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दिल्ली हिंसा: आरोपी शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिका खारिज

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Published : Apr 7, 2022, 5:10 PM IST

दिल्ली हिंसा (delhi violence case) के आरोपी शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिका (Shifa Ur Rahman bail plea) का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि ये दंगे सुनियोजित साजिश का हिस्सा हैं. इस दंगे में काफी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया. जरूरी सेवाएं बाधित की गईं. इस हिंसा में पेट्रोल बम, लाठी, पत्थर इत्यादि का इस्तेमाल किया गया था.

दिल्ली हिंसा
दिल्ली हिंसा

नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा मामले (delhi violence case) में साजिश रचने के आरोपी और जामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिका (Shifa Ur Rahman bail plea) कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान शिफा-उर-रहमान के वकील अभिषेक सिंह ने कोर्ट से कहा कि क्या प्रदर्शनकारियों को धन देना UAPA के तहत अपराध है.

उन्होंने रहमान की ओर से बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के हेट स्पीच के खिलाफ की गई शिकायत की प्रति दिखाई. उन्होंने कहा था कि पुलिस ने इस मामले में शिफा-उर-रहमान को बतौर गवाह या आरोपी कोई पूछताछ नहीं की. अभिषेक सिंह ने पूछा था कि शिकायत के बाद FIR दर्ज क्यों नहीं की गई. अभिषेक सिंह ने कहा था कि शिफा-उर-रहमान के मौलिक अधिकारों का सुनियोजित तरीके से हनन किया गया है.

उन्होंने कहा कि जामिया एलुमनाई एसोसिएशन का सदस्य होना कोई अपराध नहीं है. विरोध करना और अपनी राय व्यक्त करना अपराध कैसे हो सकता है. जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के वाट्सऐप ग्रुप का सदस्य होना भी अपराध नहीं है. सिंह ने कहा था कि विरोध करना मौलिक अधिकार है. आप विरोध करने वाले को दंगाई की श्रेणी में क्यों रख रहे हैं. आरोपी ने प्रदर्शनकारियों को कुछ वित्तीय मदद भी की थी. क्या प्रदर्शनकारियों को वित्तीय मदद करना UAPA के तहत अपराध है. उन्होंने कहा था कि सवाल ये नहीं है कि नागरिकता संशोधन कानून या NRC देश के हित में है या नहीं बल्कि सवाल ये है कि किसी कानून का विरोध करना अपराध कैसे हो गया.

पढ़ें : दिल्ली हिंसा : साजिश रचने के आरोपी मीरान हैदर की जमानत याचिका खारिज

जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि ये दंगे सुनियोजित साजिश का हिस्सा हैं. इस दंगे में काफी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया. जरूरी सेवाएं बाधित की गईं. इस हिंसा में पेट्रोल बम, लाठी, पत्थर इत्यादि का इस्तेमाल किया गया था. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि UAPA की धारा 15(1)(ए)(i)(ii) और (iii) के तहत अपराध किए गए हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई थी. दंगे के पहले चरण में 142 लोग जख्मी हुए थे, जबकि दूसरे चरण में 608 लोग. बता दें कि रहमान को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 26 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 124ए, 302, 307, प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 के अलावा UAPA की धारा 13, 16, 17 और 18 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी मीरान हैदर की जमानत याचिका भी खारिज (Meeran Haider's bail plea rejected) कर दी है. मीरान हैदर के खिलाफ दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज (FIR registered against Meeran Haider under UAPA) की गई थी. मीरान हैदर के खिलाफ यूएपीए की धाराओं (UAPA sections against Meeran Haider) 13, 16, 17, 18 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा मामले (delhi violence case) में साजिश रचने के आरोपी और जामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिका (Shifa Ur Rahman bail plea) कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान शिफा-उर-रहमान के वकील अभिषेक सिंह ने कोर्ट से कहा कि क्या प्रदर्शनकारियों को धन देना UAPA के तहत अपराध है.

उन्होंने रहमान की ओर से बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के हेट स्पीच के खिलाफ की गई शिकायत की प्रति दिखाई. उन्होंने कहा था कि पुलिस ने इस मामले में शिफा-उर-रहमान को बतौर गवाह या आरोपी कोई पूछताछ नहीं की. अभिषेक सिंह ने पूछा था कि शिकायत के बाद FIR दर्ज क्यों नहीं की गई. अभिषेक सिंह ने कहा था कि शिफा-उर-रहमान के मौलिक अधिकारों का सुनियोजित तरीके से हनन किया गया है.

उन्होंने कहा कि जामिया एलुमनाई एसोसिएशन का सदस्य होना कोई अपराध नहीं है. विरोध करना और अपनी राय व्यक्त करना अपराध कैसे हो सकता है. जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के वाट्सऐप ग्रुप का सदस्य होना भी अपराध नहीं है. सिंह ने कहा था कि विरोध करना मौलिक अधिकार है. आप विरोध करने वाले को दंगाई की श्रेणी में क्यों रख रहे हैं. आरोपी ने प्रदर्शनकारियों को कुछ वित्तीय मदद भी की थी. क्या प्रदर्शनकारियों को वित्तीय मदद करना UAPA के तहत अपराध है. उन्होंने कहा था कि सवाल ये नहीं है कि नागरिकता संशोधन कानून या NRC देश के हित में है या नहीं बल्कि सवाल ये है कि किसी कानून का विरोध करना अपराध कैसे हो गया.

पढ़ें : दिल्ली हिंसा : साजिश रचने के आरोपी मीरान हैदर की जमानत याचिका खारिज

जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि ये दंगे सुनियोजित साजिश का हिस्सा हैं. इस दंगे में काफी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया. जरूरी सेवाएं बाधित की गईं. इस हिंसा में पेट्रोल बम, लाठी, पत्थर इत्यादि का इस्तेमाल किया गया था. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि UAPA की धारा 15(1)(ए)(i)(ii) और (iii) के तहत अपराध किए गए हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई थी. दंगे के पहले चरण में 142 लोग जख्मी हुए थे, जबकि दूसरे चरण में 608 लोग. बता दें कि रहमान को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 26 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 124ए, 302, 307, प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 के अलावा UAPA की धारा 13, 16, 17 और 18 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी मीरान हैदर की जमानत याचिका भी खारिज (Meeran Haider's bail plea rejected) कर दी है. मीरान हैदर के खिलाफ दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज (FIR registered against Meeran Haider under UAPA) की गई थी. मीरान हैदर के खिलाफ यूएपीए की धाराओं (UAPA sections against Meeran Haider) 13, 16, 17, 18 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

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