नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) को एक गैर सरकारी संगठन की क्षतिपूर्ति की मांग वाली याचिका पर ताजा नोटिस जारी किया. इसमें दावा किया गया कि उसकी डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन देश की प्रतिष्ठा और भारतीय न्यायपालिका पर कलंक लगाती है और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठे और अपमानजनक आरोप लगाती है.
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने गुजरात स्थित एनजीओ जस्टिस ऑन ट्रायल द्वारा दायर याचिका पर बीबीसी (भारत) को भी नया नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ता एनजीओ के वकील ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि बीबीसी (यूके) और बीबीसी (भारत) को पहले नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन उन्हें तामील नहीं किया जा सका. एनजीओ का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सिद्धार्थ शर्मा ने नोटिस देने के लिए और समय मांगा.
मई में रोहिणी कोर्ट ने भी बीबीसी को जारी किया था समनः रोहिणी कोर्ट ने भी तीन मई को भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह के दायर मानहानि के मुकदमे पर बीबीसी को समन जारी किया था. अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) रुचिका सिंगला की कोर्ट ने कहा था कि प्रतिवादी को समन तामील की तारीख से 30 दिनों के भीतर अपना लिखित बयान दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है.
बिनय कुमार ने यह कहते हुए अदालत का रुख किया था कि वह झारखंड भाजपा की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के सक्रिय स्वयंसेवक हैं. अधिवक्ता मुकेश शर्मा के माध्यम से दायर मुकदमे में कहा गया है कि बीबीसी की डॉक्युमेंट्री ने आरएसएस, विहिप और भाजपा जैसे संगठनों को बदनाम किया है.
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