नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सरकारी कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारी द्वारा एक महिला को कार्यस्थल पर कथित रूप से प्रताड़ित किए जाने के संबंध में दर्ज एक प्राथमिकी को रद्द कर सुलह के लिए दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने हाल ही में पारित एक आदेश में कहा, 'यह अदालत सुलह के आधार पर संबंधित प्राथमिकी को रद्द करने की इच्छुक नहीं है और याचिका के निपटान से पहले उचित जांच के बाद संबंधित डीसीपी के हस्ताक्षर के तहत एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करना उचित होगा.'
साउथ एवेन्यू थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, याचिकाकर्ता महिला ने आरोप लगाया है कि कार्यालय में आरोपी उप महानिदेशक उसे बार-बार फोन करता था, बेवजह बात करता था और गलियारे में उसका पीछा करता था. उसने शादी करने या प्रेमिका बनने के लिए कहा. जब शिकायतकर्ता महिला ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया, तो याचिकाकर्ता ने उसे हर घंटे फोन करना और मैसेज भेजना शुरू कर दिया.
जब शिकायतकर्ता ने वरिष्ठ अधिकारी को घटनाओं के बारे में बताया और कार्रवाई की मांग की, तब कहा गया कि उस अधिकारी का जल्द ही तबादला कर दिया जाएगा और उसे शिकायत नहीं देनी चाहिए. इस बीच, अधिकारी (याचिकाकर्ता) को पदोन्नत कर मुरादनगर तबादला कर दिया गया. शिकायतकर्ता महिला के मुताबिक, उसने सोचा कि शायद अब वह उसे परेशान नहीं करेगा, हालांकि उत्पीड़न तब भी जारी रहा.
दिसंबर 2017 में महिला को अचानक वेतन बिल में इस आधार पर कटौती मिली कि उसने बहुत सारी छुट्टियां ली हैं. इसके बाद उस पर अपना केस वापस लेने का दबाव डाला गया और कहा गया कि बदले में आरोपी उसे पैसे देगा.
पढ़ें- HC: महिला कर्मचारी से यौन प्रताड़ना के आरोपी जज की बर्खास्तगी पर रोक से इनकार
महिला ने जांच अधिकारी को आरोपी से मिले मैसेजों के स्क्रीनशॉट की प्रतियां भी सौंप दी हैं. महिला का कहना है कि जिस दिन की अनुपस्थिति लगी है इस दिन बायोमीट्रिक हाजिरी मशीन काम नहीं कर रही थी. अदालत ने एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगी. मामले में आगे की सुनवाई 24 मार्च को होगी.
(आईएएनएस)