नई दिल्ली: पॉक्सो केस में दोनों पक्षों के आपसी समझौते के बाद सोमवार को दिल्ली हाइकोर्ट ने मामले को रद्द कर दिया. साथ ही कोर्ट ने आरोपी के पिता को दिल्ली के 10 सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए मूलभूत स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने को कहा. न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. इससे पहले दोनों पक्षों ने कोर्ट को बताया कि कुछ गलफहमियों के कारण केस दर्ज कराया था. अब हमने स्वेच्छा से समझौता कर लिया है. इसके बाद न्यायमूर्ति बनर्जी ने 2019 में धारा 354, 354 डी, 506 और आईपीसी की धारा 509 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 8 और 12 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया.
16 फरवरी को दर्ज हुआ था समझौता पत्र: सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि न्यायालय याचिकाकर्ता के पिता के किए गए प्रयास की सराहना की. उन्होंने अदालत से अपनी स्वेच्छा से 10 सरकारी स्कूलों में आर्थोपेडिक डॉक्टरों द्वारा मुफ्त जांच प्रदान करने की नेक सेवाओं की पेशकश की है. अदालत ने कहा कि एफआईआर पार्टियों और उनके परिवार के सदस्यों के बीच कुछ गलतफहमियों और व्यक्तिगत शिकायतों के परिणामस्वरूप दर्ज की गई थी. उनके बीच यह समझौता स्वेच्छा से हुआ था.
अदालत ने यह भी कहा कि वह इस तथ्य को ध्यान में रखती है कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों में जघन्य अपराध शामिल हैं. यदि उसे दोषी ठहराया गया तो उसे गंभीर सजा होगी. शिकायतकर्ता ने पुष्टि की कि 16 फरवरी को पक्षों के बीच एक समझौता पत्र दर्ज किया गया था. अदालत को बताया गया था वह आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही नहीं करना चाहती थी और उसे एफआईआर रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं है. एफआईआर धारा 354 आईपीसी और धारा 8/12 पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज की गई है.
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10 स्कूलों में मुफ्त जांच शिविर: अदालत ने आरोपी के पिता से पूछा कि वह वर्तमान में शिक्षकों के लिए मुफ्त चिकित्सा स्वास्थ्य जांच प्रदान करने के लिए उक्त एसोसिएशन से जुड़े ऑर्थोपेडिक सर्जन या डॉक्टरों की व्यवस्था करने के लिए भारतीय ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं. आरोपी के पिता ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह इसका पालन करेंगे. सभी 10 सरकारी स्कूलों के संबंधित प्रधानाचार्यों को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि और समय पर अधिकतम संख्या में शिक्षकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए एक दिन तय करने के लिए कहा गया है.