नई दिल्ली : वॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी (Whatsapp New Privacy Policy) इस साल के शुरुआत में लागू होनी थी, लेकिन विरोध के इस पर रोक लगा दी गई. वॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर भी की गईं. गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने वॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ दायर नई याचिकाओं पर अपनी सुनवाई टाल दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच अब इस मामले पर 27 अगस्त को सुनवाई करेगी.
दायर याचिका पर सुनवाई टली
वॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वॉट्सएप पहले ही साफ कर चुका है कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता, तब तक वह डाटा फेसबुक के साथ साझा नहीं करेगा, तो फिर इस मामले में सुनवाई की हड़बड़ी क्या है? दरअसल, पिछले 9 जुलाई को वॉट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राईवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी.
वॉट्सएप कर रहा यूजर्स को बाध्य
इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा है कि वॉट्सएप धोखाधड़ी से नई प्राईवेसी पॉलिसी के लिए यूजर्स की सहमति ले रहा है. वॉट्सएप का वर्तमान नोटिफिकेशन प्रतिस्पर्धा आयोग के 24 मार्च के उस आदेश की पुष्टि करता है, जिसमें जांच की बात कही गई है. वॉट्सएप अपने समय के अंतराल पर यूजर्स को प्राईवेसी पॉलिसी को स्वीकार करने का नोटिफिकेशन भेजकर उन्हें स्वीकार करने के लिए बाध्य कर रहा है.
दिल्ली हाई कोर्ट में वॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी (Whatsapp New Privacy Policy) के खिलाफ सीमा सिंह और मेघन सिंह ने याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सएप की नई प्राईवेसी पॉलिसी से लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. वॉट्सएप की नई प्राईवेसी पॉलिसी किसी यूजर की सभी आनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है. डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के अभाव में यूजर्स को कंपनी के रहमोकरम पर भी निर्भर रहना होगा. याचिका में वॉट्सएप की नई प्राईवेसी पॉलिसी को अपडेट करने से तत्काल रोकने की मांग की गई है.
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दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि वॉट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक, वह यूजर का डाटा किसी तीसरे पक्ष को शेयर नहीं करने के अधिकार को छीनता है. अगर वॉट्सएप यूजर्स का डाटा फेसबुक को शेयर करता है तो इसका मतलब है कि वो हर सेकंड यूजर का डाटा संग्रह करेगा और एक तरह से वो फेसबुक और उसकी कंपनियों की निगरानी में रहेगा. ऐसा करना गैरकानूनी है.वॉट्सएप के यूजर एक-दूसरे को संदेश देने के लिए उसका उपयोग करते हैं, लेकिन उन सूचनाओं का उपयोग किसी पक्ष से करना गैरकानूनी है.