नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व कैबिनेट मंत्री और आप नेता सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने मामले में सहअभियुक्त वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है.
CBI ने भी आय से अधिक संपत्ति का मामला कराया दर्ज: कोर्ट में गुरुवार सुबह 11 बजे शुरू हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि जैन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जमानत के लिए दोहरी शर्तों को पूरा करने वाला नहीं कहा जा सकता है. मामले में एक तथ्य यह भी है कि सीबीआई ने भी आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है. इसलिए अदालत इस कार्रवाई की वैधता में नहीं जा सकती है. हालांकि इस बात के व्यापक संकेत मिले हैं कि जैन कई कंपनियों को संचालित और प्रबंधित करने में शामिल रहे हैं.
30 मई 2022 को ईडी ने किया था गिरफ्तार: हाईकोर्ट ने 22 मार्च को जैन की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. उल्लेखनीय है कि 30 मई 2022 को ईडी ने सत्येंद्र जैन को मामले में गिरफ्तार किया था, तभी से वो जेल में बंद हैं. ट्रायल कोर्ट ने 17 नवंबर, 2022 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद उन्होंने एक दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट के समक्ष ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने जैन के वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को अंतिम रूप से अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले एक महीने से अधिक समय तक सुना. सीबीआई ने शुरू में जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) (सरकारी कर्मचारी द्वारा आपराधिक कदाचार) और 13(ई) (आय से अधिक संपत्ति) के तहत मामला दर्ज किया था.
चल संपत्ति अर्जित करने का है मामला: यह मामला इस आरोप पर दर्ज किया गया था कि जैन ने 2015 और 2017 के बीच विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर चल संपत्ति अर्जित की थी, जिसका वह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके. बाद में ईडी ने भी एक मामला दर्ज किया और आरोप लगाया कि जैन के स्वामित्व वाली और नियंत्रित कई कंपनियों ने हवाला के माध्यम से कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकद हस्तांतरित करने के लिए शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ की आवास प्रविष्टियां प्राप्त कीं. जैन को जमानत देने से इनकार करते हुए, विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने कहा था कि जैन धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तों के संबंध में जमानत के लाभ के हकदार नहीं थे. अदालत की राय में अपराध की 'आय' वह राशि थी जो आवेदक अभियुक्त सत्येंद्र कुमार जैन द्वारा दिल्ली सरकार में मंत्री के रूप में काम करते हुए उत्पन्न की गई थी, जिसके लिए वह संतोषजनक रूप से हिसाब नहीं दे सके. अदालत ने यह भी रेखांकित किया.
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