाइट कोयला, मेटालर्जिकल कोक, कोकिंग कोयला और ग्रेफाइट इलेक्ट्रॉड जैसे कच्चे माल पर मूल सीमा शुल्क में कटौती की मांग की है.

उद्योग मंडल सीआईआई ने इस्पात क्षेत्र को लेकर आगामी बजट के लिये दी गई सिफारिशों में कहा कि बेहतर गुणवत्ता और मात्रा में इन वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने से इस्पात उद्योग की वद्धि पर प्रभाव पड़ता है.

उद्योग जगत ने एंथ्रेसाइट कोयला पर मौजूदा मूल सीमा शुल्क 2.5 प्रतिशत को घटाकर शून्य करने का सुझाव दिया है. उसने कहा कि देश में अच्छी गुणवत्ता में इन उत्पादों की उपलब्धता घट रही है. ऐसे में इस्पात उद्योग को नियमित आधार पर इन वस्तुओं के आयात पर निर्भर होना पड़ सकता है.

सीआईआई ने मेटालर्जिकल कोक के लिए आयात शुल्क मौजूदा 5 प्रतिशत से कम कर 2.5 प्रतिशत करने का सुझाव दिया.

उद्योग मंडल ने कहा, 'कम राख वाले मेटालर्जिकल कोक (एच एस कोड 2704) स्टील बनाने के लिये प्रमुख कच्चा माल हैं. कच्चे माल की कुल लागत में इसकी हिस्सेदारी 46 प्रतिशत है. शुल्क में कटौती से घरेलू इस्पात उद्योग को लागत के हिसाब से प्रतिस्पर्धी होने में मदद मिलेगी.'

अपनी सिफारिशों में सीआईआई ने कोकिंग कोयले पर भी आयात शुल्क कम करने का सुझाव दिया है.

फिलहाल कोकिंग कोल पर आयात शुल्क 2.5 प्रतिशत है.

पढ़ें - ऋण उपलब्ध कराने वाले ऐप चलाने के मामले में चीनी नागरिक समेत चार गिरफ्तार

उद्योग मंडल ने कहा कि कोकिंग कोयले की घरेलू आपूर्ति पर्याप्त नहीं है. इसीलिए घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए, इसका आयात करना होता है. इस पर शुल्क घटाकर शून्य किया जाना चाहिए.

सीआईआई के अनुसार ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड का भी इस्पात बनाने में काफी उपयोग होता है. घरेलू इस्पात उत्पादक कंपनियां ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड का आयात करने के लिए बाध्य हैं, क्योंकि देश में जो भी उत्पादन होता है, उसका करीब 60 प्रतिशत निर्यात हो जाता है. इससे घरेलू बाजार में इसकी कमी है.'

उद्योग मंडल ने कहा, 'उच्च शुल्क से कंपनियों की लागत बढ़ती है. ऐसे में इसे मौजूदा 7.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य स्तर पर लाने की जरूरत है.'

नई दिल्ली : घरेलू इस्पात उद्योग ने आगामी बजट में एंथ्रेसाइट कोयला, मेटालर्जिकल कोक, कोकिंग कोयला और ग्रेफाइट इलेक्ट्रॉड जैसे कच्चे माल पर मूल सीमा शुल्क में कटौती की मांग की है.

उद्योग मंडल सीआईआई ने इस्पात क्षेत्र को लेकर आगामी बजट के लिये दी गई सिफारिशों में कहा कि बेहतर गुणवत्ता और मात्रा में इन वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने से इस्पात उद्योग की वद्धि पर प्रभाव पड़ता है.

उद्योग जगत ने एंथ्रेसाइट कोयला पर मौजूदा मूल सीमा शुल्क 2.5 प्रतिशत को घटाकर शून्य करने का सुझाव दिया है. उसने कहा कि देश में अच्छी गुणवत्ता में इन उत्पादों की उपलब्धता घट रही है. ऐसे में इस्पात उद्योग को नियमित आधार पर इन वस्तुओं के आयात पर निर्भर होना पड़ सकता है.

सीआईआई ने मेटालर्जिकल कोक के लिए आयात शुल्क मौजूदा 5 प्रतिशत से कम कर 2.5 प्रतिशत करने का सुझाव दिया.

उद्योग मंडल ने कहा, 'कम राख वाले मेटालर्जिकल कोक (एच एस कोड 2704) स्टील बनाने के लिये प्रमुख कच्चा माल हैं. कच्चे माल की कुल लागत में इसकी हिस्सेदारी 46 प्रतिशत है. शुल्क में कटौती से घरेलू इस्पात उद्योग को लागत के हिसाब से प्रतिस्पर्धी होने में मदद मिलेगी.'

अपनी सिफारिशों में सीआईआई ने कोकिंग कोयले पर भी आयात शुल्क कम करने का सुझाव दिया है.

फिलहाल कोकिंग कोल पर आयात शुल्क 2.5 प्रतिशत है.

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उद्योग मंडल ने कहा कि कोकिंग कोयले की घरेलू आपूर्ति पर्याप्त नहीं है. इसीलिए घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए, इसका आयात करना होता है. इस पर शुल्क घटाकर शून्य किया जाना चाहिए.

सीआईआई के अनुसार ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड का भी इस्पात बनाने में काफी उपयोग होता है. घरेलू इस्पात उत्पादक कंपनियां ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड का आयात करने के लिए बाध्य हैं, क्योंकि देश में जो भी उत्पादन होता है, उसका करीब 60 प्रतिशत निर्यात हो जाता है. इससे घरेलू बाजार में इसकी कमी है.'

उद्योग मंडल ने कहा, 'उच्च शुल्क से कंपनियों की लागत बढ़ती है. ऐसे में इसे मौजूदा 7.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य स्तर पर लाने की जरूरत है.'

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