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हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा से जुड़े एक आरोपी के खिलाफ चार FIR निरस्त की - उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में सुनवाई

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा से जुड़े एक आरोपी के खिलाफ चार FIR निरस्त कर दी है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि एक ही घटना को लेकर एक आरोपी के खिलाफ पांच FIR दर्ज नहीं की जा सकतीं.

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Published : Sep 2, 2021, 4:39 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा से जुड़े एक आरोपी के खिलाफ चार FIR निरस्त कर दी हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि एक ही घटना को लेकर एक आरोपी के खिलाफ पांच FIR दर्ज नहीं की जा सकतीं.

आरोपी आतिर के खिलाफ 2 मार्च 2020 को दिल्ली हिंसा के दौरान एक घर में आगजनी करने के मामले में जाफराबाद थाने में मुख्य FIR नंबर 106/2020 दर्ज की गई थी. उसके बाद उसी घटना को लेकर चार और FIR दर्ज की गईं. इन सभी FIR में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 436 और 34 के अलावा प्रिवेंशन ऑफ डैमैज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए थे.

आतिर ने याचिका दायर कर कहा था कि ये सभी FIR एक ही घटना से संबंधित थीं और सभी एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्यों की शिकायत पर दर्ज की गईं थीं. याचिका में कहा गया था की टीटी एंटनी फैसले के दिशानिर्देश के मुताबिक एक ही अपराध को लेकर कई FIR दर्ज नहीं की जा सकतीं.

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने याचिका खारिज करने की मांग की थी. दिल्ली पुलिस ने कहा कि साईट प्लान के मुताबिक अलग-अलग संपत्तियों और उसमें रहने वाले लोगों के परिसर जलाए गए थे और इससे अलग-अलग लोग प्रभावित हुए थे.

हाईकोर्ट ने कहा कि सभी FIR एक ही हैं और सबमें कम या ज्यादा तथ्य भी एक ही हैं. घटना एक ही घर की है. कोर्ट ने कहा कि भले ही संपत्तियां अलग-अलग हों, लेकिन सभी एक ही परिसर में थीं, जिसमें अलग-अलग लोग रह रहे थे. अगर आरोपी के खिलाफ कोई तथ्य मिलता है तो उसे मुख्य FIR के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए.

पढ़ेंः धनशोधन मामले में ED के समन के खिलाफ HC पहुंचे देशमुख

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा से जुड़े एक आरोपी के खिलाफ चार FIR निरस्त कर दी हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि एक ही घटना को लेकर एक आरोपी के खिलाफ पांच FIR दर्ज नहीं की जा सकतीं.

आरोपी आतिर के खिलाफ 2 मार्च 2020 को दिल्ली हिंसा के दौरान एक घर में आगजनी करने के मामले में जाफराबाद थाने में मुख्य FIR नंबर 106/2020 दर्ज की गई थी. उसके बाद उसी घटना को लेकर चार और FIR दर्ज की गईं. इन सभी FIR में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 436 और 34 के अलावा प्रिवेंशन ऑफ डैमैज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए थे.

आतिर ने याचिका दायर कर कहा था कि ये सभी FIR एक ही घटना से संबंधित थीं और सभी एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्यों की शिकायत पर दर्ज की गईं थीं. याचिका में कहा गया था की टीटी एंटनी फैसले के दिशानिर्देश के मुताबिक एक ही अपराध को लेकर कई FIR दर्ज नहीं की जा सकतीं.

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने याचिका खारिज करने की मांग की थी. दिल्ली पुलिस ने कहा कि साईट प्लान के मुताबिक अलग-अलग संपत्तियों और उसमें रहने वाले लोगों के परिसर जलाए गए थे और इससे अलग-अलग लोग प्रभावित हुए थे.

हाईकोर्ट ने कहा कि सभी FIR एक ही हैं और सबमें कम या ज्यादा तथ्य भी एक ही हैं. घटना एक ही घर की है. कोर्ट ने कहा कि भले ही संपत्तियां अलग-अलग हों, लेकिन सभी एक ही परिसर में थीं, जिसमें अलग-अलग लोग रह रहे थे. अगर आरोपी के खिलाफ कोई तथ्य मिलता है तो उसे मुख्य FIR के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए.

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