नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 वर्षीया महिला के 26 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली एम्स की मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करते हुए ये आदेश दिया. एम्स ने महिला का परीक्षण करने के बाद कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा कि महिला का भ्रूण सुरक्षित तरीके से हटाया जा सकता है.
कोर्ट ने 23 नवंबर को एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान महिला की ओर से पेश वकील अमित मिश्रा ने कहा था कि वो सहमति के आधार पर बने यौन संबंध के बाद गर्भवती हो गई. उसे हाल में ही अपने गर्भवती होने का तब पता चला उसे कुछ समस्या शुरू हुई और उसने डॉक्टर से सलाह ली. डॉक्टर ने 16 नवंबर को जब उसका परीक्षण किया तब उसे अपने गर्भवती होने का पता चला.
महिला ने कहा था कि वो अभी अपनी पढ़ाई आगे जारी रखना चाहती है और इस स्थिति में नहीं है कि बच्चे का भार वहन कर सकें. याचिका में कहा गया था कि डॉक्टर ने उसका गर्भ हटाने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसका गर्भ 24 हफ्ते की सीमा से ज्यादा का है. बता दें, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) कानून में हुए संशोधन के बाद 24 माह तक के भ्रूण को भी कुछ विशेष परिस्थितियों में हटाने की इजाजत दी जा सकती है.
पहले एमटीपी एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं थी. बाद में इसमें संशोधन कर 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की विशेष परिस्थितियों में अनुमति दी गई. अगर 24 हफ्ते से अधिक का भ्रूण गर्भवती महिला के स्वास्थ्य या उसके मानसिक स्थिति पर बुरा असर डालता है तो उसे हटाने की अनुमति दी जा सकती है.
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