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रिलायंस इंफ्रा को 48 घंटे के भीतर देगी एक हजार करोड़ रुपये देगी दिल्ली मेट्रो

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Published : Dec 6, 2021, 9:59 PM IST

दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (DMRC) रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को भुगतान करने के लिए 48 घंटों के अंदर एक हजार करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा करेगी. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को इसका आदेश दिया है.

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दिल्ली मेट्रो

नई दिल्ली : दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (DMRC) रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को भुगतान करने के लिए 48 घंटों के अंदर एक हजार करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा करेगी. दिल्ली मेट्रो ने दिल्ली हाईकोर्ट से आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक और पैसे जमा करने के लिए समय देने की मांग की. मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सुरेश कैत की बेंच से कहा कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी सरकार के साथ कई प्रोजेक्ट में काम कर रही है. वो सरकार से पैसे वसूलने के लिए जिस तरीके से दबाव बना रही है उसे देखते हुए सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव लाना पड़ सकता है. मेहता ने आर्बिट्रेशन की रकम को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए कहा कि ये 7100 करोड़ रुपये नहीं है बल्कि पांच हजार करोड़ रुपये है.

रिलायंस इंफ्रास्ट्र्क्चर की सब्सिडियरी कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट ऐसेट्स का उपयोग जुलाई 2013 से ही DMRC कर रही है.

बता दें कि 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के आर्बिट्रेशन के फैसले को बरकरार रखते हुए DMRC को रिलायंस इंफ्रा को ब्याज समेत रुपये चुकाने का आदेश दिया था. DMRC ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज के फैसले को चुनौती दी थी.

पढ़ें - चीन सीमा पर बिछी बर्फ की चादर, जम गए पेयजल स्रोत

दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जून 2017 को आदेश दिया था कि DMRC, DAMEPL को साठ करोड़ रुपये का भुगतान करे. DAMEPL रिलायंस इंफ्रा की सब्सिडियरी कंपनी है. DMRC ने अपनी याचिका में कहा था कि सिंगल जज का ये फैसला अंतिम नहीं है और ये अवार्ड का एक हिस्सा भर है.

नई दिल्ली : दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (DMRC) रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को भुगतान करने के लिए 48 घंटों के अंदर एक हजार करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा करेगी. दिल्ली मेट्रो ने दिल्ली हाईकोर्ट से आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक और पैसे जमा करने के लिए समय देने की मांग की. मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सुरेश कैत की बेंच से कहा कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी सरकार के साथ कई प्रोजेक्ट में काम कर रही है. वो सरकार से पैसे वसूलने के लिए जिस तरीके से दबाव बना रही है उसे देखते हुए सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव लाना पड़ सकता है. मेहता ने आर्बिट्रेशन की रकम को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए कहा कि ये 7100 करोड़ रुपये नहीं है बल्कि पांच हजार करोड़ रुपये है.

रिलायंस इंफ्रास्ट्र्क्चर की सब्सिडियरी कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट ऐसेट्स का उपयोग जुलाई 2013 से ही DMRC कर रही है.

बता दें कि 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के आर्बिट्रेशन के फैसले को बरकरार रखते हुए DMRC को रिलायंस इंफ्रा को ब्याज समेत रुपये चुकाने का आदेश दिया था. DMRC ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज के फैसले को चुनौती दी थी.

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दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जून 2017 को आदेश दिया था कि DMRC, DAMEPL को साठ करोड़ रुपये का भुगतान करे. DAMEPL रिलायंस इंफ्रा की सब्सिडियरी कंपनी है. DMRC ने अपनी याचिका में कहा था कि सिंगल जज का ये फैसला अंतिम नहीं है और ये अवार्ड का एक हिस्सा भर है.

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