नई दिल्ली : कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे नए संसद भवन व कुछ अन्य इमारतें जिसे सेंट्रल विस्टा परियोजना भी कहा जा रहा है, आलोचकों के निशाने पर है. आलोचकों के निशाने पर होने के अलावा इस संबंध में अदालतों में भी याचिका दायर की गई है. अब दिल्ली उच्च न्यायालय सोमवार को फैसला करेगा कि वर्तमान में जारी कोविड महामारी के दौरान सेंट्रल विस्टा परियोजना के काम को जारी रखने की अनुमति दी जाए या नहीं.
कोविड-19 महामारी के दौरान चल रहे निर्माण कार्य को निलंबित करने की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सुनवाई की है. पीठ ने इस पर अपना फैसला देने के लिए 31 मई की तारीख तय की है. उच्च न्यायालय की वाद सूची शनिवार को सामने आई.
अदालत ने अनुवादक अन्या मल्होत्रा और इतिहासकार और वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी की संयुक्त याचिका पर 17 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दोनों ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि परियोजना एक आवश्यक कार्य नहीं है और इसे कुछ समय के लिए रोका जा सकता है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र की महत्वाकांक्षी 'सेंट्रल विस्टा परियोजना' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विगत 5 जनवरी को अपना फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए.एम. खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की खंडपीठ ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन समेत अन्य इमारतों के निर्माण को मंजूरी देते हुए कहा था कि पर्यावरण समिति की सिफारिशें सही हैं. निर्माण से पहले हेरिटेज कमेटी की मंजूरी लेनी होगी.
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भले ही कोरोना महामारी के कारण विपक्षी दलों ने सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम रोकने के लिए आवाज उठाई है, लेकिन इस परियोजना को जारी रखने के पक्षकारों की दलील है कि सरकार ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए कई अन्य कदम उठाने के अलावा टीकाकरण के लिए पहले ही बड़ी राशि आवंटित कर दी है. सेंट्रल विस्टा परियोजना से हजारों लोगों को रोजगार मिला है. ऐसे में काम रोकने का कोई लाभ नहीं है.
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भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के प्रोफेसर डॉ. केके पांडे का कहना है, 'निर्माण कंपनियों को काम पहले ही आवंटित किया जा चुका है. अगर सरकार Covid19 के कारण काम रोक देती है, तो काम फिर से शुरू होने पर लागत बढ़ जाएगी.'
विपक्ष हमलावर
टीएमसी सांसद ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की किल्लत को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोक दिया जाए और हर भारतीय को मुफ्त में कोरोना का टीका लगाया जाए.
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पूर्व सांसद और सीपीएम के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि मोदी सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. वहीं गरीबों के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है और सरकार गरीबों को पैसा आंवटित नहीं कर रही है.
69 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने जताई थी चिंता
नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी और आरोप लगाया था कि शुरुआत से ही गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाया जा रहा है. कांस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले 69 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने दावा किया था कि सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक प्राथमिकताओं के स्थान पर बेकार और अनावश्यक परियोजना को प्रधानता दे रही है.
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आलोचना के बीच केंद्र का पक्ष
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि नए संसद भवन के निर्माण के चलते मौजूदा संरचना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा संसद भवन एक धरोहर है. परियोजना की आलोचना के संबंध में पुरी का कहना है कि अधिकतर आलोचनाओं का आधार केवल इतना था कि सरकार को नए संसद भवन की क्या आवश्यकता है?
परियोजना को लेकर विस्तृत विचार-विमर्श नहीं किए जाने की आलोचना के बीच पुरी ने कहा है कि सरकार ने इसको लेकर परामर्शदाताओं, विशेषज्ञों और संपादकों समेत बहुत सारे लोगों से बातचीत की थी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में किए गए विचार-विमर्श को जल्द ही सार्वजनिक मंच पर रखेगी. साथ ही कहा कि एक वेबसाइट की शुरुआत की जाएगी, जिस पर सेंट्रल विस्टा परियोजना संबंधी पूरा ब्योरा उपलब्ध होगा.
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केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा का इस संबंध में कहना है कि 14 सदस्यीय समिति ने प्रस्ताव पर चर्चा की और इसे मंजूरी प्रदान की है. मिश्रा विरासत संरक्षण समिति के अध्यक्ष भी हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या मंजूरी प्रदान करने से पहले सार्वजनिक सुनवाई अनिवार्य थी, उन्होंने कहा, 'नहीं'.
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत एक साल के भीतर सेंट्रल विस्टा के हरित क्षेत्र को विकसित करने के अलावा आजादी की 75वीं सालगिरह पर अगस्त 2022 तक नये संसद भवन और 2024 तक एकीकृत केंद्रीय सचिवालय का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है.
1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता
इस परियोजना में 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता के साथ एक नए त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गई है. नए भवन का निर्माण करीब 93 साल पहले बने मौजूदा संसद भवन के सामने होना है. उस वक्त 83 लाख रुपये की लागत से बने इस भवन को संग्रहालय में बदल दिया जाएगा.
888 और 384 सीट
नए भवन में लोकसभा और राज्यसभा के लिए हॉल का निर्माण किया जाएगा, जिनकी क्षमता क्रमश: 888 और 384 सीटों की होगी. इनका निर्माण 2026 में होने वाले संसद के सदस्यों में होने वाली वृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है. लोकसभा हॉल में 1,272 लोगों के बैठने का इंतजाम होगा, ताकि संयुक्त सत्र का आयोजन किया जा सके.
(पीटीआई-भाषा)