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दिल्ली पुलिस का इतिहास: नेहरू के दादा थे दिल्ली के आखिरी कोतवाल - delhi police

वर्तमान समय में दिल्ली पुलिस दुनिया की सबसे बड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस है जो लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क और टोकियो पुलिस से भी बड़ी पुलिस फोर्स है. 1237 में दिल्ली को पहला कोतवाल मिला था. इस रिपोर्ट में जानें दिल्ली पुलिस का इतिहास...

दिल्ली पुलिस का इतिहास
दिल्ली पुलिस का इतिहास
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Published : Jun 30, 2021, 11:45 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली में पुलिस की कार्यप्रणाली शुरू करने के लिए सबसे पहला कोतवाल वर्ष 1237 में तैनात किया गया था. दिल्ली के आखिरी कोतवाल भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू थे.

अंग्रेजों ने अपने शासन में कोतवाल सिस्टम को बदलकर पुलिस सिस्टम शुरू किया. उस समय दिल्ली पुलिस को पंजाब पुलिस के अधिकारी चलाते थे. वर्ष 1978 में दिल्ली पुलिस का पहला कमिश्नर जेएन चतुर्वेदी को बनाया गया था. इसी कड़ी में बालाजी श्रीवास्तव दिल्ली पुलिस के 23वें कमिश्नर होंगे.

पढ़ें : बालाजी श्रीवास्तव होंगे नए पुलिस कमिश्नर, बुधवार को संभालेंगे पदभार

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि उनका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. दिल्ली में सन 1237 में सबसे पहले मलिकुल फखरुद्दीन को दिल्ली का पहला कोतवाल बनाया गया था. वह सुल्तान बलबन, कायकोबद और कैखुसरौ के समय में कोतवाल रहा. उस समय किला राय पिथौरा में कोतवाल का दफ्तर होता था जो आज महरौली में मौजूद है.

1857 की क्रांति के बाद कोतवाल का सिस्टम खत्म

दूसरा कोतवाल मलिक अलाउल मुल्क बना जिसे 1297 में सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने नियुक्त किया था. शाहजहां ने जब राजधानी को आगरा से दिल्ली शिफ्ट किया तो 1648 में उसने गजनफर खान को इस नए शहर का कोतवाल नियुक्त किया. 1857 की क्रांति के बाद कोतवाल का सिस्टम खत्म हो गया. उस समय दिल्ली के आखिरी कोतवाल भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू थे.

पंजाब से चलती थी दिल्ली की कानून व्यवस्था

अंग्रेजों ने 1861 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया. दिल्ली को पंजाब का हिस्सा रखा गया था और यहां पंजाब पुलिस का कानून चलता था. 1912 में राजधानी बनने के बाद भी पंजाब का कानून यहां पर चलता था. उसी वर्ष पहला चीफ कमिश्नर दिल्ली नियुक्त किया गया जिसे आईजी रैंक की शक्ति मिली थी. 1912 के गैज़ेट की माने तो दिल्ली की पुलिस व्यवस्था अंबाला से डीआईजी स्तर के अधिकारी द्वारा देखी जाती थी.

पढ़ें : कोरोना नियमों के पालन में सख्ती: 5 जुलाई तक के लिए बंद हुआ लक्ष्मी नगर मार्केट

दिल्ली में सुपरिटेंडेंट और डिप्टी सुपरिटेंडेंट काम संभालते थे. उस समय में दिल्ली में 2 इंस्पेक्टर, 27 सब इंस्पेक्टर, 110 हवलदार, 985 सिपाही और 28 घुड़सवार पुलिसकर्मी होते थे. उस समय दिल्ली का हेड क्वार्टर सोनीपत और बल्लभगढ़ में होता था. दिल्ली में कुल 10 थाने हुआ करते थे इनमें 3 सबसे बड़े थाने कोतवाली, सब्जी मंडी और पहाड़गंज थे.

1948 में पहला आईजी, 1978 में कमिश्नर

आजादी के बाद 16 फरवरी 1948 में दिल्ली पुलिस को पहला आईजीपी मिला. उस समय दिल्ली पुलिस के कुल 8000 जवान हो चुके थे. 1961 तक आते-आते दिल्ली पुलिस की संख्या 12000 हो चुकी थी. 1966 में दिल्ली पुलिस की समस्याओं का निवारण करने के लिए जस्टिस जीडी खोसला कमेटी का गठन किया गया. उन्होंने उत्तरी, मध्य, दक्षिण और नई दिल्ली नाम से चार पुलिस जिला बनाए. दिल्ली पुलिस में एक जुलाई 1978 को पहले पुलिस कमिश्नर जेएन चतुर्वेदी बने थे. अभी के समय में दिल्ली में कुल 15 जिले और 184 पुलिस स्टेशन हैं.

