नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के बारे में गठित परिसीमन (Delimitation Commission) आयोग ने गुरुवार को केंद्र शासित प्रदेश के सांसदों के सुझावों पर चर्चा की. उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में आयोग ने पांच सांसदों द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा की. आयोग को छह मई तक अपनी रिपोर्ट देनी है.
अधिकारियों ने जानकारी दी है कि इनमें से कुछ सुझावों को आयोग ने आज स्वीकार कर लिया है. परिसीमन मसौदा प्रस्ताव पर सुझाव नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी, अकबर लोन और भाजपा के जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर दे रहे थे. बैठक के बाद अधिकारियों ने बताया कि परिसीमन आयोग ने पांच सहयोगी सदस्यों द्वारा दिए गए इन सुझावों पर विस्तृत चर्चा की और उनमें से कुछ को स्वीकार भी कर लिया गया है.
उन्होंने कहा कि आयोग अब इन पांच सहयोगी सदस्यों को अपने निर्णय के बारे में सूचित करेगा. बैठक की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई कर रही थीं और इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र (Sushil Chandra), जम्मू-कश्मीर चुनाव आयोग के प्रमुख और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी शामिल थे.
दरअसल पांच सहयोगी सदस्यों ने 14 फरवरी को परिसीमन समिति को मसौदा प्रस्ताव पर अपने सुझावों की सूची प्रस्तुत की थी. परिसीमन आयोग ने अपने दूसरे मसौदा प्रस्ताव में सात नए विधानसभा क्षेत्रों, जम्मू में छह और कश्मीर क्षेत्र में एक प्रस्तावित किया था.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन करने के लिए गठित परिसीमन आयोग का कार्यकाल दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. आयोग का कार्यकाल 6 मार्च को समाप्त होना था, लेकिन सोमवार को जारी कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार इसे दो महीने बढ़ाकर 6 मई तक कर दिया गया है. मार्च 2020 में गठित आयोग को पिछले साल एक साल का विस्तार दिया गया था.
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केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370 from Jammu and Kashmir) को खत्म किया था. वहीं, इसके बाद केंद्र शासित प्रदेश में विधान सभा और संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से बनाने के लिए जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 (Jammu and Kashmir Reorganization Act 2019) के तहत परिसीमन आयोग गठित किया था.