नई दिल्ली: भड़काऊ भाषण देने और सामाजिक, धार्मिक सौहार्द बिगड़ने के आरोप में एक पुराने मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली पुलिस को मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय और पूर्व प्रोफेसर व कश्मीर के राजनीतिक विश्लेषक शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. इन दोनों के खिलाफ नई दिल्ली के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने नवंबर 2010 को आईपीसी की धारा 153 ए, 153 बी और 505 के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था.
उपराज्यपाल सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार 21 अक्टूबर 2010 को नई दिल्ली के कॉपरनिकास मार्ग स्थित एलटीजी सभागार में "आजादी एकमात्र रास्ता" नामक कार्यक्रम के तहत राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए सम्मेलन का आयोजन किया गया था. जिसमें विभिन्न वक्ताओं के साथ इन लोगों ने भी अपने विचार रखे थे. इनके खिलाफ कश्मीर के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित ने 28 अक्टूबर 2010 को दिल्ली के तिलक मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. सुशील पंडित ने आरोप लगाया था कि कार्यक्रम में भारत से कश्मीर को अलग करने जैसे मुद्दे पर भी चर्चा की गई. बाद में शिकायतकर्ता ने नई दिल्ली के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत शिकायत दर्ज कराई थी. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के निर्देश पर पुलिस ने राजद्रोह समेत विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज तब की थी.
नहीं चलेगा राजद्रोह का मामला : उपराज्यपाल सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार, मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय पर केस चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उपराज्यपाल ने माना है कि दिल्ली में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान अरुंधति रॉय और केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर के अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ हुसैन द्वारा दिए गए भाषणों के लिए आईपीसी की धारा 153 ए 153 भी और 505 के तहत प्रथम दृश्य यह मामला बनता है. इस केस में राजद्रोह का मामला भी बन रहा था, लेकिन पिछले साल एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखते हुए उपराज्यपाल ने इस मामले में राजद्रोह की धारा 124 ए के तहत केस चलाने की अनुमति नहीं दी है.
बता दें कि इस मामले में दो अन्य आरोपियों कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और संसद पर हमले में तकनीकी आधार पर सुप्रीम कोर्ट से बरी हुई डीयू के लेक्चर सैयद अब्दुल रहमान गिलानी की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी.
इन धाराओं का मतलब : आईपीसी की धारा 153 ए 153 भी और 505 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मिली है. इसमें धर्म, जाति, संस्कृति, भाषा और क्षेत्र आदि के आधार पर अपमान और घटना को बढ़ावा देने वाला कोई भी शब्द (लिखित अथवा मौखिक है) तो कानून के तहत यह दंडनीय है.
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