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दिल्ली हिंसा : उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. 14 मार्च को उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुनाया जाएगा.

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उमर खालिद की जमानत
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Published : Mar 3, 2022, 7:21 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट 14 मार्च को उमर खालिद की जमानत पर अपना फैसला सुनाएगा. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत की कोर्ट में सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पायस ने तो दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्युटर अमित प्रसाद ने दलीलें रखीं.

त्रिदिप पायस ने कहा कि अभियोजन के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उमर खालिद ने शरजील इमाम का परिचय योगेन्द्र यादव से कराया था. त्रिदिप पायस ने कहा कि चार्जशीट बिना किसी आधार के नहीं दाखिल की जा सकती है. इस मामले की पूरक चार्जशीट में आरोप बिना तथ्यों के लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि उमर खालिद बैठक में मौजूद थे. बैठक में मौजूद होने में अपराध क्या है. बैठक में शामिल कई दूसरे लोग आरोपी नहीं बनाए गए हैं. बैठक में शामिल दो ही लोग हिरासत में क्यों लिए गए हैं, बाकी क्यों नहीं लिए गए?

पायस ने कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि उमर खालिद ने 10 दिसंबर, 2019 को प्रदर्शन में हिस्सा लिया, लेकिन क्या प्रदर्शन में शामिल होना अपराध है? उन्होंने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ हिंसा करने के कोई सबूत नहीं हैं, जांच जारी रहना हर प्रश्न का उत्तर नहीं है. उन्होंने कहा कि चुप्पी की साजिश का आरोप गलत है. अभियोजन के लिए ये काफी आसान है कि जब दो-तीन और दस लोग वॉट्सऐप पर एक ही भाषा बोलें तो आप कुछ के खिलाफ आरोप लगाएंगे और कुछ के खिलाफ नहीं. क्योंकि वो आपकी दलील के मुताबिक है.

इसे भी पढ़ें : राजनीतिक दुश्मनी में पूर्व विधायक पर महिला ने लगाये थे ये गंभीर आराेप,अदालत में खुली पोल

दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद समेत दिल्ली हिंसा के दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने आरोप लगाया कि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काले धन को सफेद करने का काम किया. अमित प्रसाद ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में 755 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. इसमें गोली चलने की 13 घटनाएं घटीं. दूसरी वजहों से 6 मौतें दर्ज की गईं. इस दौरान 581 एमएलसी दर्ज किए गए. इस हिंसा में 108 पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. इस हिंसा से जुड़े करीब 24 सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि इस पूरी घटना में किसी भी साजिशकर्ता को कोई नुकसान नहीं हुआ. अगर किसी का नुकसान हुआ तो वो आम लोग थे.

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट 14 मार्च को उमर खालिद की जमानत पर अपना फैसला सुनाएगा. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत की कोर्ट में सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पायस ने तो दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्युटर अमित प्रसाद ने दलीलें रखीं.

त्रिदिप पायस ने कहा कि अभियोजन के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उमर खालिद ने शरजील इमाम का परिचय योगेन्द्र यादव से कराया था. त्रिदिप पायस ने कहा कि चार्जशीट बिना किसी आधार के नहीं दाखिल की जा सकती है. इस मामले की पूरक चार्जशीट में आरोप बिना तथ्यों के लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि उमर खालिद बैठक में मौजूद थे. बैठक में मौजूद होने में अपराध क्या है. बैठक में शामिल कई दूसरे लोग आरोपी नहीं बनाए गए हैं. बैठक में शामिल दो ही लोग हिरासत में क्यों लिए गए हैं, बाकी क्यों नहीं लिए गए?

पायस ने कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि उमर खालिद ने 10 दिसंबर, 2019 को प्रदर्शन में हिस्सा लिया, लेकिन क्या प्रदर्शन में शामिल होना अपराध है? उन्होंने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ हिंसा करने के कोई सबूत नहीं हैं, जांच जारी रहना हर प्रश्न का उत्तर नहीं है. उन्होंने कहा कि चुप्पी की साजिश का आरोप गलत है. अभियोजन के लिए ये काफी आसान है कि जब दो-तीन और दस लोग वॉट्सऐप पर एक ही भाषा बोलें तो आप कुछ के खिलाफ आरोप लगाएंगे और कुछ के खिलाफ नहीं. क्योंकि वो आपकी दलील के मुताबिक है.

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दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद समेत दिल्ली हिंसा के दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने आरोप लगाया कि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काले धन को सफेद करने का काम किया. अमित प्रसाद ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में 755 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. इसमें गोली चलने की 13 घटनाएं घटीं. दूसरी वजहों से 6 मौतें दर्ज की गईं. इस दौरान 581 एमएलसी दर्ज किए गए. इस हिंसा में 108 पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. इस हिंसा से जुड़े करीब 24 सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि इस पूरी घटना में किसी भी साजिशकर्ता को कोई नुकसान नहीं हुआ. अगर किसी का नुकसान हुआ तो वो आम लोग थे.

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