नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) ने गैलेंट्री अवार्ड (gallantry award) देने के तरीके पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बिना ठोस तथ्यों के ऐसे संजीदा आरोपों पर यूं ही सुनवाई नहीं हो सकती.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि गैलेंट्री अवार्ड के लिए नामों का चयन करने वाली कमेटी में ज्यादा बुद्धिमान लोग होते हैं. रिटायर्ड आर्मी कर्नल जसवंत सिंह ने याचिका दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि इन पुरस्कारों के लिए चयन करने वाले जमीनी हकीकत से दूर होते हैं. इसके लिए एक दिशानिर्देश जारी किया जाए, ताकि गैलेंट्री अवार्ड के लिए नाम तय करते समय पारदर्शिता बरती जाए.
पढ़ें : कृषि कानून : कोर्ट नियुक्त समिति के सदस्यों ने रिपोर्ट को शत प्रतिशत किसानों के पक्ष में बताया
याचिका में कहा गया है कि गैलेंट्री अवार्ड सैन्य बलों (military forces) में वीरतापूर्वक काम करने वाले जवानों और अधिकारियों को दिए जाते हैं. अवार्ड के नामों का चयन करने के लिए राष्ट्रपति की ओर से समय-समय पर दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं.
याचिका में कहा गया कि जब देश आजाद हुआ तब से इस अवार्ड की शुरुआत की गई है. अवार्ड के लिए नामों का चयन काम के आधार पर होता था न कि रैंक के आधार पर. ब्रिटिश काल में रैंक के आधार पर गैलेंट्री अवार्ड दिए जाते थे. याचिका में यह कहा गया था कि कुछ समय बाद अवार्ड देने में मनमाना और पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जाने लगा है. उन लोगों को भी ये अवार्ड दिए गए जो इनके लायक नहीं थे.