नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की भारतीय जनता पार्टी के नेता विजेंदर गुप्ता को मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोई भी आपत्तिजनक ट्वीट करने से रोकने के लिए दाखिल अंतरिम आवेदन सोमवार को खारिज कर दिया. गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम द्वारा 1,000 लो फ्लोर बसों की खरीद में कथित अनियमितताओं के बयान दिए थे. न्यायमूर्ति आशा मेनन ने अंतरिम आदेश पारित किया और मुकदमे पर सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख तय की.
अदालत ने कहा कि सरकारी लेन-देन व कार्यों को लेकर किसी भी व्यक्ति को अपने विचार प्रस्तुत करने से नहीं रोका जाना चाहिए, जब तक कि ये राष्ट्रीय हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले नहीं हों. न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि गहलोत और गुप्ता दोनों ही लोकप्रिय हस्ती हैं और दोनों ही विधानसभा के सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में गुप्ता को रोके जाने का आदेश देना, उन्हें जनहित के मुद्दों को उठाने से रोकने के समान माना जाएगा.
गहलोत ने अपनी लंबित दीवानी मानहानि के मुकदमे में अंतरिम आवेदन दाखिल किया था. उन्होंने मानहानि के मुकदमे में लो फ्लोर बसों की खरीद में अनियमितताओं से संबंधित कथित तौर पर सनसनीखेज बयान देने के लिए गुप्ता से पांच करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है. मंत्री ने अपने खिलाफ सोशल मीडिया पर गुप्ता द्वारा दिए कथित मानहानिजनक बयान और साझा की गयी पोस्ट हटाने पर अंतरिम आदेश देने का अनुरोध किया था.
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खंडपीठ ने 28 अगस्त 2021 को एकल न्यायाधीश के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था जिसमें गहलोत के खिलाफ सोशल मीडिया पर गुप्ता के कथित मानहानिजनक बयानों और पोस्ट्स को हटाने पर अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया गया था.