नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की एसआईटी से जांच की मांग करनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को दोबारा नोटिस जारी किया है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले में 29 अप्रैल को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया. मंगलवार काे सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या जिन्हें पिछली सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया गया था वे उपस्थित हैं. क्या उन्हें समन तामील किया गया.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि समन तामील नहीं हो सका है क्योंकि प्रोसेस फी दाखिल नहीं की गई है. इस पर कोर्ट ने एतराज जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर तय सीमा में सुनवाई करने का आदेश दिया है. अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई हो तो आप ही कहेंगे कि हाईकोर्ट देरी कर रहा है. उसके बाद कोर्ट ने सभी प्रतिवादी 24 नेताओं को नए सिरे से नोटिस जारी किया.
28 फरवरी को कोर्ट ने भाजपा और कांग्रेस के 24 नेताओं को नोटिस जारी किया था. दरअसल एक याचिकाकर्ता शेख मुज्तबा और दूसरे याचिकाकर्ता लॉयर्स वॉयस ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर नेताओं को दिल्ली हिंसा का जिम्मेदार ठहराया था. शेख मुज्तबा ने भाजपा के चार नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और अभय वर्मा के भाषणों को उकसाने वाला और हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया था.
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लॉयर्स वॉयस ने 20 नेताओं को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. लॉयर्स वॉयस ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मनीष सिसोदिया, अमानतुल्लाह खान, वारिस पठान, अकबरुद्दीन ओवैसी, वकील महमूद प्राचा, हर्ष मांदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, उमर खालिद, मौलाना हबीब उर रहमान, मोहम्मद दिलावर, मौलाना श्रेया रजा, मौलाना हामूद रजा, मौलाना तौकीर, फैजुल हसन, तौकीर रजा खान और बीजी कोसले पाटिल पर कार्रवाई की मांग की है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इन नेताओं को पक्षकार बनाने से पहले इनका जवाब जानना जरूरी है. उसके बाद कोर्ट ने इन नेताओं को नोटिस जारी किया.