नई दिल्ली: दो से 18 वर्ष तक की उम्र तक के बच्चों को कोवैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल संबंधी केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और भारत बायोटेक कंपनी को नोटिस जारी किया है.
चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल के आदेश को चुनौती
बता दें कि याचिका संजीव कुमार ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि पिछले 13 मई को केंद्र सरकार ने दो से 18 वर्ष तक के बच्चों को कोवैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल का आदेश दिया था.
2 से 18 वर्ष के 525 स्वस्थ लोगों पर ट्रायल करने का आदेश दिया गया था. याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार का ये आदेश मनमाना और गैरकानूनी है. याचिका में कहा गया है कि क्लीनिकल ट्रायल के दौरान बच्चों की मौत होने पर उन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जाना चाहिए जो ट्रायल से जुड़े हुए हों.
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कांट्रैक्ट एक्ट का उल्लंघन
याचिका में कहा गया है कि कोई व्यक्ति तभी क्लीनिकल ट्रायल के लिए सहमत हो सकता है, अगर वह इसके परिणामों को समझ सके, लेकिन इस मामले में बच्चों को टारगेट किया गया है जो कि खुद इस किस्म के परिणामों को समझने की क्षमता नहीं रखते हैं. जब वे परिणामों को ठीक से समझ नहीं सकते हैं तो वे ट्रायल के लिए अपनी सहमति का करार कैसे कर सकते हैं. ऐसा करना कांट्रेक्ट एक्ट की धारा 2(जी) ,10, 11 और 12 का उल्लंघन है. ऐसे में बच्चों का क्लीनिकल ट्रायल करने का आदेश सही नहीं है.