नई दिल्ली : दिल्ली में पुलिस की कार्यप्रणाली शुरू करने के लिए सबसे पहला कोतवाल वर्ष 1237 में तैनात किया गया था. दिल्ली के आखिरी कोतवाल भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू थे.

अंग्रेजों ने अपने शासन में कोतवाल सिस्टम को बदलकर पुलिस सिस्टम शुरू किया. उस समय दिल्ली पुलिस को पंजाब पुलिस के अधिकारी चलाते थे. वर्ष 1978 में दिल्ली पुलिस का पहला कमिश्नर जेएन चतुर्वेदी को बनाया गया था. इसी कड़ी में बालाजी श्रीवास्तव दिल्ली पुलिस के 23वें कमिश्नर होंगे.

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दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि उनका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. दिल्ली में सन 1237 में सबसे पहले मलिकुल फखरुद्दीन को दिल्ली का पहला कोतवाल बनाया गया था. वह सुल्तान बलबन, कायकोबद और कैखुसरौ के समय में कोतवाल रहा. उस समय किला राय पिथौरा में कोतवाल का दफ्तर होता था जो आज महरौली में मौजूद है.

1857 की क्रांति के बाद कोतवाल का सिस्टम खत्म

दूसरा कोतवाल मलिक अलाउल मुल्क बना जिसे 1297 में सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने नियुक्त किया था. शाहजहां ने जब राजधानी को आगरा से दिल्ली शिफ्ट किया तो 1648 में उसने गजनफर खान को इस नए शहर का कोतवाल नियुक्त किया. 1857 की क्रांति के बाद कोतवाल का सिस्टम खत्म हो गया. उस समय दिल्ली के आखिरी कोतवाल भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू थे.

पंजाब से चलती थी दिल्ली की कानून व्यवस्था

अंग्रेजों ने 1861 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया. दिल्ली को पंजाब का हिस्सा रखा गया था और यहां पंजाब पुलिस का कानून चलता था. 1912 में राजधानी बनने के बाद भी पंजाब का कानून यहां पर चलता था. उसी वर्ष पहला चीफ कमिश्नर दिल्ली नियुक्त किया गया जिसे आईजी रैंक की शक्ति मिली थी. 1912 के गैज़ेट की माने तो दिल्ली की पुलिस व्यवस्था अंबाला से डीआईजी स्तर के अधिकारी द्वारा देखी जाती थी.

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दिल्ली में सुपरिटेंडेंट और डिप्टी सुपरिटेंडेंट काम संभालते थे. उस समय में दिल्ली में 2 इंस्पेक्टर, 27 सब इंस्पेक्टर, 110 हवलदार, 985 सिपाही और 28 घुड़सवार पुलिसकर्मी होते थे. उस समय दिल्ली का हेड क्वार्टर सोनीपत और बल्लभगढ़ में होता था. दिल्ली में कुल 10 थाने हुआ करते थे इनमें 3 सबसे बड़े थाने कोतवाली, सब्जी मंडी और पहाड़गंज थे.

1948 में पहला आईजी, 1978 में कमिश्नर

आजादी के बाद 16 फरवरी 1948 में दिल्ली पुलिस को पहला आईजीपी मिला. उस समय दिल्ली पुलिस के कुल 8000 जवान हो चुके थे. 1961 तक आते-आते दिल्ली पुलिस की संख्या 12000 हो चुकी थी. 1966 में दिल्ली पुलिस की समस्याओं का निवारण करने के लिए जस्टिस जीडी खोसला कमेटी का गठन किया गया. उन्होंने उत्तरी, मध्य, दक्षिण और नई दिल्ली नाम से चार पुलिस जिला बनाए. दिल्ली पुलिस में एक जुलाई 1978 को पहले पुलिस कमिश्नर जेएन चतुर्वेदी बने थे. अभी के समय में दिल्ली में कुल 15 जिले और 184 पुलिस स्टेशन हैं.

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