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'खादी' के अवैध 'इस्तेमाल' पर दिल्ली हाई काेर्ट की राेक

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के ब्रांड नाम खादी का अवैध रूप से इस्तेमाल कर सौंदर्य प्रतियोगिता और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है.

दिल्ली उच्च न्यायालय
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Published : Jun 5, 2021, 8:56 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि खादी के नाम पर कोई 'भ्रामक' गतिविधि (misleading activity ) नहीं चलायी जा सकती है. न्यायालय ने बचाव पक्ष खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' (केडीसीआई) और 'मिस इंडिया खादी फाउंडेशन' (एमआईकेएफ) तथा इसके स्वयंभू मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंकुश अनामी को आदेश दिया कि वे सोशल मीडिया एप इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर संस्था के सभी अकाउंट से खादी नाम हटाएं.

ब्रांड नाम का किया अवैध इस्तेमाल
केवीआईसी का आरोप है कि नोएडा स्थित खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' (केडीसीआई) और 'मिस इंडिया खादी फाउंडेशन' (एमआईकेएफ) जैसे निजी संस्थानों ने ब्रांड नाम खादी का अवैध रूप से इस्तेमाल कर लोगों को धोखा दिया है.

उच्च न्यायालय ने यह ट्रेडमार्क के उल्लंघन का मामला है. न्यायालय ने अनामी को दोनों संस्थाओं की वेबसाइट से ऐसी सामग्री को भी हटाने के निर्देश दिए जोकि केवीआईसी की वेबसाइट से मिलती-जुलती है. खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' (केडीसीआई) पर आरोप है कि वह फैशन डिजाइनरों को खादी प्रमाणपत्र देने के ऐवज में उनसे प्रति व्यक्ति दो हजार रुपये वसूल रहा था. केडीसीआई पर यह भी आरोप है कि उसने केवीआईसी के प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से भी जुड़े होने का दावा किया था.

अदालत ने दिए ये निर्देश

केवीआईसी (KVIC) की दलील पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि प्रथम दृष्टया वादी केवीआईसी ने अपने पक्ष में मामला स्थापित किया है. इसके कारण वादी को अपूरणीय क्षति हुई है. अगले आदेश तक बचाव पक्ष को ट्रेडमार्क (trademark) 'खादी' के तहत निर्माण, विज्ञापन या किसी भी प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं को प्रदान करने से प्रतिबंधित किया जाता है. इसके अलावा उसे सोशल मीडिया ऐप इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक (Facebook) पर संस्था के सभी अकाउंट से खादी नाम हटाने के भी निर्देश दिए जाते हैं. साथ ही वेबसाइट से ऐसी सामग्री को भी हटाने के निर्देश दिए जाते हैं जोकि केवीआईसी की वेबसाइट से मिलती-जुलती है.

केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को अवैध रूप से 'खादी' नाम का उपयोग करने से रोकेगा जोकि झूठे वादों के जरिए लोगों को लुभाने का काम करते हैं.

मुआवजे की मांग

सक्सेना ने कहा कि खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' (KDCI) और 'मिस इंडिया खादी फाउंडेशन' (एमआईकेएफ) की गतिविधियां इस बात का स्पष्ट उदाहरण हैं कि वे खादी के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को ठगने का काम करते हैं. ठगी का सामना करने वाले लोगों को ऐसी संस्थाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कर इनसे मुआवजे की मांग करनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें : ट्विटर पर भड़काऊ पोस्ट मामले में सीबीआई या एनआईए को जांच के निर्देश देने की मांग

बता दें कि इस वर्ष मार्च में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक संस्था को अपने उत्पाद बेचने के लिए खादी नाम और चर्खा के प्रतीक का इस्तेमाल करने से रोका था.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि खादी के नाम पर कोई 'भ्रामक' गतिविधि (misleading activity ) नहीं चलायी जा सकती है. न्यायालय ने बचाव पक्ष खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' (केडीसीआई) और 'मिस इंडिया खादी फाउंडेशन' (एमआईकेएफ) तथा इसके स्वयंभू मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंकुश अनामी को आदेश दिया कि वे सोशल मीडिया एप इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर संस्था के सभी अकाउंट से खादी नाम हटाएं.

ब्रांड नाम का किया अवैध इस्तेमाल
केवीआईसी का आरोप है कि नोएडा स्थित खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' (केडीसीआई) और 'मिस इंडिया खादी फाउंडेशन' (एमआईकेएफ) जैसे निजी संस्थानों ने ब्रांड नाम खादी का अवैध रूप से इस्तेमाल कर लोगों को धोखा दिया है.

उच्च न्यायालय ने यह ट्रेडमार्क के उल्लंघन का मामला है. न्यायालय ने अनामी को दोनों संस्थाओं की वेबसाइट से ऐसी सामग्री को भी हटाने के निर्देश दिए जोकि केवीआईसी की वेबसाइट से मिलती-जुलती है. खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' (केडीसीआई) पर आरोप है कि वह फैशन डिजाइनरों को खादी प्रमाणपत्र देने के ऐवज में उनसे प्रति व्यक्ति दो हजार रुपये वसूल रहा था. केडीसीआई पर यह भी आरोप है कि उसने केवीआईसी के प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से भी जुड़े होने का दावा किया था.

अदालत ने दिए ये निर्देश

केवीआईसी (KVIC) की दलील पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि प्रथम दृष्टया वादी केवीआईसी ने अपने पक्ष में मामला स्थापित किया है. इसके कारण वादी को अपूरणीय क्षति हुई है. अगले आदेश तक बचाव पक्ष को ट्रेडमार्क (trademark) 'खादी' के तहत निर्माण, विज्ञापन या किसी भी प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं को प्रदान करने से प्रतिबंधित किया जाता है. इसके अलावा उसे सोशल मीडिया ऐप इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक (Facebook) पर संस्था के सभी अकाउंट से खादी नाम हटाने के भी निर्देश दिए जाते हैं. साथ ही वेबसाइट से ऐसी सामग्री को भी हटाने के निर्देश दिए जाते हैं जोकि केवीआईसी की वेबसाइट से मिलती-जुलती है.

केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को अवैध रूप से 'खादी' नाम का उपयोग करने से रोकेगा जोकि झूठे वादों के जरिए लोगों को लुभाने का काम करते हैं.

मुआवजे की मांग

सक्सेना ने कहा कि खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' (KDCI) और 'मिस इंडिया खादी फाउंडेशन' (एमआईकेएफ) की गतिविधियां इस बात का स्पष्ट उदाहरण हैं कि वे खादी के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को ठगने का काम करते हैं. ठगी का सामना करने वाले लोगों को ऐसी संस्थाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कर इनसे मुआवजे की मांग करनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें : ट्विटर पर भड़काऊ पोस्ट मामले में सीबीआई या एनआईए को जांच के निर्देश देने की मांग

बता दें कि इस वर्ष मार्च में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक संस्था को अपने उत्पाद बेचने के लिए खादी नाम और चर्खा के प्रतीक का इस्तेमाल करने से रोका था.
(पीटीआई-भाषा)

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